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रविवार, 4 जुलाई 2010

सुभद्रा कुमारी चौहान

सुभद्रा कुमारी चौहान
(1904-1948)

सुभद्रा जी का जन्म प्रयाग ज़िले के निहालपुर गांव में हुआ था। इन्होंने प्रयाग में ही शिक्षा ग्रहण की। 1921 में असहयोग-आन्दोलन के प्रभाव से इन्होंने शिक्षा अधूरी छोड़ दी। ये राजनीति में सक्रिय भाग लेने लगीं। अपने राजनीतिक कार्यों के कारण इन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। 

काव्य-रचना की ओर इनकी प्रवृत्ति विद्यार्थी काल से ही थी। इनकी कविताएं ‘त्रिधारा’ और ‘मुकुल’ में संकलित हैं। भाव की दृष्टि से इनकी कविताओं को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है। प्रथम वर्ग में राष्ट्र प्रेम की कविताएं रखी जा सकती हैं। इनमें इन्होंने असहयोग या आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने वाले वीरों को अपना विषय बनाया है। इनकी ‘झांसी की रानी’ कविता तो सामान्य जनता में बहुत प्रसिद्ध हुई है। दूसरे वर्ग के अंतर्गत वे कविताएं रखी जा सकती हैं, जिनकी प्रेरणा इन्हें पारिवारिक जीवन से प्राप्त हुई है। ऐसी कविताओं में कुछ तो पतिप्रेम की  भावना से अनुप्राणित हैं और कुछ में संतान के प्रति वात्सल्य की सहज एवं मार्मिक अभिव्यक्ति मिलती है। इनकी भाषा-शैली भावों के अनुरूप सरलता और गति लिए हुए है।

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