गांधीजी ने कहा था-''एक महिला को पढ़ाओगे तो पूरा परिवार पढ़ेगा'' उन्होंने 23 मई, 1929 को 'यंग इण्डिया' में लिखा-''जरूरी यह है कि शिक्षा प्रणाली को दुरूस्त किया जाए. उसे आम जनता को ध्यान में रखकर बनाया जाए.'' गांधीजी मानते थे-''ऐसी शिक्षा होनी चाहिए जो लड़का-लड़कियों को खुद के प्रति उत्तारदायी और एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना पैदा करे. लड़कियां के भीतर अनुचित दबावों के खिलाफ विद्रोह पैदा हो. इससे तर्कसंगत प्रतिरोध होगा.'' इसलिए महिला आंदोलनों को तर्कसंगत प्रतिरोध के लिए अपने एजेण्डा में 'लड़कियों की शिक्षा' को केन्द्रीय स्थान देना चाहिए. महिलाओं की अलग पहचान के लिए भारतीय शिक्षा पध्दति, शिक्षक और पाठयक्रमों की कार्यप्रणाली पर नए सिरे से सोचना भी जरूरी है.
प्रोफ़ेसर साहब साहब इतना सारगर्भित आलेख राजभाषा हिन्दी पर पोस्ट करने के लिये आपका दिल से आभार। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है। भविष्य में भी आप कि कृपा दृष्टि बनी रहे यही कामना है।
गांधीजी ने कहा था-''एक महिला को पढ़ाओगे तो पूरा परिवार पढ़ेगा'' उन्होंने 23 मई, 1929 को 'यंग इण्डिया' में लिखा-''जरूरी यह है कि शिक्षा प्रणाली को दुरूस्त किया जाए. उसे आम जनता को ध्यान में रखकर बनाया जाए.'' गांधीजी मानते थे-''ऐसी शिक्षा होनी चाहिए जो लड़का-लड़कियों को खुद के प्रति उत्तारदायी और एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना पैदा करे. लड़कियां के भीतर अनुचित दबावों के खिलाफ विद्रोह पैदा हो. इससे तर्कसंगत प्रतिरोध होगा.'' इसलिए महिला आंदोलनों को तर्कसंगत प्रतिरोध के लिए अपने एजेण्डा में 'लड़कियों की शिक्षा' को केन्द्रीय स्थान देना चाहिए. महिलाओं की अलग पहचान के लिए भारतीय शिक्षा पध्दति, शिक्षक और पाठयक्रमों की कार्यप्रणाली पर नए सिरे से सोचना भी जरूरी है.
जवाब देंहटाएंप्रोफ़ेसर साहब साहब इतना सारगर्भित आलेख राजभाषा हिन्दी पर पोस्ट करने के लिये आपका दिल से आभार। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है। भविष्य में भी आप कि कृपा दृष्टि बनी रहे यही कामना है।
बहुत ही बढ़िया आलेख.
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