शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

अज्ञेय की कविताएं


सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायनअज्ञेय (1911-1987)
:: जीवन परिचय ::
जन्म :  7 मार्च 1911, उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कसया (कुशीनगर) ।  
शिक्षा :  बी एस सी अंगरेज़ी विषय में एम.. क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेने के कारण पूरी हो सकी। 
कार्यक्षेत्र 1936-1937 में `सैनिक',  `विशाल भारत', `वाक्' और `एवरीमैंस'  पत्रिकाओं का संपादन। 1939 में उन्होंने ‘ऑल इंडिया’ रेडियो में नौकरी। 1943 से 1946 तक ब्रिटिश सेना में 1947 में इलाहाबाद से `प्रतीक' का सम्पादन। 1955-1956 पश्चिमी यूरोप की यात्रा पर। 1957-58 पूर्वेशिया की यात्राएँ।  1961 केलिफोर्निया विश्वविद्यालय में भारतीय संकृति और साहित्य के अध्यापक। 1965 में ‘दिनमान’ का संपादक नियुक्त।
पुरस्कार :
() 1964 में `आँगन के पार द्वार' पर उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ।
() 1978 में 'कितनी नावों में कितनी बार' शीर्षक काव्य ग्रंथ पर भारतीय ज्ञानपीठ का सर्वोच्च पुरस्कार मिला।
मृत्यु : 4 अप्रैल 1987 को अज्ञेय जी का निधन हुआ।
:: प्रमुख रचनाएं ::
:: काव्य रचनाएँ  :: भग्नदूत, चिंता, इत्यलम्‌, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्र धनु रौंदे हुए ये, अरी करूणा प्रभामय, आंगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँसागर-मुद्रा, सुनहरे शैवाल, महावृक्ष के नीचे, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूं, और ऐसा कोई घर आपने देखा है इत्यादि उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं।
:: उपन्यास :: शेखर: एक जीवनी (दो भागों में), नदी के द्वीप, अपने अपने अजनबी।
:: कहानी-संग्रह ::  विपथगा, परंपरा, कोठरी की बात, शरणार्थी, जयदोल, ये तेरे प्रतिरूप आदि।
:: यात्रा वृत्तांत :: अरे यायावर रहेगा याद, एक बूंद सहसा उछली।
:: निबंध संग्रह :: त्रिशंकु, आत्मनेपद, हिंदी साहित्य: एक आधुनिक परिदृश्य, सबरंग और कुछ राग, लिखि कागद कोरे, जोग लिखी, अद्यतन, आल-बाल, आदि।
:: संस्मरण :: स्मृति लेखा
:: डायरियां : भवंती, अंतरा और शाश्वती।
:: विचार गद्य :: संवत्‍सर
:: गीति-नाट्य :: उत्तर प्रियदर्शी
:: अनुवाद :: त्याग पत्र (जैनेन्द्र) और श्रीकांत (शरदचन्द्र) उपन्यासों का अंग्रेज़ी में अनुवाद।
उनका लगभग समग्र काव्य सदानीरा (दो खंड) नाम से संकलित हुआ है|

क्षणिकाएं 
अज्ञेय की कविता - बिकाऊ
खिड़की एकाएक खुली
केले का पेड़ 
चीनी चाय पीते हुए
तुम्हारी पलकों का कँपना।

औद्योगिक बस्ती – अज्ञेय

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