नमस्कार मित्रों!
राजभाषा हिन्दी को लेकर एक ब्लॉग बनाया जाए इसकी परिकलपना अनूप शुक्ल जी के मन में थी। कोलकाता आए हुए थे। बातचीत के क्रम में उन्होंने कहा कि आप अपने संगठन में राजभाषा हिन्दी के क्रियान्वयन का काम भी देखते हैं और सचिव कोलकाता नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति भी हैं, सो क्यों नहीं एक ब्लॉग बनाते हैं जो पूर्णतया राजभाषा हिन्दी को समर्पित हो!
उनकी बात जंची। पर मुझे ‘मनोज’ ब्लॉग के निर्धारित साप्ताहिक कार्यक्रम को नियमित और सुचारू रूप से चला पाने के बीच इस नई ज़िम्मेदारी को निबाह पाऊंगा या नहीं, का डर और संशय था। अपने स्वभाव के अनुरूप अनूप जी ने मुझे विश्वास दिलाया कि यह काम काफ़ी आसानी से होगा। संगठन के ४० हिन्दी अधिकारी और डेढ सौ अनुवादक अगर सहयोग देने लगें तो इस ब्लॉग को कोई परेशानी नहीं होगी। उन दिनों अनूप जी भी अपनी निर्माणी (फ़ैक्टरी) में राजभाषा क्रियान्वयन का काम देख रहे थे। मैंने सोचा इतने वरिष्ठ ब्लॉगर का आशीर्वाद रहेगा तो यह संभव होगा ही। मुझे तब क्या मालूम था कि चने के झाड़ पर चढने जा रहा हूं मैं।
खैर अपने कार्यालय के हिन्दी अधिकारी जुगल किशोर जी एवं अनुवादक साधना, शमीम, प्रेमसागर और रीता के साथ हमने बैठक की और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इसे शुरु किया जाए। हमने विद्या-बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के चरणों में वंदन करके वसंतपंचमी के दिन २० जनवरी २०१० को इस ब्लॉग का श्रीगणेश कर ही दिया।
तब मेरे इन सहयोगियों ने कहा कि आप पर लोड नहीं आएगा, … हम हैं साथ। जुगल किशोर जी ब्लॉगनियंत्रक की भूमिका निभाने को तैयार हो गए। बाक़ी अनुवादकों ने रचनात्मक सहयोग देने की जिम्मेदारी ली। हम आगे बढे। बीच में कुछ और लोग राजभाषा हिन्दी को आगे बढाने की अपनी मंशा के साथ इस ब्लॉग से जुड़े। सबसे ज़्यादा मैं ऋणि हूं संगीता स्वरूप जी का। वो इस संकल्प के साथ इससे जुड़ीं कि आप एक अच्छा काम कर रहे हैं और मैं आपको सहयोग देना चाहती हूं। तब से वो नियमित रूप से सप्ताह में एक दिन, सोमवार को इस ब्लॉग पर पोस्ट डाल रहीं हैं। उन्होंने ही रेखा श्रीवस्तव जी को भी प्रेरित किया इस ब्लॉग से जुड़ने को और इधर हमारे ही संगठन के संतोष गुप्त भी इस पर पोस्ट डालने लगे। अरुण रॉय से भी निवेदन किया कि वो इससे जुड़ें और उन्होंने भी इसे सहर्ष स्वीकार किया।
कारवां आगे बढा और बढता गया। हमारे ब्लॉग ‘मनोज’ के भी सहयोगी करण, परशुराम राय, और हरीश गुप्त सहयोग देते रहे। चंदन का नाम लेना कैसे भूल सकता हूं, जिसने अपनी ऊर्जा, उत्साह और परिश्रम से इस ब्लॉग की गतिविधियों को गतिवान बनए रखा।
मैं आज एक वर्ष पूरा होने पर अपने सभी सहयोगियो और इसके फॉलोअर और पाठकों का आभार प्रकट करता हूं। आपके द्वारा दिए गए प्रेरणा और मनोबल के फलस्वरूप ही इस ब्लॉग पर हम एक साल में 428 पोस्ट डाल सके।
आप सबों का आभार।
आज इस अवसर पर मैं हमारे गुरु तुल्य स्व, श्री श्यामनारायण मिश्र जी का एक नवगीत पेश कर रहा हूं। दक्षिण भारत के मेदक जैसे स्थान पर राजभाषा हिन्दी के क्रियान्वयन में उनके सहयोग को मैं नहीं भूल सकता।
तक्षक की बेटी तक्षशिला पर बैठी
श्यामनारायण मिश्र
बैठ नहीं पाएगी, चिड़िया री!
रोप मत बवाल
ज़ंग लगी खूंटी है
टंगे हुए सैंकड़ों सवाल।
क़िस्मत ही खोटी है,
बिल्ली से बचे हुए
सुग्गे को निगल गई छिपकली।
अम्मा की धोती में रगड़ रही नाक
दूध और रोटी को मचली है लाडली।
गोकुल को लौट रहे
यमुना में डूब गए ग्वाल।
अभी जो हड़प्पा से आई है पाती,
आंखों में जलती रेत भर गई।
तक्षक की बेटी तक्षशिला पर बैठी
भेजे अनंतनाग बीन फिर नई।
गंधार के राजा, न्यौते पर आए हैं
पांसों की करने पड़ताल।
अभी संघमित्रा! श्रीलंका से लौटी है,
सिंघलियों की पुख्ता खोज खबर लेकर
सुना है विभीषण ने पुष्पक फिर मांगा है
टूट गए हैं वे डोंगी खे-खेकर।
दिशा और विदिशा फैले हैं।
सभी जगह जाल।
आपको और राजभाषा के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंइसके माध्यम से अनगिनत स्तरीय रचनाये पढ़ीं हैं और राजभाषा के लिए आपका योगदान सच में बहुत प्रशंसनीय है.
ये कारवां चलता रहे नित नई ऊचाइयां छुए यही कामना है.
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जवाब देंहटाएंमनोज जी ,
जवाब देंहटाएंराजभाषा ब्लॉग के एक साल पूरा होने पर बहुत बहुत बधाई ...इस कार्य को आप निष्ठापूर्वक कर रहे हैं ...मेरे थोड़े से सहयोग को आपने कुछ ज्यादा ही बढा चढा कर कह दिया है ...वैसे भी सभी को अपनी भाषा के विकास में अपना सहयोग देना चाहिए ...इस ब्लॉग पर आपने बहुत से ऐसे लेख दिए हैं जिनसे हम बहुत लाभ उठा सकते हैं विशेष रूप से काव्यशास्त्र पर लिखी गयी श्रृंखला ...
यह ब्लॉग निरंतर प्रगति करे और हमारे ब्लोगर साथी इस ब्लॉग से जुड़ें यही कामना है ...
आज का नवगीत भी बहुत से नए आयाम दे रहा है ...सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार
शुभकामनायें
मनोज भाई!
जवाब देंहटाएंऔर तमाम भाई लोग जो इस ब्लॉग के सृजन से लेकर विस्तार तक सहायक,सर्जक या प्रचारक रहे, मैं आप सबों का आभारी हूँ.. आभारी इसलिये कि इस ब्लॉग के द्वारा साहित्य में अभिरुचि को एक सार्थक दिशा मिली, अनेक विषयों को समझने की वैज्ञानिक दृष्टि प्राप्त हुई.
मनोज जी आप जिसे चने का झाड़ कह रहे हैं वह वटवृक्ष बन गया है!! हमारी दुआ है कि यह और घना और विस्तृत हो!
1. सबसे पहले आपके इस ब्लॉग के एकवर्ष पूरे होने की बधाई एवम् शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएं2. आप तो कोलकाता में हैं इसलिये सलिल भाई के वटवृक्ष को द ग्रेट बनयन ट्री मान लें!
3. इस नवगीत के समस्त बिम्ब अनूठे हैं.. प्रभावशाली नवगीत!!
बधाई और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई! और शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंराजभाषा ब्लॉग के एक वर्ष पूरे होने पर समस्त सक्रिय बन्धुओं एवं पाठकों को बधाई व शुभकामनाएँ। आशा है आपके प्रयासों से यह ब्लाग हिन्दी की सेवा में अग्रसर बना रहेगा।
जवाब देंहटाएंआभार
बधाई और शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत बधाई .हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंमनोज जी राजभाषा ब्लॉग पर आने से पूर्व इसे मैं नीरस ठेठ सरकारी हिंदी वाला ब्लॉग मान रहा था.. लेकिन जब पहली बार मई २०१० में आया तो यहाँ उपलब्ध सामग्री को देख खास तौर पर आपकी जिजीविषा को देख अचंभित था.. अभिभूत था.. राजभाषा से जुड़ने का आपका आग्रह मेरे लिए के उपलब्धि सी थी.. नियमित योगदान नहीं कर पा रहा इसका खेद अवश्य है. लेकिन नियमित हो जाऊंगा २०११ में.. आपकी ऊर्जा बनी रहे.. यह ब्लॉग सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में उभरे इन्ही कामनाओं के साथ राजभाषा के पहले वर्षगाँठ पर आपको आपकी पूरी टीम को हार्दिक शुभकामना..
जवाब देंहटाएं@ तक्षक.. ... के सन्दर्भ में
नवगीत में प्रतीकों.. खास तौर पर साहित्य और मिथ से प्रतीक उठाकर गीत रचने की परंपरा छायावादी युग के बाद कम ही रही है.. इस तरह यह एक अनुपम गीत है..
राजभाषा ब्लाग के एक वर्ष पूरे होने पर सभी सहयोगियों एवं रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। एक वर्ष के ऐतिहासिक सफरनामें के अवसर पर भारत का इतिहास खगालती स्व0 श्याम नारायण मिश्र जी की कविता से ब्लाग और गौरवान्वित हो उठा है।
जवाब देंहटाएंमनोज जी,
जवाब देंहटाएंशुभ कार्य की संस्तुति!!राजभाषा के वर्ष भर प्रयासो की सफलता पर बधाई।
राजभाषा सदस्य परिवार का अभिनंदन!!
सभी को सराहना संदेशो,और प्रोत्साहन के लिए आभार।
राजभाषा अमरत्व पाए, शुभकामनाएँ!!
आपकी ऊर्जा निश्चय ही अदम्य है. तीन-तीन ब्लोग्स का नियमित संचालन, चिटठा-चर्चा, चर्चा-मंच और अधिकाँश हिंदी ब्लोग्स पर उत्साहवर्धक उपस्थिति....... यह आपके वश की ही बात है. इस ब्लॉग पर प्रक्षिप्त सहयोग तो रहा परन्तु अधिक सक्रीय न होने का मलाल भी है..... लेकिन उस से बढ़ कर है इसके एक साल का सफलतम सफ़र पूरा करने की खुशी. मिश्रजी के नवगीत इस अवसर की गरिमा मे सोलह चाँद लगा रहे हैं. शुभ-कामना !
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत करते हैं आप .. आपको और राजभाषा के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई !!
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी!
जवाब देंहटाएंराजबाषा हिन्दी के जाल जगत पर एक साल पूरा करने के उपलक्ष्य में आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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यह भी संयोग ही कहा जाएगा कि उच्चारण ने भी आज दो साल पूरे कर लिए हैं और अपनी वर्षगाँठ मना रहा है।
बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमनोज जी ,
जवाब देंहटाएंराजभाषा ब्लॉग के एक साल पूरा होने पर बहुत बहुत बधाई .मुझे तो लग ही नही रहा कि एक साल हो गया शायद देर से जुडी होंगी मैं ……………आपका प्रयास बेहद सराहनीय है और जिस निष्ठा और लगन से आप लगे हैं उससे हिंदी का भविष्य बहुत उज्जवल है …………आपके ब्लोग पर बहुत ही उम्दा जानकारियाँ मिलती है जिससे ज्ञानवर्धन होता है…………यही कामना है ये ब्लोग नित नयी ऊँचाइयाँ छुये और आगे बढता रहे।
बहुत बहुत बधाई और ढेरो शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएं"हिंदी की सेवा ' का आपका यह प्रयास सचमुच बहुत ही सराहनीय है .
कई संग्रहणीय आलेख मिले इस ब्लॉग पर....और भी ऐसे ही आलेखों की प्रतीक्षा है...दूसरा साल भी यूँ ही,सफलतापूर्वक पूरा हो...
मनोज जी,
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिंदी की पहली वर्षगाँठ पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं! इसी तरह ये साल डर साल बड़ा और समृद्ध होता रहे . कुछ पारिवारिक अघोषित आपत्तियों के चलते अपने दायित्व को यथा समय पूरा नहीं कर पायी. भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हूँ. अपने ब्लॉग के लिए आपका समर्पण वाकई प्रशंसनीय है.
मनोज जी,
जवाब देंहटाएंराजभाषा ब्लॉग की पहली वर्षगांठ की हार्दिक शुभकामनाएं । राजभाषा ब्लॉग को इस मुकाम तक पहुंचाने में हमारा तो सिर्फ सहयोग ही रहा है पर इसकी कामयाबी का असली श्रेय को आप ही को जाता है । राजभाषा हिंदी के प्रति आपका प्रेम और लगन ही है जिसने इस ब्लॉग को सफल बनाया है। हम तो साधन मात्र है।
बाह क्या बात है !!
जवाब देंहटाएंपहले तो आपको इस बमलॉग की पहली वर्षगांठ पर लख-लख बधाइयां और शुभकामनाएं । यह तो हमारे लिए हर्ष और गौरव की बात है कि आपने हमें इस बलॉग के व्लॉगकर्ता के रूप में शामिल किया । हमारे लिए यह खुशी की बात है कि हमारे बीच के वरिष्ठ अधिकारी ने राजभाषा के प्रचार-प्रसार और विकास का बीड़ा उठाकर इसे सफलता की नई ऊंचाईयों तक पहुंचाया । आपका यह ब्लॉग दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति के पथ पर बढ़ता रहे यही मेरी ईश्वर से कामना है । जैसा भी और जब भी आप चाहेंगे हम सहयोग करने को तत्पर रहेंगे।
net की aswasthta पर झुंझलाते हुए soch ही रही थी कि कब यह ठीक होगी कि चिन्हित ब्लॉग पोस्टों को padhungi,कि is ब्लॉग के varshgaanth की खबर दे दी आपने...
जवाब देंहटाएंपहले तो बहुत बहुत badhaaiyan ...
kavita पढ़ मन विभोर हो गया....
आपका यह सद्प्रयास अनवरत निर्विघ्न सफलता आपये,यही ईश्वर से प्रार्थना है...
किस्मत की धनी हुई तो इससे जुड़ने की अभिलाषा मेरी भी पूरी होगी कभी न कभी......
बधाई और शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंमनोज जी एक साल इस ब्लॉग के पूर्व होने पर हार्दिक बधाई. बहुत ही अच्छा कार्य आप और आपकी टीम कर रही है. श्याम नारायण जी की नवगीत बहुत ही सुंदर है.....सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय मनोज जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
राजभाषा ब्लॉग के एक साल पूरा होने पर बहुत बहुत बधाई ..
बहुत बहुत बधाई और ढेरो शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! एक साल में 428 पोस्ट। बहुत अच्छा काम किया। अभी तो एक साल हुआ है। आगे और बहुत कुछ होगा। नयी-नयी ऊंचाइयां छू ली जायेंगी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा। बधाई।
कविता बहुत सुन्दर है।