श्रीकांत वर्मा
मगध के लोग
मगध के लोग
मृतकों की हड्डियां चुन रहे हैं
कौन-सी अशोक की हैं ?
और चन्द्रगुप्त की ?
नहीं, नहीं
ये बिम्बिसार की नहीं हो सकतीं
अजातशत्रु की हैं,
कहते हैं मगध के लोग
और आँसू
बहाते हैं
स्वाभाविक है
जिसने किसी को जीवित देखा हो
वही उसे
मृत देखता है
जिसने जीवित नहीं देखा
मृत क्या देखेगा ?
कल की बात है –
मगधवासियों ने
अशोक को देखा था
कलिंग को जाते
कलिंग से आते
चन्द्रगुप्त को तक्षशिला की ओर घोड़ा दौड़ाते
आँसू बहाते
बिम्बिसार को
अजातशत्रु को
भुजा थपथपाते
मगध के लोगों ने
देखा था
और वे भूल नहीं पाये हैं
कि उन्होंने उन्हें
देखा था
जो अब
ढ़ूँढ़ने पर भी
दिखाई नहीं पड़ते
श्रीकांत वर्मा की कविता ' मगध के लोग ' प्रस्तुत करने के लिए आपका विशेष आभार। मगध के ऐतिहासिक गौरव को कुदेरती हुई कविता का केंद्र बिन्दु इस तथ्य का द्योतक है कि मगध अपनी अर्वाचीन गौरव को आज भी अपनी स्मृति-मंजूषा में संजोए हुए है। ऐतिहासिक तथ्य से परिपूर्ण वर्मा जी की अभिव्यक्ति मगध के गौरवशाली अस्तित्व को जब कभी भी पढा जाए,उजागर करने में समर्थ सिद्ध होगा।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद,सर।
श्रीकांत वर्मा की कविता ' मगध के लोग ' पढवाने के लिए आपका आभार मनोज जी ..बहुत सुन्दरता से खोये हुए इतिहास का वर्णन है ...
जवाब देंहटाएंMagadh ke log to apne gauravshaali atit ko bhulte ja rahe hai jo Varma jee ne yaad kiya hai. aapko abhar sundar rachana padgvaane k liye
जवाब देंहटाएंबहुत सशक्त रचना ... आभार यहाँ प्रस्तुत करने का ..
जवाब देंहटाएंआभार इस रचना को पढवाने का.
जवाब देंहटाएंis kavy rachna ko ham tak pahunchane ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंSir magadh ke log ka meaning explanation bhi upload ke dijie... Hme v janna h iska bhwarth.. How can i know these poetry languages... Plz help me plzz..
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