अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
और हिन्दी
21 फरवरी को अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है। दुनिया के कई विकसित और विकासशील देश मातृभाषा की बदौलत ऊँचाइयों को छू रहे हैं। जापान हमारे सामने इसका आदर्श नमूना है। वह विश्व बाज़ार में एक आर्थिक और औद्योगिक शक्ति है और इस मुकाम तक वह अपनी मतृभाषा की बदौलत पहुंचा है। दूसरी तरफ़ हम चीन का उदाहरण भी ले सकते हैं जो विश्व पटल पर एक महा शक्ति बन कर उभरा है। अग़र उसके भी विकास के इतिहास को देखें तो पाते हैं कि उसकी मातृभाषा मंदारिन का इसमें अहम योगदान है।
हमारे संविधान निर्माताओं की आकांक्षा थी कि स्वतंत्रता के बाद देश का शासन हमारी अपनी भाषाओं में चले ताकि आम जनता शासन से जुड़ी रहे और समाज में एक सामंजस्य स्थापित हो और सबकी प्रगति हो सके।
इसमें कोई शक नहीं कि हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। पर यह भी सच है कि इस प्रगति का लाभ देश की आम जनता तक पूरी तरह पहुंच नहीं पा रहा है। इसके कारणों की तरफ़ जब हम दृष्टि डालते हैं तो पाते हैं कि हम शासन को जनता तक उसकी भाषा में पहुंचाने में अभी तक क़ामयाब नहीं हुए हैं। यह एक प्रमुख कारण है। जब तक इस काम में तेज़ी नहीं आती तब तक किसी भी क्षेत्र में देश की बड़ी से बड़ी उपलब्धि और प्रगति का कोई मूल्य नहीं रह जाता।
अन्तर्राष्ट्रीय मानचित्र पर अंग्रेज़ी के प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। किन्तु वैश्विक दौड़ में आज हिन्दी कहीं भी पीछे नहीं है। यह सिर्फ़ बोलचाल की भाषा ही नहीं, बल्कि सामान्य काम से लेकर इंटरनेट तक के क्षेत्र इसका प्रयोग बख़ूबी हो रहा है।
हमें यह अपेक्षा अवश्य है कि ’क’ क्षेत्र के शासकीय कार्यालयों में सभी कामकाज हिन्दी में हो। ’ख’ और ’ग’ क्षेत्र में भी निर्धारित प्रतिशत के अनुसार हिन्दी का प्रयोग होता रहे।
भूमण्डलीकरण के इस दौड़ में देशों की भौगोलिक दूरियां मिटती जा रही है। समय और गति आज महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। बाज़ार भाषा, व्यापार जगत का मापदण्ड होता जा रहा है। अतः यह ज़रूरी है कि हम अपनी कमियों को समझें। अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये योजनायें बनाएं। साथ ही भूमण्डलीकरण के वर्तमान परिवेश में अपनी संभानाओं को विकसित करने के लिये प्रयत्नशील रहें।
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यह लेख प्रस्तुत करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआपका खूब खूब आभार हमें जानकारी देने के लिए
जवाब देंहटाएंati uttam
जवाब देंहटाएंधन्याबाद
जवाब देंहटाएंधन्याबाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर एवं सार्थक लेख के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
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