इस श्रृंखला की पाचवीं कड़ी के रूप में आज प्रस्तुत है श्यामनारायण मिश्र जी की एक और रचना गीत मेरे अर्पित हैं। श्यामनारायण मिश्र जी के लिए काव्य लेखन क्षणिक आवेग या स्फुरण की प्रतिक्रिया नहीं रही, वे जन्मान्तरों और मन्वन्तरों पर आस्था रखने वाले परम्परा और अनुवांशिकता में पूर्ण विश्वास रखने वाले ग्रामीण थे। वे काव्य को सनातन और संस्कृति का प्रवक्ता मानते थे। उनका कहना था कि कविता समकालीन अवश्य हो पर उसे ऐतिहासिक स्वरूप से किसी न किसी तल पर जुड़ा भी होना चाहिए।
गीत मेरे अर्पित हैं
ख़ून की उबालों को,क्रांति की मशालों को
गीत मेरे अर्पित हैं
तोतली जुबानों पर
दूनिया-पहाड़ों के
अंक जो चढाते हैंतंग हुए हाथों से
आलोकित माथों से
ज्ञान जो लुटाते हैं,विद्याधन वालों को,
फटे हुए हालों को
गीत मेरे अर्पित हैं।
खेत में, खदानों में
मिलों कारखानों में,
जोखिम जान के लिए,पांजर भर गात नहीं
आतों भर भात नहीं,
सदियों से ओठ सिएखाट के पुआलों को,
लेटे कंकालों को,
गीत मेरे अर्पित हैं।
खेतों की मेड़ों पर,
शीशम के पेड़ों पर,
बांधते मचानों कोमाटी को पूज रहे,
माटी से जूझ रहे,
परिश्रमी किसानों कोस्वेद भरे भालों को
फावड़े-कुदालों को
गीत मेरे अर्पित हैं।
खेतों की मेड़ों पर, शीशम के पेड़ों पर, बांधते मचानों को माटी को पूज रहे, माटी से जूझ रहे, परिश्रमी किसानों को स्वेद भरे भालों को फावड़े-कुदालों को गीत मेरे अर्पित हैं।
जवाब देंहटाएंशीर्षक में गज़ब का आकर्षण है जो यहाँ तक खींच लाया .सुन्दर कविता.
dhanyawaad Manoj ji shyamnarayan ji se milwane ke liye
जवाब देंहटाएंaapka bahut bahut dhanyawaad
बहुत ही बेहतरीन रचना है... ज़बरदस्त!
जवाब देंहटाएं... behatreen !!!
जवाब देंहटाएंBahut pasand aayi rachana!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना प्रस्तुति...आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति……………दिल को छू गयी।
जवाब देंहटाएंएक खूबसूरत कविता से परिचय कराने के लिए आपको मेरी बधाई अर्पित है ।
जवाब देंहटाएंकई बार,प्रकृति के न्याय पर ताज्जुब होता है!
जवाब देंहटाएंaisi shakhsiyat aur unki khoobsurat rachna se avgat karane ke liye bahut bahut shukriya.
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंश्यामनारायण जी के नवगीत पढने का सुख ही अलग है। हर पंक्ति में कुछ अनूठा होता है।
जवाब देंहटाएंश्यामनारायण मिश्र जी के नवगीत की अनूठी बानगी लिए, भाव प्रवण प्रस्तुति दिल को छू गई. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
हदृयस्पशी कविता ... ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर है ये नवगीत .... दिल में उतर गया ...
जवाब देंहटाएंisse achchhi janvadi rachna kya ho sakti hai vah bhi geet ke kalevar me.
जवाब देंहटाएंbahut sarthak jameeni rachna.
सुन्दर प्रस्तुति!
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