आज मुझसे दूर दुनिया
हरिवंशराय बच्चन
आज मुझसे दूर दुनिया !
भावनाओं से विनिर्मित,
कल्पनाओं से सुसज्जित,
कर चुकी मेरे हृदय का स्वप्न चकनाचूर दुनिया !
आज मुझसे दूर दुनिया !
‘बात पिछली भूल जाओ,
दूसरी नगरी बसाओ’ --
प्रेमियों के प्रति रही है, हाय, कितनी क्रूर दुनिया !
आज मुझसे दूर दुनिया !
वह समझ मुझको न पाती,
और मेरा दिल जलाती,
है चिता की राख कर में मांगती सिन्दूर दुनिया !
आज मुझसे दूर दुनिया !
आभार ...इसे पढ़वाने के लिए ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबच्चन जी की याद को नमन !
जवाब देंहटाएंबेमिसाल कविता ...पढवाने का आभार
जवाब देंहटाएंबच्चन जी की कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद! उनको मेरा शत शत नमन!
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंएक बढ़िया कविता पढवाने के लिए आभार... सुन्दर प्रेम गीत है यह...
जवाब देंहटाएंबच्चन जी की एक बढ़िया कविता पढवाने का आभार.
जवाब देंहटाएंबेमिसाल कविता....अच्छी प्रस्तुति....आभार...
जवाब देंहटाएंश्री हरिवंशराय बच्चन जी मेरे पसंदीदा कवियों में से एक हैं उनकी यह बढ़िया रचना यहाँ पढ़वाने के लिए आपका आभार ....समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
जवाब देंहटाएंhttp://mhare-anubhav.blogspot.com/2011/11/blog-post_20.html
बच्चन जी की कविता पढ़वाने के लिए धन्यवाद्।
जवाब देंहटाएंये बेहतरीन रचना पढवाने के लिए आभार आपका
जवाब देंहटाएंबहुत बदिया ....बधाई
जवाब देंहटाएंaaj aisi rachna ? kya baat hai.
जवाब देंहटाएंसरल शब्द…सरल बात…सहज बात
जवाब देंहटाएंSir,
जवाब देंहटाएंHindi language is not appearing in my computer for the last three days due to formating, Hence, I am not in a position to post comment in Hindi.
Your post "AAJ MUJHSE DUR DUNIYA" really moved me. I appreciate your selection. Thanks.
दुनियावी कहर तो ऐसे ही रहे हैं हर युग में और शाश्वत :(
जवाब देंहटाएंआपने यहा काफ़ी कुछ कहा है और उन्मे काफ़ी बाते आपकी सही भी है
जवाब देंहटाएंकविताओं को सुलभ बनाने के लिए आभार
जवाब देंहटाएं