आज का विचार- दुष्ट व्यक्ति से बचें |
दुर्जनेन समं सख्य वैरंचापि न कास्येत।
उष्णो दहति चांगारः शीतः कृष्णायते करम॥
--हितोपदेश
अर्थात
दुष्ट प्रकृति के मनुष्य के साथ न मित्रता करनी चाहिए न वैर। क्योंकि दुष्ट व्यक्ति दोनों ही स्थितियों में अनिष्ट करता है। जैसे कोयला जलता हुआ हो तो स्पर्श करने पर हाथ जला देता है और ठंडा हो तो हाथ काले कर देता है। |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
आप अपने सुझाव और मूल्यांकन से हमारा मार्गदर्शन करें