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गजानन माधव मुक्तिबोध की कविताएं-1
बेचैन चील
बेचैन चील !!
उस-जैसा मैं पर्यटनशील
प्यासा-प्यासा,
देखता रहूँगा एक दमकती हुई झील
या पानी का कोरा झाँसा
जिसकी सफ़ेद चिलचिलाहटों में है अजीब
इनकार एक सूना !!
धन्यवाद्
आज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है ..... ...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर ____________________________________
खूबसूरत बिम्ब के साथ मन की छटपटाहट को वर्णित किया है ..सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार
बेचैनी का सुन्दर चित्रण्।
एक गहरी सोच.आभार इसे यहाँ बांटने का.
आप अपने सुझाव और मूल्यांकन से हमारा मार्गदर्शन करें
धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंआज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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खूबसूरत बिम्ब के साथ मन की छटपटाहट को वर्णित किया है ..सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबेचैनी का सुन्दर चित्रण्।
जवाब देंहटाएंएक गहरी सोच.आभार इसे यहाँ बांटने का.
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