निराला की कविता-4
संध्या-सुंदरी
दिवसावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही है
वह संध्या-सुंदरी परी-सी
धीरे-धीरे-धीरे,
तिमिरांचल में चंचलता का नहीं कहीं आभास,
मधुर मधुर हैं दोनों उसके अधर,
किन्तु गंभीर, -- नहीं है उनमें हास-विलास।
हँसता है तो केवल तारा एक
गुँथा हुआ उन घुँघराले काले-काले बालों से,
हृदय-राज्य की रानी का वह करता है अभिषेक।
अलसता की-सी लता
किंतु कोमलता की वह कली,
सखी नीरवता के कंधे पर डाले बाँह,
छाँह-सी अंबर-पथ से चली।
नहीं बजती उसके हाथों में कोई वीणा,
नहीं होता कोई अनुराग-राग आलाप,
नूपुरों में भी रूनझुन-रूनझुन नहीं,
सिर्फ़ एक अव्यक्त शब्द-सा "चुप चुप चुप"
है गूँज रहा सब कहीं-
व्योम मंडल में - जगतीतल में -
सोती शांत सरोवर पर उस अमल कमलिनी-दल में --
सौन्दर्य-गर्विता सरिता के अतिविस्तृत वक्षः स्थल में --
धीर वीर गंभीर शिखर पर हिमगिरि-अटल-अचल में --
उत्ताल-तरंगाघात-प्रलय-घन-गर्जन-जलधि-प्रबल में --
क्षिति में--जल में--नभ में अनिल अनल में --
सिर्फ़ एक अव्यक्त शब्द-सा "चुप चुप चुप"
है गूँज रहा सब कहीं --
और क्या है? कुछ नहीं।
मदिरा की वह नदी बहाती आती,
थके हुए जीवों को वह सस्नेह
प्याला एक पिलाती
सुलाती उन्हें अंक पर अपने,
दिखलाती फिर विस्मृति के वह कितने मीठे सपने।
अर्द्धरात्रि की निश्चलता में हो जाती जब लीन,
कवि का बढ़ जाता अनुराग,
विरहाकुल कमनीय कंठ से
आप निकल पड़ता तब एक विहाग।
संध्या-सुंदरी.....निराला की कविता की बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंद अल्टीमेट!!निराला के विषय में इसके सिवा कहा भी क्या जा सकता है!!
जवाब देंहटाएंbahut sunndar abhivyakti ....
जवाब देंहटाएंविषय-वस्तु की दृष्टि से निराला जी ने अपनी कविता " संध्या-सुंदरी " में प्रकृति का मानवीकरण कर अपनी छायावादी प्रकृति का परिचय दिया है । उन्होंने अपनी कविताओं में भाव एवं भाषा दोनों का समन्वय कर अपने उदगारों को एक पृथक पहचान दिया है । छायावाद के अन्य कवियों से अलग हट कर उन्होंने अनछुए विषयों पर लिख कर अपने विषय वैविध्य को एक नया आयाम दिया है । निराला को पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंहिन्दी जगत के साहित्य-मनीषियों और उनकी कालजयी रचनाओं को ब्लॉग के माध्यम से विश्व-मंच पर प्रस्तुत करने की आपकी यह पहल निश्चित रूप से स्वागत-योग्य है. अच्छी लगी महाप्राण निरालाजी की यह कविता .
जवाब देंहटाएंनिराला जी की सुन्दर रचना की प्रस्तुति के लिए आभार ..
जवाब देंहटाएंनिरालाजी की बेहतरीन रचना पढ़वाने के लिए आभार .....
जवाब देंहटाएंनिराला जी की सुन्दर रचना के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंनिराला जी की संध्या-सुंदरी रचना पढ़ कर सदा की भांति सुखद लगा...सुन्दर प्रस्तुति.
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