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मंगलवार, 23 अगस्त 2011

कालिदास

 

बाबा नागार्जुन की कविताएं-5

कालिदास

कालिदास, सच-सच बतलाना !
इन्दुमती के मृत्युशोक से
अज रोया या तुम रोये थे?
कालिदास, सच-सच बतलाना!

शिवजी की तीसरी आँख से
निकली हुई महाज्वाला में
घृत-मिश्रित सूखी समिधा-सम
कामदेव जब भस्म हो गया
रति का क्रंदन सुन आँसू से
तुमने ही तो दृग धोये थे
कालिदास, सच-सच बतलाना
रति रोयी या तुम रोये थे ?

 

वर्षा ऋतु की स्निग्ध भूमिका
प्रथम दिवस आषाढ़ मास का
देख गगन में श्याम घन घटा
विधुर यक्ष का मन जब उचटा
खड़े-खड़े तब हाथ जोड़कर
चित्रकूट से सुभग शिखर पर
उस बेचारे ने भेजा था

जिनके ही द्वारा संदेशा
उन पुष्करावर्त मेघों का
साथी बनकर उड़ने वाले
कालिदास, सच-सच बतलाना
पर पीड़ा से पूर-पूर हो
थक-थककर औ' चूर-चूर हो
अमल-धवल गिरि के शिखरों पर
प्रियवर, तुम कब तक सोये थे ?
रोया यक्ष कि तुम रोये थे ?
कालिदास, सच-सच बतलाना !

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत कुछ पूछ दिया आपने इस कविता के माध्यम से ....नागार्जुन जी की रचना को हम सब के साथ साँझा करने के लिए आपका आभार ...!

    जवाब देंहटाएं
  2. जिनके ही द्वारा संदेशा
    उन पुष्करावर्त मेघों का
    साथी बनकर उड़ने वाले
    कालिदास, सच-सच बतलाना
    पर पीड़ा से पूर-पूर हो
    थक-थककर औ' चूर-चूर हो
    अमल-धवल गिरि के शिखरों पर
    प्रियवर, तुम कब तक सोये थे ?
    रोया यक्ष कि तुम रोये थे ?
    कालिदास, सच-सच बतलाना !बाबा नागार्जुन जी की एक विचारपरक ओज और तेज़ से भरपूर रचना .आभार . डॉ .मनोज भाईसाहब ,इस दौर में आपका संग साथ ही अन्ना जी की ताकत है .ऊर्जा और आंच दीजिए इस मूक क्रान्ति को .बेहतरीन जानकारी दी है आपने बहुत अच्छी पोस्ट .लगाईं है मुगलों के दौर के बाबत जय ,जय अन्ना जी ,जय भारत .
    ram ram bhai

    सोमवार, २२ अगस्त २०११
    अन्ना जी की सेहत खतरनाक रुख ले रही है . /
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    .
    .आभार .....इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार ./ http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com
    Tuesday, August 23, 2011
    इफ्तियार पार्टी का पुण्य लूटना चाहती है रक्त रंगी सरकार .
    जिस व्यक्ति ने आजीवन उतना ही अन्न -वस्त्र ग्रहण किया है जितना की शरीर को चलाये रखने के लिए ज़रूरी है उसकी चर्बी पिघलाने के हालात पैदा कर दिए हैं इस "कथित नरेगा चलाने वाली खून चुस्सू सरकार" ने जो गरीब किसानों की उपजाऊ ज़मीन छीनकर "सेज "बिछ्वाती है अमीरों की ,और ऐसी भ्रष्ट व्यवस्था जिसने खड़ी कर ली है जो गरीबों का शोषण करके चर्बी चढ़ाए हुए है .वही चर्बी -नुमा सरकार अब हमारे ही मुसलमान भाइयों को इफ्तियार पार्टी देकर ,इफ्तियार का पुण्य भी लूटना चाहती है ।
    अब यह सोचना हमारे मुस्लिम भाइयों को है वह इस पार्टी को क़ुबूल करें या रद्द करें .उन्हें इस विषय पर विचार ज़रूर करना चाहिए .भारत देश का वह एक महत्वपूर्ण अंग हैं ,वाइटल ओर्गेंन हैं .

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com//......
    गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
    Posted by veerubhai on Sunday, August 21
    २३ अगस्त २०११ १:३६ अपराह्न

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  3. अब कोई पर पीड़ा से पूर-पूर नहीं होता है बल्कि हँसता है। बाबा नागार्जुन को शत-शत नमन।

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  4. बाबा नागार्जुन की कविता कालिदास पढ़ कर अच्छा लगा । धन्यवाद।

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  5. जैनेन्द्र कुमार दास20 जून 2012 को 3:44 pm बजे

    कवि होना और बात है परंतु कवि हृदय तो सिर्फ़ निराला ही थे और बाबा तो कहीं कहीं उनसे भी बढकर थे । कोटि कोटि नमन....

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  6. बाबा नागार्जुन को शत् शत् नमन

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  7. महानतम राज्य के यशश्वी सम्राट की प्रेम का करूणामयी मर्म कथा है

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