सोमवार, 19 नवंबर 2012

मधुशाला ...भाग -7 / हरिवंश राय बच्चन



जन्म -- 27 नवंबर 1907 
निधन -- 18 जनवरी 2003 

मधुशाला ..... भाग --- 7 



वादक बन मधु का विक्रेता लाया सुर-सुमधुर-हाला,

रागिनियाँ बन साकी आई भरकर तारों का प्याला,
विक्रेता के संकेतों पर दौड़ लयों, आलापों में,
पान कराती श्रोतागण को, झंकृत वीणा मधुशाला।।४१।



चित्रकार बन साकी आता लेकर तूली का प्याला,
जिसमें भरकर पान कराता वह बहु रस-रंगी हाला,
मन के चित्र जिसे पी-पीकर रंग-बिरंगे हो जाते,
चित्रपटी पर नाच रही है एक मनोहर मधुशाला।।४२।



घन श्यामल अंगूर लता से खिंच खिंच यह आती हाला,
अरूण-कमल-कोमल कलियों की प्याली, फूलों का प्याला,
लोल हिलोरें साकी बन बन माणिक मधु से भर जातीं,
हंस मत्त  होते पी पीकर मानसरोवर मधुशाला।।४३।



हिम श्रेणी अंगूर लता-सी फैली, हिम जल है हाला,
चंचल नदियाँ साकी बनकर, भरकर लहरों का प्याला,
कोमल कूल -करों में अपने छलकाती निशिदिन चलतीं,
पीकर खेत खड़े लहराते, भारत पावन मधुशाला।।४४।



धीर सुतों के हृदय रक्त की आज बना रक्तिम हाला,
वीर सुतों के वर शीशों का हाथों में लेकर प्याला,
अति उदार दानी साकी है आज बनी भारतमाता,
स्वतंत्रता है तृषित कालिका बलिवेदी है मधुशाला।।४५।



दुतकारा मस्जिद ने मुझको कहकर है पीनेवाला,
ठुकराया ठाकुरद्वारे ने देख हथेली पर प्याला,
कहाँ ठिकाना मिलता जग में भला अभागे काफिर को?
शरणस्थल बनकर न मुझे यदि अपना लेती मधुशाला।।४६।



पथिक बना मैं घूम रहा हूँ, सभी जगह मिलती हाला,
सभी जगह मिल जाता साकी, सभी जगह मिलता प्याला,
मुझे ठहरने का, हे मित्रों, कष्ट नहीं कुछ भी होता,
मिले न मंदिर, मिले न मस्जिद, मिल जाती है मधुशाला।।४७।



सजें न मस्जिद और नमाज़ी कहता है अल्लाताला,
सजधजकर, पर, साकी आता, बन ठनकर, पीनेवाला,
शेख, कहाँ तुलना हो सकती मस्जिद की मदिरालय से
चिर विधवा है मस्जिद तेरी, सदा सुहागिन मधुशाला।।४८।



बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भूल गया अल्लाताला,
गाज गिरी, पर ध्यान सुरा में मग्न रहा पीनेवाला,
शेख, बुरा मत मानो इसको, साफ़ कहूँ तो मस्जिद को
अभी युगों तक सिखलाएगी ध्यान लगाना मधुशाला!।४९।



मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!।५०।

क्रमश: 

5 टिप्‍पणियां:

  1. पढ़कर मन प्रसन्न हुआ |
    आभार दीदी ||

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  2. बहुत बढ़िया दी....
    दुतकारा मस्जिद ने मुझको कहकर है पीनेवाला,
    ठुकराया ठाकुरद्वारे ने देख हथेली पर प्याला,
    कहाँ ठिकाना मिलता जग में भला अभागे काफिर को?
    शरणस्थल बनकर न मुझे यदि अपना लेती मधुशाला।।४६।
    लाजवाब रचना है..
    आभार आपका.
    सादर
    अनु

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  3. मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
    एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
    दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
    बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!
    कितना सार्थक सन्देश .

    जवाब देंहटाएं


  4. सजें न मस्जिद और नमाज़ी कहता है अल्लाताला,
    सजधजकर, पर, साकी आता, बन ठनकर, पीनेवाला,
    शेख, कहाँ तुलना हो सकती मस्जिद की मदिरालय से
    चिर विधवा है मस्जिद तेरी, सदा सुहागिन मधुशाला।।४८।

    हरिवंश राय बच्चन कई जगह कबीर हो जातें हैं आज कोई ऐसा लिख दे तो कठमुल्ले आधे हिन्दुस्तान को आग लगादें और सेकुलर पुत्र उस पर हाथ तापें .

    जवाब देंहटाएं
  5. मुसलमान औ' हिन्दू है दो, एक, मगर, उनका प्याला,
    एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला,
    दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद मन्दिर में जाते,
    बैर बढ़ाते मस्जिद मन्दिर मेल कराती मधुशाला!।५०।


    खौफ बढ़ाते कसाब अफज़ल ,लशकरे तैयबा ,

    अब करते रहो तौबा तौबा .

    जवाब देंहटाएं

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