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आज का विचार
… … के समान दूसरा कोई नहीं !!
मेध के जल के समान शुद्ध अन्य कोई जल नहीं है।
आत्म बल के समान दूसरा कोई बल नहीं होता।
नेत्र के समान दूसरी कोई ज्योति नहीं है।
अन्न के समान दूसरा कोई प्रिय पदार्थ नहीं है।
बहुत सही कहा है आपने.
आप अपने सुझाव और मूल्यांकन से हमारा मार्गदर्शन करें
बहुत सही कहा है आपने.
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