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रविवार, 16 जनवरी 2011

कहानी ऐसी बनी - 19 : वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले....

कहानी ऐसी बनी – 19

वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले..

हर जगह की अपनी कुछ मान्यताएं, कुछ रीति-रिवाज, कुछ संस्कार और कुछ धरोहर होते हैं। ऐसी ही हैं, हमारी लोकोक्तियाँ और लोक-कथाएं। इन में माटी की सोंधी महक तो है ही, अप्रतिम साहित्यिक व्यंजना भी है। जिस भाव की अभिव्यक्ति आप सघन प्रयास से भी नही कर पाते हैं उन्हें स्थान-विशेष की लोकभाषा की कहावतें सहज ही प्रकट कर देती है। लेकिन पीढी-दर-पीढी अपने संस्कारों से दुराव की महामारी शनैः शनैः इस अमूल्य विरासत को लील रही है। गंगा-यमुनी धारा में विलीन हो रही इस महान सांस्कृतिक धरोहर के कुछ अंश चुन कर आपकी नजर कर रहे हैं करण समस्तीपुरी।

रूपांतर :: मनोज कुमार

पिछले सप्ताह तो खूब धमाचौकड़ी मची। शहर में भोलंटाइन बाबा का मेला लगा रहा तो गाँव में भोला बाबा का। हमने तो शहर से देखना शुरू किया और गाँव तक पहुँच गए। मिसरिया बाबा के मठ पर खूब धूम-धाम से शिवरात हुआ। शिवजी की बारात भी निकली थी। पंडौल के पंडित जी आये थे माधो मिरदंगिया के साथ, कथा कीर्तन के लिए। हम भी मौका देख कर बाराती बन गए। शिव-मठ पर सोहे लाल धुजा खूब फहराए।

गाँव के ही बौकू झा महादेव बने थे। झा जी के मुँह के दांतों ने तो पहले ही साथ छोड़ दिया था। पटुआ का जट्टा और प्लास्टिक का सांप लगा के औरिजनल महादेव लग रहे थे। अपने बछड़ा को बसहा भी बना लिया था उन्होंने। फागुन की रात में बसंती हवा जब केवल बाघम्बरी गमछा से ढके बूढी हड्डी में छेनी की तरह प्रहार करती थी तो झा जी ऐसे कंपकंपाते थे कि लगता था महादेव ब्याह के बदले तांडव शुरू कर दिए हैं। वो गीत है ना, "सब बात अनोखी दैय्या..... बौराहवा के बरियात में.... !!!" वैसे ही बारात बन गयी थी।

स्वांग ही क्यों न हो मगर पंडौलिया पंडित जी हारमोनियम को इस कोने से उस कोने तक गरगरा कर 'शिव-विवाह' को एकदम साक्षात बना देते हैं। गला भी बड़ा सुरीला है। खुद पंडित तो हैं ही। सब विध-व्यवहार याद है। कथा और कीर्तन के बीच में ऐसी एक्टिंग के साथ टोन छोड़ते हैं कि लगता है सच में ब्याह हो रहा है।

बाराती दरवाजा लगा दिए। द्वारपूजा होगी। सासू आ रही है महादेव की गल-सेदी करने। पंडित जी परिछन के गीत का ऐसा तान छोड़ते हैं और एकाएक हारमोनियम की पटरी पर तीन बार हाथ मार कर पें..पें...पें.... कर के रोक देते हैं। पंडित जी अपनी मैना माई बन जाते हैं। महादेव बने बौकू झा के मुँह पर से जट्टा हटाये और प्लास्टिक वाला सांप से ऐसे डर कर भागे कि..... अरे रे ... !! लगे आ कर फिर से हारमोनियम पर गाने, "एहन बूढ़ वर नारद लायेला...... हम नहीं जियब गे माई !"

खैर मान-मनौती, बोल-संभार के बाद मैना माई फिर परिच्छ कर ले गयीं शिव दूल्हा को। ब्याह हुआ। ज्योनार होगा अब। लेकिन बिना दहेज़ के दूल्हा जीमेंगे कैसे ? कौर नहीं उठाएंगे बिना दहेज़ के। हम तो देखते हैं कि अभी भी दूल्हा सब रूठ जाता है ससुराल में। टीवी मिल गया तो फटफटिया। फटफटिया मिल गया तो कार दीजिये तब कौर उठाएंगे।

अब महादेव क्या करते हैं पता नहीं! खैर पर्वतराज हिमांचल के एकलौते दामाद हैं। जो मांगेंगे मिल ही जाएगा। सामने में दो चार लोटा-थाली पसार दिया। बौकू झा तिरछी नज़र से इधर उधर देख रहे थे। इधर पंडौलिया पंडित जी गाने-गाने में इशारा कर रहे थे। दूल्हा मांग लीजिये। मालदार ससुराल है। जो भी लेना है अभी ही खींच लीजिये। लोटा-थाली पर नहीं मानियेगा..... । लेकिन बौकू झा तो सच्च में जैसे बुत बन गए। कुछ बोल ही नहीं रहे थे। लगता है महादेव ही समझ रहे थे खुद को। सोचे कि एक बार तो रूप-रंग देख कर सासू भड़क गयी थी। परिछन के लिए भी तैयार नहीं थी। किसी तरह ब्याह हुआ। अब दहेज़ में कुछ मांगे तो बनी बात भी बिगड़ न जाए। पंडित जी गीत गा गा के कहते रहे मगर महादेव मुँह खोले नहीं। वैसे महादेव हैं तो निर्विकार तो मांगेंगे क्या ?

एक चुटकी छोड़ के लगे पंडित मजकिया गीत गाने, "वर हुआ बुद्धू.... हो...ओ...ओ... वर हुआ बुद्धू .... दहेज़ कौन ले.... हे.... दहेज़ कौन ले.... !" छमक के एक ही बार रुके और बाईं हथेली पर उल्टी दायें हथेली पटक कर बोले, 'वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले ?' हा...हा... हा..... !! पूरा मंडली बौकू झा के सामने उल्टा ताली पीटे लगा, "वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले ?'

तब हमारी समझ में आया। अच्छा..... तो यह है कहावत की जड़। हम पहले सोचते थे कि क्यों कहते हैं, "वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले.... ?" अब साफ-साफ समझ में आ गया। जब अपनी ही अयोग्यता, लापरवाही, बेवकूफी, अत्यंत सरलता, विनम्रता या किसी भी कारण से संभावित लाभ नहीं मिल पाता है तो लोग कहते हैं, 'वर हुआ बुद्धू दहेज़ कौन ले ?' लगता है महादेव से ही यह कहावत शुरू हुई होगी। तो इसी बात पर बोल दीजिये, 'हर-हर महादेव !'

11 टिप्‍पणियां:

  1. कथा बहुत ही रोचकता से प्रस्तुत की गयी है!
    हर-हर महादेव!

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  2. कथा बहुत ही रोचकता से प्रस्तुत की गयी है!
    हर-हर महादेव!

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  3. पढ़कर बहुत मज़ा आ गया.
    बड़ी ही रोचक प्रस्तुति.

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  4. दिलचस्प कहानी. सुंदर प्रस्तुति. जय-जय शिव शंकर . जय भोले ! हर-हर महादेव !

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  5. हर बार की तरह रोचक और मज़ेदार!! कहावत के भाव को पूर्णतः सम्प्रेषित करती प्रस्तुति!

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  6. बेहद रोचक और मजेदार प्रस्तुति.

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  7. good.आप-बीती-०५ .रमता योगी-बहता पानी

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  8. रोचक कथा ....लगता है इसी लिए जो लोग दहेज नहीं लेते उनमें ही खोट निकालना शुरू कर दिया जाता है ...

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  9. आज आम जनता को देख सरकार शायद यही सोच रही है।

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