राजभाषा समिति 1957
संविधान के अनुच्छेद 344 के खंड (4) में किये गए प्रावधान के अनुसार सितंबर 1957 में 30 सदस्यों (20 लोकसभा और 10 राज्य सभा से ) की संसदीय समिति गठित की गई जिसे राजभाषा आयोग की सिफारिशों की समीक्षा करके उन पर अपनी राय का प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत करना था ।तदनुसार तत्कालीन गृहमंत्री श्री गोविंद बल्लभ पंत की अध्यक्षता में समिति ने व्यापक विचार विमर्श के पश्चात 8 फरवरी 1959 को राष्ट्रपति को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया । प्रतिवेदन की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जिनसे समिति के सामान्य दृष्टिकोण का परिचय मिलता है वह इस प्रकार है -
क) राजभाषा के बारे में संविधान में बड़ी समन्वित योजना दी गयी है इसमें योजना के दायरे से बाहर जाए बिना स्थिति के अनुसार परिवर्तन की गुजांइश है ।
ख) विभिन्न प्रादेशिक भाषाएं राज्यों में शिक्षा और सरकारी कामकाज के माध्यम के रूप में तेजी से अग्रेंजी का स्थान ले रही है ।यह स्वभाविक ही है कि प्रादेशिक भाषाएं अपना उचित स्थान प्राप्त करें। अत: व्यवहारिक दृष्टि से यह बात आवश्यक हो गयी हे कि संघ के प्रयोजनों के लिए कोई एक भारतीय भाषा काम में लाई जाए किन्तु यह आवश्यक नहीं है कि यह परिवर्ततन किसी नियत तारीख को ही वह परिवर्तन धीरे धीरे इस प्रकार किया जाना चाहिए कोई गड़बड़ न हो । कम से कम असुविधा हो ।
ग) 26 जनवरी 1965 तक अग्रेंजी मुख्य राजभाषा और हिन्दी सहायक राजभाषा के रूप में चलती रहनी चाहिए । 1965 में हिन्दी संघ की मुख्य राजभाषा हो जाएगी, किन्तु उसके उपरान्त अग्रेंजी सहायक राजभाषा के रूप में चलती रहनी चाहिए ।
घ) संघ के प्रयोजना में किसी के लिए अग्रेंजी के प्रयोग पर रोक इस समय नही लगाई जानी चाहिए और अनुच्छेद 343 के खंड (3) के अनुसार इस बात की व्यवस्था की जानी चाहिए कि 1965 के उपरान्त भी अग्रेंजी का प्रयोग इन प्रयोजना के लिए , जिन्हें संसद विधि द्वारा उल्लिखित करें, जब तक होता रहे तब तक कि वैसा करना आवश्यक हो ।
ड.) अनुच्छेद 351 का यह उपबंध कि हिन्दी का विकास ऐसे किया जाए कि वह भारत की सामासिक संस्कृति के तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके, अत्यन्त महत्वपूर्ण है और इस बात के लिए पूरा प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए कि सरल और सुबोध शब्द काम में जाए जाएं ।
प्रतिवेदन पर विचार विमर्श लोकसभा में 2 से 4 सितंबर ,1959 और राज्यसभा में 8-9 सितबंर 1959 को हुआ । इस पर विचार विमर्श के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री ने 4 सितंबर 1959
बहुत अच्छी लगी यह जानकारी.
जवाब देंहटाएंहिंदी की व्यथा (http://rachanaravindra.blogspot.com/2010/02/blog-post.html)
जवाब देंहटाएंदूजा ब्याह (http://rachanaravindra.blogspot.com/2010/01/blog-post_30.html)
हिंदी भाषा से सम्बंधित मेरी पोस्ट पढ़कर अपने अमूल्य कमेंट्स से अवगत करियेगा. हिंदी के प्रचार प्रसार में आप सभी का योगदान सराहनीय है. आभार.
ज्ञानवर्धक पोस्ट!
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कह रहीं बालियाँ गेहूँ की - "मेरे लिए,
नवसुर में कोयल गाता है - मीठा-मीठा-मीठा!"
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संपादक : सरस पायस
हम सभी को ये जानकारी होनी चाहिए
जवाब देंहटाएंvery good info.
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