तिरंगे का ग़लत इस्तेमाल न करें…मनोज कुमार |
यह हमेशा ध्यान रखें कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के नागरिकों की आशाएं और आकांक्षाएं दर्शाता है। यह हमारे राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है। पिछले छह दशकों से अधिक समय से सशस्त्र सेना बलों के सदस्यों सहित अनेक नागरिकों ने तिरंगे की पूरी शान को बनाए रखने के लिए निरंतर अपने जीवन न्यौछावर किए हैं। एक लिंक दे रहा हूं। आपका खून न खौल जाए तो कहिएगा। यहां देखें। मैं चाहता तो फोटो कॉपी कर पेस्ट कर सकता था। पर इससे मेरा ब्लॉग अपवित्र हो जाता। ये तथाकथित धार्मिक गुरु हैं। तिरंगे का इतना ज़्यादा अपमान शायद ही कोई भारतीय बर्दाश्त कर सकता है। अब मैं आता हूं अपनी बात पर … |
भारत का राष्ट्रीय ध्वज भारतवासियों के लिए आशा और अभिलाषा का परिचायक है। यह हमारे राष्ट्र के लिए गर्व का प्रतीक है। पिछले छह दशकों में अनेकों लागों ने इसके सम्मान की रक्षा के लिए अपने प्राणों का न्योछावर किया है। |
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना पिंगली वैंकैयानन्द ने की थी और इसे इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी। इसे 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया और इसके पश्चात भारतीय गणतंत्र ने इसे अपनाया। भारत में ‘’तिरंगे’’ का अर्थ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज है। |
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास |
आइए राष्ट्रीय ध्वज के रोचक इतिहास पर एक नज़र डालें। यह किन-किन परिवर्तनों से गुजरा, इसका एक लंबा इतिहास है। इसे हमारे स्वतंत्रता के राष्ट्रीय संग्राम के दौरान खोजा गया या मान्यता दी गई। |
ये हमारे सबसे पहले राष्ट्रीय ध्वज का चित्र है। 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कोलकाता में फहराया गया था। इस ध्वज को लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था। |
यह है दूसरा ध्वज! इसे पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था। यह ध्वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था। |
यह है तीसरा ध्वज! यह 1917 में आया जब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड लिया। डॉ. एनी बीसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया। |
इस चौथे ध्वज को आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। इसका प्रयोग अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान जो 1921 में विजयवाड़ा में किया गया। भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा गांधी जी के सुझाव पर इसमें डाला गया था। |
काग़ज़ या प्लास्टिक का तिरंगा झंडा बेचा जाता है, जो सही नहीं है। राष्ट्रीय गर्व की भावना के साथ लोग काफी उत्साह से इन झंडों को ख़रीदते हैं, लेकिन दूसरे ही दिन हम इन झंडों को सड़को पर पांव तले रौंदे जाते देखते हैं या किसी कूड़ेदान में या अन्यत्र फेंका हुआ पाते हैं। यह पांचवां ध्वज वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ। वर्ष 1931 में तिरंगे ध्वज को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। |
22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे स्वतंत्र भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। |
ध्वज के रंग |
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है। राष्ट्रीय ध्वज का रंग तथा अशोक चक्र के महत्व को डॉ. एस. राधाकृष्णन ने संविधान सभा में प्रतिपादित किया था जिसे सर्वसम्मति से राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अंगीकार किया गया। “सबसे ऊपर केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। यह रंग निस्वार्थ त्याग को दर्शाता है। “मध्य में सफेद रंग सत्य की राह पर चलने के लिए हमारे उचित आचरण का मार्गदर्शन करता है। यह शांति और सत्य का प्रतीक है। “हरा रंग पादप जीवन के साथ हमारे संबंध को दर्शाता है, जिसपर अन्य सभी जीवन निर्भर है। हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। “सफेद रंग के बीच में अशोक चक्र न्याय और धर्म के चक्र का द्योतक है। इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। सत्य, धर्म या गुण उनका सिद्धांत होना चाहिए जो इस झंडे के नीचे काम करते हैं। अशोक चक्र गति को भी प्रदर्शित करता है। चलना ही जीवन है और रुक जाना मौत के समान। भारत में और अधिक बदलाव नहीं बल्कि आगे बढ़ने की आवश्यकता है। यह चक्र एक शांतिपूर्ण परिवर्तन के गतिवाद का प्रतिनिधित्व करता है।” |
ध्वज संहिता |
राष्ट्रीय ध्वज के प्रति व्यापक अनुराग, सम्मान तथा ईमानदारी होनी चाहिए। सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए अ-सांविधिक अनुदेशों के अलावा राष्ट्रीय ध्वज का प्रदर्शन इम्ब्लेम एंड नेम्स (प्रिवेंशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट, 1950 (1950 का क्रम सं.12) तथा प्रिवेंशन ऑफ इनसल्ट्स टु नैशनल ऑनर एक्ट, 1971 (1971 का क्रम सं.69) के प्रावधानों के अंतर्गत शासित है। 26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया। |
राष्ट्र ध्वज तिरंगा हमारे देश की प्रतिष्ठा और सम्मान का प्रतीक है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के मौक़े पर राष्ट्रीय ध्वज का उदारता पूर्वक प्रयोग (liberal use) देखने को मिलता है। आजकल एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है कि उक्त अवसर पर काग़ज़ या प्लास्टिक का तिरंगा झंडा बेचा जाता है, जो सही नहीं है। राष्ट्रीय गर्व की भावना के साथ लोग काफी उत्साह से इन झंडों को ख़रीदते हैं, लेकिन दूसरे ही दिन हम इन झंडों को सड़को पर पांव तले रौंदे जाते देखते हैं या किसी कूड़ेदान में या अन्यत्र फेंका हुआ पाते हैं। इस संदर्भ में यह ध्यान देने वाली बात है कि लोग यह भूल जाते हैं कि ऐसा कर वे राष्ट्रध्वज का अपमान कर रहे होते हैं। अकसरहां ये झंडे कूड़े-कचड़े के साथ जला दिए जाते हैं। यह हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि तिरंगे का सही और वैभवशाली तरीक़े से इस्तेमाल किया जाए। |
यदि आप स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की योजना बना रहें हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि इस पवित्र राष्ट्रीय ध्वज के प्रति किसी प्रकार का असम्मान आपको मुश्किल में डाल सकता है। प्रत्येक नागरिक इसकी गरिमा को बरकरार रखने के लिए संविधान से बंधा हुआ है। १. हमें राष्ट्रीय ध्वज को एक ऊंचाई पर उचित तरीक़े से फहराना चाहिए। २. छोटे बच्चों को तिरंगे को खिलौने की तरह इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए। ३. प्लास्टिक के झंडे न तो ख़रीदें और न ही इस्तेमाल करें। ४. काग़ज़ के झंडे को शर्ट के पॉकेट आदि पर पिन से लगा कर इस्तेमाल न करें। ५. इसका हमेशा ध्यान रखें कि झंडे पर कोई शिकन न आए। ६. तिरंगे को बैनर/पताका या सजावट के रूप में इस्तेमाल न करें। ७. इस बात का ख्याल रखें की राष्ट्र ध्वज कुचल या फट न जाए। ८. तिरंगे को कभी जमीन पर गिरने न दें। ९. कपड़ों के टुकड़ों को जोड़ कर तिरंगे का रूप देने की कोशिश मत करें। १०. इस ध्वज को सांप्रदायिक लाभ, पर्दें या वस्त्रों के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता है। ११. जहां तक संभव हो इसे मौसम से प्रभावित हुए बिना सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए। १२. इस ध्वज को आशय पूर्वक भूमि, फर्श या पानी से स्पर्श नहीं कराया जाना चाहिए। १३. इसे वाहनों के हुड, ऊपर और बगल या पीछे, रेलों, नावों या वायुयान पर लपेटा नहीं जा सकता। १४. किसी अन्य ध्वज या ध्वज पट्ट को हमारे ध्वज से ऊंचे स्थान पर लगाया नहीं जा सकता है। १५. तिरंगे ध्वज को वंदनवार, ध्वज पट्ट या गुलाब के समान संरचना बनाकर उपयोग नहीं किया जा सकता। |
यह हमेशा ध्यान रखें कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज भारत के नागरिकों की आशाएं और आकांक्षाएं दर्शाता है। यह हमारे राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है। पिछले छह दशकों से अधिक समय से सशस्त्र सेना बलों के सदस्यों सहित अनेक नागरिकों ने तिरंगे की पूरी शान को बनाए रखने के लिए निरंतर अपने जीवन न्यौछावर किए हैं। |
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सुन्दर आलेख
जवाब देंहटाएंतिरंगे का अपमान यानि राष्ट्र का अपमान
तिरंगे का अपमान तो कुछ लोगों का मकसद ही है, परंतु हमें ऐसे लोगों को रोकना होगा।
जवाब देंहटाएंतिरंगे का इतिहास पढ़कर अच्छा लगा।
कैंसर के रोगियों के लिये गुयाबानो फ़ल किसी चमत्कार से कम नहीं (CANCER KILLER DISCOVERED Guyabano, The Soupsop Fruit)
काग़ज़ या प्लास्टिक का तिरंगा झंडा बेचा जाता है, जो सही नहीं है। राष्ट्रीय गर्व की भावना के साथ लोग काफी उत्साह से इन झंडों को ख़रीदते हैं, लेकिन दूसरे ही दिन हम इन झंडों को सड़को पर पांव तले रौंदे जाते देखते हैं या किसी कूड़ेदान में या अन्यत्र फेंका हुआ पाते हैं
जवाब देंहटाएंekdam sateek aur aur bilkul sachchai se paripurn prastuti,saath me apne rashhtriy dhwaj ke baare me bhi bahut si jakaari jinse ham puri tarah avgat nahi theaapka aalekh padh kar prapt hui.iske liye aapko hardik dhanyvaad. aaur aaj ka vichaar bhi bahut achha laga ye to dayari me note karne wali aur bahut hi shixha prad hai.
poonam
तिरंगे के बारे में आवश्यक हर जानकारी देती बहुत अच्छी पोस्ट !!
जवाब देंहटाएंविजयी विश्व तिरंगा प्यारा .. झंडा ऊंचा रहे हमारा !!
तिरंगे का पूरा इतिहास जानना बहुत अच्छा लगा....इसके सम्मान के लिए दी हुई जानकारी बहुत उपयोगी है ...बहुत अच्छी पोस्ट ...
जवाब देंहटाएंजय हिंद .
.सुन्दर आलेख
जवाब देंहटाएंतिरंगे का अपमान यानि राष्ट्र का अपमान
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
तिरंगा हमारी आन,बान और शान है इसका अपमान तो सारे देश का अपमान है और यदि कोई भी ऐसा करता है तो वो भारतीय है ही नही………………आपने बेहद उपयुक्त जानकारी दी है जिसके बारे मे सबको पता होना चाहिये।
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम्।
जय हिंद
sajag karna zaruri hai apne desh ke gaurav ke liye
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक आलेख है ..
जवाब देंहटाएंतिरंगे का अपमान करने वाला हिन्दुस्तानी तो क्या इंसान कहलाने लायक भी नहीं.
Bahut acchi jankari di hai aapane aajki post main jisaka gyan har ek Bhartiya ko hona chahiye....Aakhir Tiranga hamari aan, baan aur shan hi nahi snpurna desh ka sanmaan hai...Is post ke liye aapka tahe dil se shukriya.
जवाब देंहटाएंJai Hind
Saadar
"तिरंगे का अपमान यानि राष्ट्र का अपमान"
जवाब देंहटाएंदेश भक्ति से ओत प्रोत एक सराहनीय पोस्ट मेहनत दिख रही है और रंग भी जरुर लाएगी
जय हिंद
प्रत्येक भारतीय को इसका ध्यान रखना चाहिए।
जवाब देंहटाएं………….
सपनों का भी मतलब होता है?
साहित्यिक चोरी का निर्लज्ज कारनामा.....
बढ़िया और सामयिक जानकारी के लिए आभार
जवाब देंहटाएंतिरंगे से ही हमारी शान कायम है और इसके लिए हमारी तीनों सेनाएं अपना सब कुछ त्याग कर इसकी रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहती हैं. इसका अपमान न करें और न होने दें. तिरंगे की इतिहास से अवगत करा कर अपने बहुत अच्छी जानकारी प्रदान की. इसके लिए आप बधाई के पत्र हैं.
जवाब देंहटाएंसुन्दर आलेख
जवाब देंहटाएंतिरंगे का अपमान यानि राष्ट्र का अपमान
सुन्दर लेख ....
जवाब देंहटाएंजाग्रति का आपका प्रयास, तिरंगे का सम्मान दोनो ही देश गौरव के विषय है। आभार्।
जवाब देंहटाएंआपकी यह पोस्ट सुरक्षित कर के रखने लायक है बहुत अच्छी रचना है . दिल देश प्रेम से भर उठा.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभारी है आपके जो आपने हमारे देश के ध्वज के इतिहास से रु-ब-रु करवाया.
Hmm mujhe to Tirange ka itta sara itihaas pata hi nahin tha..:(
जवाब देंहटाएंshukriyaa in saare tathyon se avgat karane ke liye....bahut sunder aalekh.......
fully agreed with ''jharokha''.....in sab plastic material per ban laga dena chahiye.....Raashtreeya Dwaj samman aur adar bhaavna ke liye hai.....is tarah pairon tale raunde jaane ke liye nahin.....haath mein jhanda ho na ho...hriday mein ye zaroor lehrana chahiye bas...:)
...:)
इस उपयोगी जानकारी के लिए - आभार!
जवाब देंहटाएंपर केवल हमलोगों का जानना,जो कंप्यूटर का प्रयोग करते हैं,पर्याप्त नहीं.राष्ट्र-ध्वज की संहिता शिक्षा- संस्थाओँ में भी बताई जानी चाहिए.
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Plz tell ,me ( Raat Me tiranag Kyun Utar liya jata hai.?)
जवाब देंहटाएंPuri jankari de.
tirenge ko utarne ka kya time hota hai ?
जवाब देंहटाएंThanks for sharing this unique information with us. Your post is really awesome. Your blog is really helpful
जवाब देंहटाएंfor me..
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