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सोमवार, 11 जुलाई 2011

बेचैन चील

गजानन मा. मुक्तिबोधगजानन माधव मुक्तिबोध की कविताएं-1

 

 

 

बेचैन चील

 

बेचैन चील !!

उस-जैसा मैं पर्यटनशील

प्यासा-प्यासा,

देखता रहूँगा एक दमकती हुई झील

या पानी का कोरा झाँसा

जिसकी सफ़ेद चिलचिलाहटों में है अजीब

इनकार एक सूना !!

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