सोमवार, 15 नवंबर 2010

सच्ची श्रद्धांजली

चाचा नेहरू के जन्मदिवस पर विशेष ------- कल १४ नवंबर को पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन ..बालदिवस के रूप में मनाया गया …इस विशेष अवसर पर कुछ श्रृद्धा सुमन अर्पित हैं …
 
कहलाये तुम दूत शांति के
अग्रदूत तुम विश्व-शांति के
जियो और जीने दो के समर्थक
विरोधी तुम  जाति- पाँति के .
 
तुमने  देखे थे कुछ सपने
स्वतंत्र  भारत के थे अपने
अग्रणी  राष्ट्र  बनाने को
प्रयास किये थे कुछ अपने .
 
तुमने जो  राह दिखाई थी
जनता  उसपर  चल आई थी
विकासशीलता  के पथ पर चल
बाढ़  उद्योगों  की आई थी .
 
देश प्रगति - पथ पर चल पड़ा
ध्वज  शांति  का लिए  खडा
तुम्हारे सपनों का भारत
है आज दोराहे पर खडा.
 
विश्व - शांति  के    स्वप्न  तुम्हारे
आज खंड - खंड  पड़े हुए
घर में शांति बनाने   को
मन   जनता के त्रस्त  हुए .
 
बात  विश्व   की  करते हो
घर में शांति कहाँ रह पायी
भारत के टुकड़े  करने को
लोगों के  मन में फिर आई.
 
गाँव - गाँव , शहर - शहर
एक उत्पात  मचा हुआ है
विशव - शांति का स्वप्न तुम्हारा
किसी कब्र  में दबा हुआ है.
 
जन्म- दिवस  तुम्हारा मना  रहे हम
दूत  शान्ति का कहते हैं
पर अशांति के सर्पों को
हम दूध पिलाया करते हैं .
 
मूल्यांकन तुम्हारे कर्मो का
हम आज विचारों में करते हैं
पर अपने मूल्य  भुला कर  हम
केवल भाषण बोला करते हैं .
 
कब तक भाषण से राष्ट्र चलेगा
कब यहाँ शांति बन पायेगी
तब तक भारत की  जनता शायद
हर पल यहाँ ठगी जायेगी .
 
जनता को स्वयं उठना  होगा
ध्वज  शांति का लिए हुए
तब ही राष्ट्र   कह पायेगा
"तुम "     विश्व शांति का दूत हुए.
 
जन - जन में जब शांति  व्यापेगी
जनता निर्द्वंद   सुखी    होगी
आतंकवाद   के खंडहर पर
वही शायद  सच्ची  श्रद्धांजली   होगी...ll

संगीता स्वरुप

23 टिप्‍पणियां:

  1. भारत के प्रथाम प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्म दिन पर उनको समर्पित आपकी यह कविता न सिर्फ़ भारत के विकास में उनके योगदानों को याद करती है बल्कि यह भी संदेश देती है कि यदि हमें उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देनी है तो उनके आदर्शों को जीना होगा।
    आभार आपका।

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  2. नेहरु की याद की बेहतर काव्य श्रद्धांजलि -
    श्रृद्धा नहीं श्रद्धा

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  3. मनोज जी ,
    आपको कविता पसंद आई ...आपके शब्दों से असीम प्रोत्साहित हुई ...आभार

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  4. मूल्यांकन तुम्हारे कर्मो का
    हम आज विचारों में करते हैं
    पर अपने मूल्य भुला कर हम
    केवल भाषण बोला करते हैं .
    bilkul sahi.... mulyankan nahi hum sirf khaate hue aalochna karte hain !
    sachchi sraddhanjli hamaree bhi

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  5. आपसे पूर्णत: सहमत हूँ ! हमारे उच्च आदर्शों वाले सच्चे नेता अब केवल किस्से कहानी की तरह सिमट कर रह गये हैं ! कोई ना तो उनके विचारों को जानना चाहता है ना ही उनका अनुकरण करने में किसीको दिलचस्पी है ! उनकी उपयोगिता केवल तस्वीरों के फ्रेम में सजा कर सरकारी कार्यालयों की दीवारों पर लटकाने तक ही सीमित रह गयी है ! बहुत सुन्दर पोस्ट !

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  6. बेहद सुन्दर रचना संगीता जी.. सही लिखा है तभी सच्ची श्रधांजलि होगी जब सभी अपनी जिम्मेदारी समझे |

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  7. नेहरु जी को उनके विचारो, कार्यो के लिए काव्यमय श्रद्धांजलि . जरुरत है हमे उनका अनुसरण करने का .आभार

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  8. प्रेरणा को समर्पित श्रद्धांजलि काव्य प्रस्तूति

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  9. हाँ ,सचमुच
    विचार करना बहुत ज़रूरी है!

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  10. नेहरु जी के जन्म दिवस पर जो तस्वीर प्रस्तुत की वही यथार्थ है इस देश के अतीत से लेकर वर्तमान तक का. हम भटक गए हैं तो फिर किसी नेहरु और शास्त्री को यहाँ आना होगा. पर ऐसा कभी हुआ है की कोई वापस आया हो. ये भटके हुए देश के कर्णधार ऐसे ही लड़खड़ाते हुए देश को चलाते रहेंगे और चंद उपलब्धियों को गिनाते हुए अपनी कमजोरियों पर मोटा पर्दा डालकर हमें भरमाते रहेंगे.

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  11. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 16 -11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..


    http://charchamanch.blogspot.com/

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  12. चाचा नेहरु को सच्ची श्रन्धजली उन्हें याद करती और सही सन्देश देती.

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  13. जन्म- दिवस तुम्हारा मना रहे हम
    दूत शान्ति का कहते हैं
    पर अशांति के सर्पों को
    हम दूध पिलाया करते हैं .

    सच तो कह रही हैं आप्……………एक बेहद उम्दा भाव और सच्ची श्रद्धांजलि।

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  14. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति.आभार.

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  15. बहुत अच्छी लगी आपकी कविता.
    नेहरु जी को नमन.

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  16. मूल्यांकन तुम्हारे कर्मो का
    हम आज विचारों में करते हैं
    पर अपने मूल्य भुला कर हम
    केवल भाषण बोला करते हैं .


    सार्थक सन्देश देती एक बेहतर रचना एक सच्ची श्रधांजलि के रूप में अत्यंत सुंदर प्रस्तुति.

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  17. पंडित नेहरू के जन्म दिन बहुत ही अच्छी प्रस्तुति .

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  18. आधुनिक भारत के निर्माता चाचा नेहरू को नमन!

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  19. देश की विपरीत परिस्थितियों का विवरण और चाचा नेहरु को श्रद्धांजलि देना अच्छा लगा.

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