"धर्मराज , है याद व्यास का
वह गंभीर वचन क्या ?
ऋषि का वह यज्ञान्त -काल का
विकट भविष्य कथन क्या ?
जुटा जा रहा कुटिल ग्रहों का
दुष्ट योग अम्बर में
स्यात जगत पडने वाला है
किसी महा संगर में .
तेरह वर्ष रहेगी जग में
शांति किसी विध छायी
तब होगा विस्फोट, छिडेगी
कोई कठिन लड़ाई .
होगा ध्वंस कराल, काल
विप्लव का खेल रचेगा ,
प्रलय प्रकट होगा धरणी पर
हा - हा कार मचेगा .
यह था वचन सिद्ध दृष्टा का
नहीं निरी अटकल थी
व्यास जानते थे वसुधा
जा रही किधर पल-पल थी .
सब थे सुखी यज्ञ से , केवल
मुनि का ह्रदय विकल था
वही जानते थे कि कुण्ड से
निकला कौन अनल था .
भरी सभा के बीच उन्होंने
सजग किया था सबको
पग-पग पर संयम का शुभ
उपदेश दिया था सबको .
किन्तु अहम्म्य ,राग -दीप्त नर
कब संयम करता है ?
कल आने वाली विपत्ति से
आज कहाँ डरता है ?
बीत न पाया वर्ष काल का
गर्जन पड़ा सुनाई
इन्द्रप्रस्थ पर घुमड़ विपद की
घटा अतर्कित छायी .
किसे ज्ञात था खेल-खेल में
यह विनाश छायेगा ?
भारत का दुर्भाग्य द्यूत पर
चढा हुआ आएगा ?
कौन जानता था कि सुयोधन
की घृति यों छूटेगी ?
राजसूय के हवन- कुण्ड से
विकट- वह्नि फूटेगी ?
तो भी है सच , धर्मराज !
यह ज्वाला नयी नहीं थी
दुर्योधन के मन में वह
वर्षों से खेल रही थी .
बिंधा चित्र-खग रंग भूमि में
जिस दिन अर्जुन- शर से
उसी दिवस जनमी दुरग्नि
दुर्योधन के अन्तर से .
बनी हलाहल वही वंश का
लपटें लाख भवन की
द्यूत-कपट शकुनी का वन-
बहुत अच्छी प्रस्तुति!!
जवाब देंहटाएंकुछ अनुभूतियाँ इतनी गहन होती है कि उनके लिए शब्द कम ही होते हैं !
जवाब देंहटाएंकिसे ज्ञात था खेल-खेल में
जवाब देंहटाएंयह विनाश छायेगा ? sahi bat hai kabhi-kabhi khel-khel me bat itni badh jati hai ki use sambhalna mushkil ho jata hai.
Bahut aanand aa raha hai ise padhne me!
हटाएंजीत की संभावना और प्रतिष्ठा खोने के इस द्वंद्व के बीच, भाग्य अपनी गति से चल रहा था जिस पर कम से कम कौरवों और पांडवों की नज़र तो नहीं थी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंकौन जानता था कि सुयोधन की घृति यों छूटेगी ?
जवाब देंहटाएंराजसूय के हवन- कुण्ड से विकट- वह्नि फूटेगी ?
बड़ा ही रोचक प्रसंग आया है।
sunder prastuti.
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