शनिवार, 13 मार्च 2010

आज का विचार-18

टूटे सुजन मनाइए जो टूटे सौ बार ।

रहिमन फिर फिर पोहिए, टूटे मुक्ताहार ।।

मुक्ताहार यदि टूट जाता है तो फिर-फिर उसे पोहना चाहिए, मानव मूल्यों से लगाव छूट जाता है तो फिर-फिर जोड़ना चाहिए ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. पहली बार पढ़ा आपका ब्लाग मनोज भाई , विशिष्ट लगा अपने क्षेत्र में , आपका यह प्रयास प्रसंशनीय है , शुभकामनायें !

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  2. प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ...
    मनोज

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  3. मनोज भाई, यह काम भी आप अच्छा ही कर रहे हैं!

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