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सोमवार, 21 मार्च 2011

"हिंदी में बिंदी और चन्द्र बिंदु की महिमा....."


 आज मैं  जिस विषय को ले कर आई हूँ , इसके बारे में सभी ने स्कूल में पढ़ा होगा ,लेकिन पढने के बाद भी बहुत सी बातें दिमाग से निकल जाती हैं..आज उनको ही तरोताजा करने का प्रयास कर रही हूँ . आशा है कि आप इसे पसंद करेंगे.
Hindi Swar Chart
हिंदी में स्वर को कई आधार पर विभाजित किया गया है .
आज हम चर्चा कर रहे हैं उच्चारण के आधार पर स्वर के भेद की.  उच्चारण के आधार पर स्वर को दो भागों में विभक्त किया जाता है .
१ अनुनासिका
२ निरनुनासिका



निरनुनासिका स्वर वे हैं जिनकी ध्वनि केवल मुख से निकलती है .
अनुनासिका स्वर में ध्वनि मुख के साथ साथ नासिका द्वार से भी निकलती है .अत:  अनुनासिका को प्रकट करने के लिए शिरो रेखा के ऊपर बिंदु या चन्द्र बिंदु का प्रयोग करते हैं . शब्द के ऊपर लगायी जाने वाली रेखा को शिरोरेखा कहते हैं .


बिंदु या चंद्रबिंदु को हिंदी में क्रमश: अनुस्वार और अनुनासिका कहा जाता है .

अनुस्वार और अनुनासिका में अंतर -----

१- अनुनासिका स्वर है जबकि अनुस्वार मूलत: व्यंजन .
२- अनुनासिका ( चंद्रबिंदु ) को परिवर्तित नहीं किया जा सकता जबकि अनुस्वार को वर्ण में बदला जा सकता है .
३- अनुनासिका का प्रयोग केवल उन शब्दों में ही किया जा सकता है जिनकी मात्राएँ शिरोरेखा से ऊपर न लगीं हों. जैसे अ , आ , उ ऊ ,
उदाहरण के रूप में --- हँस , चाँद , पूँछ
४ शिरोरेखा से ऊपर लगी मात्राओं वाले शब्दों में अनुनासिका के स्थान पर अनुस्वार अर्थात बिंदु का प्रयोग ही होता है. जैसे ---- गोंद , कोंपल , जबकि अनुस्वार हर तरह की मात्राओं वाले शब्दों पर लगाया जा सकता है.

आज का मुख्य चर्चा का विषय है कि जब अनुस्वार को व्यंजन मानते हैं तो इसे वर्ण में किन नियमों के अंतर्गत परिवर्तित किया जाता है....इसके लिए सबसे पहले हमें सभी व्यंजनों को वर्गानुसार जानना होगा.......

(क वर्ग ) क , ख ,ग ,घ ,ड.
(च वर्ग ) च , छ, ज ,झ , ञ
(ट वर्ग ) ट , ठ , ड ,ढ ण
(त वर्ग) त ,थ ,द , ध ,न
(प वर्ग ) प , फ ,ब , भ म
य , र .ल .व
श , ष , स ,ह


अब आप कोई भी अनुस्वार लगा शब्द देखें.....जैसे ..गंगा , कंबल , झंडा , मंजूषा, धंधा
यहाँ अनुस्वार को वर्ण में बदलने का नियम है कि जिस अक्षर के ऊपर अनुस्वार लगा है उससे अगला अक्षर देखें ....जैसे गंगा ...इसमें अनुस्वार से अगला अक्षर गा है...ये ग वर्ण क वर्ग में आता है इसलिए यहाँ अनुस्वार क वर्ग के पंचमाक्षर अर्थात ड़ में बदला  जायेगा.. ये उदहारण हिंदी टाइपिंग में नहीं आ रहा है...दूसरा शब्द लेते हैं. जैसे कंबल –
यहाँ अनुस्वार के बाद ब अक्षर है जो प वर्ग का है ..ब वर्ग का पंचमाक्षर म है इसलिए ये अनुस्वार म वर्ण में बदला जाता है
कंबल..... कम्बल
झंडा ..---- झण्डा
मंजूषा --- मञ्जूषा
धंधा --- धन्धा
ध्यान देने योग्य बात ----
१ अनुस्वार के बाद यदि य , र .ल .व
श ष , स ,ह वर्ण आते हैं यानि कि ये किसी वर्ग में सम्मिलित नहीं हैं तो अनुस्वार को बिंदु के रूप में ही प्रयोग किया जाता है .. तब उसे किसी वर्ण में नहीं बदला जाता...जैसे संयम ...यहाँ अनुस्वार के बाद य अक्षर है जो किसी वर्ग के अंतर्गत नहीं आता इसलिए यहाँ बिंदु ही लगेगा.
२- जब किसी वर्ग के पंचमाक्षर एक साथ हों तो वहाँ पंचमाक्षर का ही प्रयोग किया जाता है. वहाँ अनुस्वार नहीं लगता . जैसे सम्मान , चम्मच ,उन्नति , जन्म आदि.
४- कभी कभी जल्दबाजी में या लापरवाही के चलते हम अनुस्वार जहाँ आना चाहिए नहीं लगाते ,तब शब्द के अर्थ बदल जाते हैं – उदहारण देखिये –
चिंता -------- चिता
गोंद ----------- गोद
गंदा-------------- गदा ....आदि



आशा है कि आज अनुस्वार ( बिंदु ) और अनुनासिका ( चंद्रबिंदु ) के विषय पर आपका पुन: परिचय हो गया होगा.


आपकी प्रतिक्रियाएं ही इसकी सफलता को इंगित करेंगी. धन्यवाद |

41 टिप्‍पणियां:

  1. संगीता जी आपने अनुनासिक और अनुस्वार के बारे में भ्रम को दूर करने का अच्छा प्रयास किया है। आप विदुषी हैं और भाषा पर अच्छी पकड़ भी रखती हैं परंतु आपके इस लेख में कुछ भ्रम हैं। यह व्याकरण का विषय है इसलिए नियमों का प्रतिपादन स्पष्ट और निर्दोष होना चाहिए। इन पर टिप्पणी लिखी जाएगी तो शायद न्याय न हो सके। यदि आप अनुमति दें तो एक लेख लिखकर मेल से भेज देता हूं आप उसे पोस्ट कर लें। थोड़ा समय लगेगा।

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  2. बहुत अच्छी ज्ञानवर्धक जानकारी. आभार.

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  3. यह पाठ हमें छठी कक्षा में एक अध्यापक ने बड़े ध्यान से पढ़ाया था। संभवतः वे इस का महत्व जानते थे। यह अभी भी भली भाँति स्मरण है और अभ्यास में भी। लेकिन यहाँ हिन्दी ब्लागरी में तो छटा ही निराली है। कल एक साथी ब्लागर को टिप्पणी में कहना भी पड़ा कि वह हिन्दी टाइपिंग ठीक से सीख ले। अनेक तो सिर्फ टाइप कर के अपलोड कर देते हैं। यह भी नहीं देखते कि उन का टाइप किया हुआ पढ़ा क्या जा रहा है।

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  4. डा० दलसिंगार यादव जी ,

    यदि कुछ भ्रम कि स्थिति है तो उसे अवश्य दूर करना चाहिए ...आपके लेख का मुझे इंतज़ार रहेगा ..मैंने आपको मेल भी किया है ..आशा है आप अपना लेख शीघ्र ही भेजेंगे ...आभार

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  5. दीदी,
    आपने अनुनासिक और अनुस्वार का शानदार विवेचन किया।
    अनुस्वार के बारे में तो स्मृति थी कि वस्तुत: यह उसी वर्ग का पंचमाक्षर है।
    य र आदि में अनुस्वार की ध्वनी 'न' ही है न?
    अनुनासिक चन्द्र-बिन्दु के बारे में जानना, नवीनत्तम रहा। आभार!!

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  6. व्याकरण में पढ़ा तो था किन्तु आधुनिक युग में लोग इन सब बातों का प्रयोग ही कहाँ कर रहे है याददिलाने के लिए साधुवाद .

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  7. ज्ञानवर्धक आलेख्…………आभार्।

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  8. संगीता जी ,अनुनासिक और अनुस्वार की जानकारी अत्यन्त उपयोगी है विशेषकर इसलिये कि आज हिन्दी विषयक उदासीनता के चलते बिन्दी का सही प्रयोग तो दूर मात्राएं तक सही नही लगाते और अर्थ का अनर्थ हो जाता है। कला और काला , मेला और मैला ,शिला का शीला लिखने में भी कोई सावधानी नही बरती जाती । बारहवीं के छात्रों को है और हैं का अन्तर समझ नही आता । टी.वी. व अखबार इस लापरवाही को और बढा रहे हैं । आपको होली की बहुत बहुत बधाई ।

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  9. यह आलेख तो मैंने सहेज लिया है ..बहुत काम का है.
    बहुत बहुत आभार ऐसे ज्ञानपरक लेख का.

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  10. सहेज कर रखने लायक प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के लिए यह आलेख काफ़ी ज़रूरी था।

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  11. संभाल कर रखने वाला आलेख है ये तो ... बहुत बहुत धन्यवाद ...

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  12. आज प्रयोजन मूलक हिंदी को बढ़ावा दिए जाने की विशेष आवश्यकता है।
    इस लेख के माध्यम से वर्तनी संबंधी त्रुटियों को समझने, सुधारने तथा टंकण
    की गति बढ़ाने में मदद मिलेगी।
    ========================
    प्रवाहित रहे यह सतत भाव-धारा।
    जिसे आपने ब्लाग में है उतारा॥
    ========================
    सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
    ==============================

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  13. आज आठवीं क्लास की व्याकरण की कक्षा याद आ गयी.. पंडित कौशल किशोर त्रिपाठी पढ़ाया करते थे.. वैसे आज भी इन बारीकियों को कई लोग नहीं समझते हैं.. आभार आपका!!

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  14. कवर्ग का अनुस्वार ड़ नहीं ङ है । उदाहरणार्थ - ड़ का उपयोग होता है इन शब्दों में - सड़क, पकड़ना , घोड़ा । इन शब्दों के उच्चारण से स्पष्ट है कि ड़ ना तो अनुस्वार है और ना ही अनुनासिका। जबकि कंगन, मंगल, गंगा इन सभी में कवर्ग के अनुस्वार ङ का उपयोग किया गया है।

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  15. इसी प्रकार गंदा, गोंद और चिंता सही नहीं लिखे गए । इनके शुद्ध हिज्जे हैं- गन्दा, चिन्ता, और गोन्द । क्योंकि अनुस्वार के बाद जो व्यञ्जन आ रहा है उसी वर्ग का पञ्चम अक्षर लगना चाहिए। हर अनुस्वार के लिए केवल बिन्दु का उपयोग, हिज्जों की शुद्धता के प्रति केवल लापरवाही का प्रतीक है।

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  16. कवर्ग का अनुस्वार ड़ नहीं ङ है

    रंगोली जी ,
    ऊपर जो आपने लिखा है वो बिलकुल सही है ... यह मेरे से हिन्दी टाइपिंग में नहीं आरहा था ..इसके लिए आभार

    रही दूसरी बात ---
    इसी प्रकार गंदा, गोंद और चिंता सही नहीं लिखे गए । इनके शुद्ध हिज्जे हैं- गन्दा, चिन्ता, और गोन्द । क्योंकि अनुस्वार के बाद जो व्यञ्जन आ रहा है उसी वर्ग का पञ्चम अक्षर लगना चाहिए। हर अनुस्वार के लिए केवल बिन्दु का उपयोग, हिज्जों की शुद्धता के प्रति केवल लापरवाही का प्रतीक है।
    यह आरोप आपका सही नहीं है ... यहाँ केवल यह बताया गया है कि जल्बाजी में यदि अनुस्वार नहीं लगते तो अर्थ बदल जाता है ..न कि अनुस्वार को व्यंजन में बदला गया है ..

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  17. बहुत ही बढ़िया तरीके से आपने समझाया है| मुझे इससे बहुत मदद मिली है| इंग्लिश मीडियम स्कूलों में यह अच्छे से नहीं बताया जाता है|

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  21. कोई मुझे बतएंगे कि नें,में में कहीं कहीं बिंदु का प्रयो क्यो होता है,कृपया करके बताए?

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    उत्तर
    1. हिंदी वर्णमाला में जिन वर्णों में मात्रा शिरो-रेखा के ऊपर लगी हो वहाँ चंद्र बिंदु अनुस्वार की भाँति ही लिखा जाएगा। नियमानुसार इन शब्दों में अनुनासिक का ही प्रयोग हुआ है लेकिन शब्द का रूप न विकृत हो जाए इस लिए अनुस्वार से ही काम चला लिया है। इसे हम हिंदी लिपि की कमी कह सकते हैं।रही बात (नें,में )में बिंदु का प्रयोग तो इनके उच्चारण में वायु नासिका द्वार से निकलती है तो इन शब्दों में अनुनासिक स्वर का प्रयोग हुआ है लेकिन इन दोनों वर्णों की शिरो-रेखा पर मात्रा का प्रयोग हुआ है। इसलिए चंद्र बिंदु न लगा कर बिंदु का प्रयोग किया जाता है।

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  22. If word has no other meaning and easy to understand in a sentence and in a speech then why not write Hindi in a write as you pronounce method to make spell checker free at greater extent . You may hear nasal sound in a single word but not in a speech. Why not focus on speech sounds that you hear in a speech?
    If HIndi can be learned in Urdu script with more Persian words then why not in regional scripts with more regional words to indianized Hindi?
    Needed spellings reform for Global Hindi written in Roman script in all comments.
    ं>म् / न्
    िइ>ीई
    ुउ>ूऊ
    ेंएं>ॅऍ
    ोंओं>ॉऑ
    ांआं>ॉऑ ? आँ ?
    ़>remove if not needed.....not seen in regional languages
    अ आ इ ई उ ऊ ऍ ए ऐ ऑ ओ औ अं अं अः...........Devanagari
    a ā i ī u ū ă e ai ŏ o au an am ah......Roman

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  23. अं कं चं टं तं पं यं शं बीं दुं ऐं बीं हं क्षं inka uchharan kaise krna hai g English me likhkar send kro

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  24. व्यंजन सबधी त्रुटियां क्या है बताये

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  25. सर चन्द्र बिन्दु सही से समझ में नहीं आया जैसे यदि मैं आंख इस प्रकार लिखूं,तो पूंछ को इस प्रकार लिखूं तो क्या यह सही माना जाएगा या चन्द्र बिन्दु लगाना होगा

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  26. सर चन्द्र बिन्दु सही से समझ में नहीं आया जैसे यदि मैं आंख इस प्रकार लिखूं,तो पूंछ को इस प्रकार लिखूं तो क्या यह सही माना जाएगा या चन्द्र बिन्दु लगाना होगा

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  27. बहुत ज्ञानोपयोगी। साथ-साथ 'मुँह, काँख, कंस, वंश, कांव, कण्व, टाँकना, हंस-हँस आदि पर भी प्रकाश डालें। बहुत सार्थक पोस्ट। आभार।

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  28. त्वं इदं धारय।
    यस्यामतं मतं तस्य।

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  29. "है" में कब बिंदी का प्रयोग किया जाता है अथवा कब नहीं?

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  30. बहुत बहुत धन्यवाद

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  31. धातुएं सही है या धातुएँ

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  32. धातुएं सही है या धातुएँ

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