प्रेरक प्रसंग-3
ग़रीबों को याद कीजिए
ग़रीब लोग बापू के दिमाग में सबसे पहले आते थे। ईश्वर की सेवा का अर्थ उनके लिए ग़रीबों की सेवा था। उन दिनों मलेरिया महामारी के रूप में फैल जाती थी। लाखों लोग इससे जान गंवा बैठते थे। आश्रम में भी यह बीमारी हर साल आती थी। साबरमती आश्रम में एक बार बापू ने डॉक्टरों से पूछा कि मलेरिया की महामारी से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?”
डॉक्टरों ने सलाह दी, “मच्छरदानी लागाइए।”
बापू ने कहा, “डॉक्टर साहब, सभी लोगों को मच्छरदानी कहां मिलेगी? क्या कोई ऐसा तरीक़ा नहीं है जिससे ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति भी फ़ायदा उठा सके?”
डॉक्टर ने एक तरीक़ा सुझाते हुए कहा, “शरीर को चादर से ढक कर और मुंह पर मिट्टी का तेल मल कर सोइए। इससे मच्छर नहीं आएंगे।”
बापू ने इस राय को मान लिया। उन्होंने उसी दिन से मच्छरदानी लगाना छोड़ दिया। सोते समय अपने मुंह पर मिट्टी का तेल मलना शुरु कर दिया। और ज़मीन पर सोने लगे। एक विदेशी ने उन्हें ज़मीन पर सोये देख कर पूछा, “बापू, आप ज़मीन पर क्यों सोते हैं? मोटा गद्दा क्यों नहीं बिछाते?”
बापू ने जवाब दिया, “इसलिए कि मैं इस देश के लाखों ग़रीबों के साथ अपने को जोड़ सकूं।”
उन्होंने कहा था, “जब आपको किसी कार्य के बारे में दुविधा हो, उस समय आप देश के उस सबसे ग़रीब व्यक्ति के चेहरे की याद कीजिए जिसे आपने कभी देखा है और अपने से प्रश्न कीजिए कि जो कदम आप उठाने जा रहे हैं, उससे कोई लाभ होगा या नहीं?”
बापू ग़रीबों के लिए ही जिए और मरे।
प्रेरक प्रसंग।
जवाब देंहटाएंगाँधी जी का जंतर याद आ गया। वही तो है।
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक ... कोई सलाह देने से पहले उसे स्वयं पर लागू करना चाहिए ..
जवाब देंहटाएंबिलकुल ठीक बात है। गरीबों की सेवा ही नारायण सेवा है और गाँधीजी इस आदर्श को जीते थे।
जवाब देंहटाएंउपदेश देना बहुत आसान है, किन्तु उसका अनुपालन यदि स्वयं करना पड़े तो बड़ा कष्ट होता है... बापू ने अपना उदाहरण प्रस्तुत किया ताकि उनकी बातों को कोई अतिमानवीय उपदेश न समझे... काश आज के नेता यह समझ पाते.. एसी कमरे में बैठकर भूख पर और गर्मी पर भाषण कैसे दिए जाते हैं!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मनोज जी!!
सचमुच बापू ग़रीबों के लिए ही जिए और मरे।
जवाब देंहटाएंकाश बापू से प्रेरणा ले सकें हम....
जब ऐसी सोच विकसित हो जायेगी तो देश का नक्शा ही बदल जायेगा।
जवाब देंहटाएंप्रेरक और हमसभी के लिए अनुकरणीय ..
जवाब देंहटाएंसच में बहुत ही प्रेरक है यह प्रसंग!
जवाब देंहटाएंराष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह प्रेरक प्रसंग आपने याद दिलाया .बहुत-बहुत धन्यवाद. बापू के जीवन के ऐसे कई प्रेरणादायक प्रसंग हैं . काश! आज की दुनिया उनमे से एक प्रतिशत पर भी अमल कर लेती, तो दुनिया की तस्वीर ही कुछ और होती.
जवाब देंहटाएंबापू जी के जीवन का यह प्रसंग बहुत कुछ सीख देता है.
जवाब देंहटाएंबिलकुल ठीक बात है।कोई सलाह देने से पहले उसे स्वयं पर लागू करना चाहिए ..प्रेरक और अनुकरणीय
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंग।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 20 जून 2020 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.com पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
बापू एक थे बापू बना दिये गये।
जवाब देंहटाएंबापू जी के आदर्श तो अब परियों की कहानियां जैसे लगते हैं, काश कि उनके जैसा नहीं तो कम से कम कुछ कदम तो उनके बताये राह पर चल पाते हम सभी...............
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंग