अदम गोंडवी
जन्म - २२ अक्टूबर १९४७
मृत्यु - १८ दिसंबर २०११
घर में ठंडे चूल्हे पर अगर खाली पतीली है।
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।।
भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी।
सुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है।।
बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया में।
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है।।
सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास वो कैसे।
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है।।
बताओ कैसे लिख दूँ धूप फाल्गुन की नशीली है।।
भटकती है हमारे गाँव में गूँगी भिखारन-सी।
सुबह से फरवरी बीमार पत्नी से भी पीली है।।
बग़ावत के कमल खिलते हैं दिल की सूखी दरिया में।
मैं जब भी देखता हूँ आँख बच्चों की पनीली है।।
सुलगते जिस्म की गर्मी का फिर एहसास वो कैसे।
मोहब्बत की कहानी अब जली माचिस की तीली है।।
राम नाथ सिंह (अदम गोंडवी) की गजलों में मतलबपरस्त राजनीति का पर्दाफाश है । साथ ही साधनहीन लोगों के लिए गहरी संवेदना है। उन्होंने वोटों की राजनीति, सांप्रदायिकता और घोटालों पर हमेशा कड़ा प्रहार किया । उनकी गजलों में आम आदमी के मन की बात रोशन होती है। वे अपने गोंडा जिले में ही नही वल्कि देश के कई शहरों मे अपने गजल को पेश कर चुके हैं । उनको याद करने के बहाने ही सही, आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । लोगों की पीड़ा को हमदर्दी से समझने वाले रामनाथ सिंह उर्फ अदम गोंडवी जी को विनम्र श्रद्धांजलि । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंWah!!! Wah !!! Wah!!!
जवाब देंहटाएंGazab ke sher....Padhvane ke liye dhanyavaad
अदम जी की तो बात ही निराली थी।
जवाब देंहटाएंvinamr shraddhanjali adam ji ko...
जवाब देंहटाएंFirst time read him, fantastic. Loved it...Regards to this personality.
जवाब देंहटाएंक्या गज़ब की गज़ल है.
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