कविता के नए सोपान (भाग-3)कविता सिर्फ़ हृदय की मुक्तावस्था नहीं, बल्कि बुद्धि की मुक्तावस्था है। |
नयी कविता आंदोलन के सशक्त हस्ताक्षर कुँवर नारायण अज्ञेय द्वारा संपादित तीसरा सप्तक (१९५९) के प्रमुख कवियों में रहे हैं। 2009 में वर्ष 2005 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गए कुँवर नारायण ने तीसरा सप्तक के कवि-वक्तव्य में कहा,
यह परिभाषा कविता में रोमांटिक दृश्टि का विरोध करती है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि कुँवर नारायण एंटी रोमांटिक दॄष्टि का समर्थन करते हैं। यहां पर उन्होंने “मार्मिक अभिव्यक्ति” का प्रयोग किया है। कहीं न कहीं वो अज्ञेय के इस मत से कि “वास्तविकता के बदलते संदर्भ में नए रागात्मक संबंध की प्रमाणिकता के विकास की तथ्यगत स्थिति” के बहुत क़रीब है। इस परिभाषा के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कविता सिर्फ़ भावना की अभिव्यक्ति नहीं है। वह बुद्धि से प्रेरित सर्जना है। यानी सिर्फ़ हृदय की मुक्तावस्था नहीं, बल्कि बुद्धि की मुक्तावस्था है। |
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अच्छी जानकारी मिल रही है, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के लिए आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंयह बात सटीक लगी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही, कविता बुद्धि की मुक्तावस्था है ।
जवाब देंहटाएंये सही है कविता बस भावना की अभिव्यक्ति ही नही है .... बुद्धि की भी आवश्यकता है इसे और प्रभावी बनाने की लिए ...
जवाब देंहटाएंसबके अपने अपने विचार हैं क्योंकि सब का अपना अपना दृष्टिकोण है……………हमारे हिसाब से तो कविता ह्र्दय की मुक्तावस्था तो हो सकती है मगर बुद्धि की नही क्योंकि बुद्धि से तो सिर्फ़ शब्द निकलते हैं उसको सुन्दरता प्रदान करने के लिये मगर भाव तो ह्र्दय से ही निकलते हैं और बिना भावों के कविता ऐसे होती है जैसे बिना श्रृंगार के दुल्हन्……………बिना भावोंके कविता दूसरे ह्र्दयों तक पहुंच ही नही पाती सिर्फ़ कोरे शब्दों का भण्डार ही बन कर रह जाती है………………लेकिन फिर भी सबकी अपनी अपनी सोच है और शायद इसीलिये कुँवर जी का दृष्टिकोण अलग है जैसा कि आपने भी कहा कि कविता रोमांटिक दृष्टि का विरोध करती है शायद इसी कारण उनकी सोच अलग है और यथार्थवादी है।
जवाब देंहटाएंबुद्धि की मुक्तावस्था कविता नही है , अपितु बुद्धिगत निर्णयों का कलात्मक संयोजन है ।
जवाब देंहटाएंachhi jaankari prastuti ke liye dhanyavaad
जवाब देंहटाएंकविता सिर्फ़ भावना की अभिव्यक्ति नहीं है। वह बुद्धि से प्रेरित सर्जना है।
जवाब देंहटाएं....सुंदर रचना, बधाई!
कविता को परिभाषित करना बड़ी टेढ़ी खीर है
जवाब देंहटाएंयह बुद्धि की मुक्ति अवस्था है ,ये तो सच है ही, पर ये वह ज्ञान चक्षु भी है जो कई पर्दों के पीछे का संसार देख लेती है बल्कि दिखा जातीहै