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गुरुवार, 25 नवंबर 2010

नवगीत :: गीत मेरे अर्पित हैं

Sn Mishraइस श्रृंखला की पाचवीं कड़ी के रूप में आज प्रस्तुत है श्यामनारायण मिश्र जी की एक और रचना गीत मेरे अर्पित हैं। श्यामनारायण मिश्र जी के लिए काव्य लेखन क्षणिक आवेग या स्फुरण की प्रतिक्रिया नहीं रही, वे जन्मान्तरों और मन्वन्तरों पर आस्था रखने वाले परम्परा और अनुवांशिकता में पूर्ण विश्वास रखने वाले ग्रामीण थे। वे काव्य को सनातन और संस्कृति का प्रवक्ता मानते थे। उनका कहना था कि कविता समकालीन अवश्य हो पर उसे ऐतिहासिक स्वरूप से किसी न किसी तल पर जुड़ा भी होना चाहिए।



गीत मेरे अर्पित हैं

ख़ून की उबालों को,
क्रांति की मशालों को
गीत मेरे अर्पित हैं

तोतली जुबानों पर
दूनिया-पहाड़ों के
अंक जो चढाते हैं
तंग हुए हाथों से
आलोकित माथों से
ज्ञान जो लुटाते हैं,
विद्याधन वालों को,
फटे हुए हालों को
गीत मेरे अर्पित हैं।

खेत में, खदानों में
मिलों कारखानों में,
जोखिम जान के लिए,
पांजर भर गात नहीं
आतों भर भात नहीं,
सदियों से ओठ सिए
खाट के पुआलों को,
लेटे कंकालों को,
गीत मेरे अर्पित हैं।

खेतों की मेड़ों पर,
शीशम के पेड़ों पर,
बांधते मचानों को
माटी को पूज रहे,
माटी से जूझ रहे,
परिश्रमी किसानों को
स्वेद भरे भालों को
फावड़े-कुदालों को
गीत मेरे अर्पित हैं।

17 टिप्‍पणियां:

  1. खेतों की मेड़ों पर, शीशम के पेड़ों पर, बांधते मचानों को माटी को पूज रहे, माटी से जूझ रहे, परिश्रमी किसानों को स्वेद भरे भालों को फावड़े-कुदालों को गीत मेरे अर्पित हैं।

    शीर्षक में गज़ब का आकर्षण है जो यहाँ तक खींच लाया .सुन्दर कविता.

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  2. dhanyawaad Manoj ji shyamnarayan ji se milwane ke liye
    aapka bahut bahut dhanyawaad

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  3. बहुत ही बेहतरीन रचना है... ज़बरदस्त!

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  4. बहुत बढ़िया रचना प्रस्तुति...आभार

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  5. बेहतरीन प्रस्तुति……………दिल को छू गयी।

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  6. एक खूबसूरत कविता से परिचय कराने के लिए आपको मेरी बधाई अर्पित है ।

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  7. कई बार,प्रकृति के न्याय पर ताज्जुब होता है!

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  8. श्यामनारायण जी के नवगीत पढने का सुख ही अलग है। हर पंक्ति में कुछ अनूठा होता है।

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  9. श्यामनारायण मिश्र जी के नवगीत की अनूठी बानगी लिए, भाव प्रवण प्रस्तुति दिल को छू गई. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  10. बहुत सुन्दर है ये नवगीत .... दिल में उतर गया ...

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  11. isse achchhi janvadi rachna kya ho sakti hai vah bhi geet ke kalevar me.
    bahut sarthak jameeni rachna.

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