सुमित्रानन्दन पन्त
जन्म : 20 मई 1900 को अल्मोड़ा जनपद के कौसानी नामक गांव में हुआ था।
शिक्षा : हाई स्कूल की परीक्षा 1920 में पास की। 1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आन्दोलन के आह्वान पर उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया और घर पर ही हिन्दी, संस्कृत, बँगला और अंग्रेजी का अध्ययन करने लगे।
वृत्ति :: इलाहाबाद आकाशवाणी के शुरुआती दिनों में प्रोड्यूसर और फिर हिन्दी सलाहकार के रूप में भी कार्य किया।
पुरस्कार : 1961 में इन्हें भारत सरकार की ओर से ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। 1961 में ही ‘कला और बूढ़ा चांद’ पर इन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला। ‘चिदम्बरा’ पर 1969 में इन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मनित किया गया। भारत सरकार की हिन्दी-विरोधी नीति और अपने हिन्दी प्रेम के कारण अपना क्षोभ व्यक्त करते हुए इन्होंने ‘पद्मभूषण’ की उपाधि लौटा दी।
मृत्यु : 28 दिसम्बर 1977 को इनका निधन हो गया।
मृत्यु : 28 दिसम्बर 1977 को इनका निधन हो गया।
:: प्रमुख रचनाएं ::
:: काव्य रचनाएँ :: कविता-संग्रह : वीणा(1927), ग्रंथी (1919), उच्छवास(1920), पल्लव(1928), गुंजन (1932), युगांत, युगांतर, युगवाणी, ग्राम्या, स्वर्ण किरण, स्वर्णधूलि, उत्तरा, कला और बूढा चाँद, चिदंबरा, लोकायतन, सत्यकाम, मुक्तियज्ञ, तारापथ, मानसी, रजतशिखर, शिल्पी, सौवर्ण, अतिमा, वाणी, रश्मिबंध, समाधिता, किरण वीणा, गीत हंस, गंध वीथी, पतझड़, अवगुंठित, ज्योत्सना, मेघनाद वध।
:: उपन्यास :: हार (15 वर्ष की अवस्था में ही लिख डाला था)
:: निबंध संग्रह :: आधुनिक कवि
:: रेडियो रुपक :: ज्योत्सना
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