गजानन माधव मुक्तिबोध की कविताएं-2
विचार आते हैं
विचार आते हैं –
लिखते समय नहीं
बोझ ढ़ोते वक़्त पीठ पर
सिर पर उठाते समय भार
परिश्रम करते समय
चाँद उगता है व
पानी में झलमलाने लगता है
हृदय के पानी में।
विचार आते हैं
लिखते समय नहीं,
... पत्थर ढ़ोते वक़्त
पीठ पर उठाते वक़्त बोझ
साँप मारते समय पिछवाड़े
बच्चों की नेकर फचीटते वक़्त !!
पत्थर पहाड़ बन जाते हैं
नक़्शे बनते हैं भौगोलिक
पीठ कच्छप बन जाते हैं
समय पृथ्वी बन जाता है …
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बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा ...
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