कविता के नए सोपान (भाग-2)“कविता जटिल संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है।” |
प्रयोगवाद के बाद हिंदी कविता की जो नवीन धारा विकसित हुई, वह नई कविता है। जिनमें परंपरागत कविता से आगे नये भावबोधों की अभिव्यक्ति के साथ ही नये मूल्यों और नये शिल्प-विधान का अन्वेषण किया गया। श्री लक्ष्मीकांत वर्मा नयी कविता के प्रसिद्ध सिद्धांतकार और कवि हैं। इनकी रचना “नये प्रतिमान पुराने निकष”, “लक्ष्मीकांत वर्मा की प्रतिनिधि रचनाएँ” में संकलित हैं। उनका मानना था, अज्ञेय द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित 'तारसप्तक' के सात कवियों में से एक कवि गिरिजाकुमार माथुर भी हैं। गिरिजाकुमार माथुर का कहना था,
इस परिभाषा में दो महत्वपूर्ण और ध्यान देने वाली बात है। पहली यह कि नयी कविता जटिल संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है। और दूसरी बात यह कि माथुर जी द्वारा यह भी कहा गया कि इन जटिल संवेदनाओं को सर्वग्राह्य और सम्प्रेषणीय बनाता है। अर्थात् कवि के विचारों का साधारनीकरण भी उनके लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न था। |
गुरुवार, 19 अगस्त 2010
कविता के नए सोपान (भाग-2) :: “कविता जटिल संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है।”
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आभार इस आलेख का.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी।
जवाब देंहटाएंमुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया, महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हुई आपके आलेख के दौरान! धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!
वाह्…………………एक बार फिर नया आयाम पढने को मिला कविता का………………आभार्।
जवाब देंहटाएंनयी कविता जटिल संवेदनाओं की अभिव्यक्ति है। इन जटिल संवेदनाओं को सर्वग्राह्य और सम्प्रेषणीय बनाता है। अर्थात् कवि के विचारों का साधारनीकरण भी उनके लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न था।
जवाब देंहटाएंसटीक लगी यह बात ....आज की कविता सरल है ..भावों को लयात्मक ढंग से अभिव्यक्त करने वाली ...उत्तम प्रस्तुति
साधारणीकरण और सर्वग्राह्यता कविता को कालजयी बनाती है.
जवाब देंहटाएंaapke is blog ka har post main padhti jarahi hun aur sath hisath dher saari jankariyan bhi jo nishchit roop se mujhe bahut hi
जवाब देंहटाएंsahayog pradaan kar rahi hai iske liye aapko hardik dhanyvaad.aapko bhi aajadi ke parv ki shubh-kamnaaye.
poonam
एक जनकारी देता आलेख।
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हुई!
जवाब देंहटाएंसटीक लगी यह बात !
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