वक्त के साथ पकड़ लिए थे मैंने कुछ जुगनू लेकिन उनकी रौशनी छुप गयी वक्त की गर्द में .. भाषा हो मौन की , एहसास हों ज़िंदगी के व्यवहार में थोड़ी गहराई लाइए भावनाएं हो जाएँ न कहीं दूषित इसलिए मुझे शब्द नहीं चाहिए . आँख से इस कदर पानी गिरा कि लोग समझे ज़बरदस्त मानसून आया है . पलकों को निचोडने की कोशिश में समा गयी हाथों में सूखी रेत तब जाना कि आँखें मेरी रेगिस्तान बन गयी हैं संगीता स्वरुप |
सार्थक सुन्दर भाव कणिकाएं ,ऐसा ही होता है जुगनू ही मिलतें हैं मार्ग में पर बला के खूबसूरत लगतें हैं ,आस बंधातें हैं ज़िन्दगी की .
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएं सारगर्भित है बधाई .....
जवाब देंहटाएंपलकों को
जवाब देंहटाएंनिचोडने की
कोशिश में
समा गयी
हाथों में
सूखी रेत
तब जाना कि
आँखें मेरी
रेगिस्तान बन गयी हैं
bahut sunder kshanikaayen sangeeta ji...
बहुत खूब एहसास इतने शक्तिशाली होते हैं जिन्हें व्यक्त करने के लिये सच ही शब्द नही चाहिये होते व्यवहार सब कुछ बता देता है। सुन्दर क्षणिकाओं के लिये बधाई।
जवाब देंहटाएंवक्त के साथ
जवाब देंहटाएंपकड़ लिए थे
मैंने कुछ जुगनू
लेकिन उनकी रौशनी
छुप गयी
वक्त की गर्द में ..aapki kalam me we kaundh rahe , bahut hi khoobsurat panktiyaan
दिल से निकली ...सुंदर क्षणिकाएं ....
जवाब देंहटाएंabhar.
सचमुच शब्दों के जुगनू बिखेर देती हैं आप जो बूँदों-बरसातवाली पृष्ठभूमि पा कर और आकर्षक लगते हैं .
जवाब देंहटाएंइतनी दुखी दुखी बाते आखिर आप लोग कैसे कर लेते हैं? मुझे क्षमा करना, मैं तो विपरीत परिस्थिति में भी स्वयं को कमजोर नहीं पाती।
जवाब देंहटाएंBahut sundar kshanikaayen.aabhar
जवाब देंहटाएंजुगनुओं से मिली रोशनी, मौन की भाषा, आँसुओं की बारिश और आँखों के रेगिस्तान हृदय की व्यथा बखूबी बयान कर रहे हैं ! बहुत ही सक्षम एवं भावपूर्ण क्षणिकायें हैं संगीता जी ! आपकी लेखनी को नमन !
जवाब देंहटाएंकभी निःशब्द मौन तो कभी अश्रुहीन रेगिस्तान नयन, जीवन सत्य है
जवाब देंहटाएंचारों क्षणिकाएँ अम्न को मोह लेती हैं.. वक़्त के जुग्नुओं से लम्हे हों (हम भूल जाते हैं कि इन पर जमी गर्द कभी कभी सदियों तक नहीं हट पातीं, भूल हमारी है कि हम गर्द जमने ही क्यों देते हैं), मौन का मुखर सम्वाद हो, आँसुओं की बाढ हो या आँखों का रेगिस्तान!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत एक्सप्रेशन!!
ye khyaal ..jugnuon se ...achchha expression ...
जवाब देंहटाएंvery nice.....all r gd
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसारगर्भित भावों से परिपूर्ण क्षणिकायें ..... सादर !
जवाब देंहटाएंकौन सी पकडूँ और कौन सी छोडूँ……………हर क्षणिका गहन वेदना की अनुभूती है।
जवाब देंहटाएंवाह एक से बढ़कर एक
जवाब देंहटाएंहृदयस्पर्शी क्षणिकाएं। भावनाओं को भर दिया है इनमें आपने।
जवाब देंहटाएंजुगनू की रोशनी का नि:शब्द मौन
जवाब देंहटाएंआँसू बहाता मरुथल में कौन.
सभी क्षणिकायें एक से बढ़ कर एक.
पलकों को निचोडने की कोशिश में
जवाब देंहटाएंसमा गयी हाथों में सूखी रेत
तब जाना कि आँखें मेरी
रेगिस्तान बन गयी हैं ..
बहुत खूब ... कितनी गहराई लिए हैं सब क्षणिकाएं ... और इन चार लाइनों में तो उदासी की दास्तान लिखी हुयी है ...
गहरी भावपूर्ण क्षणिकाएं. तस्वीरों के साथ और भी प्राभावशाली हो गई हैं.
जवाब देंहटाएंMumma...
जवाब देंहटाएंwo maun waali kshanika bahut pasand aayi mujhe to..:)
badhayi shadhaayi.....:)
bahut khoob....aabhar...
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