गुरुवार, 10 मार्च 2011

अज्ञेय जी की जन्मशती पर -- कुछ उनके द्वारा लिखी क्षणिकाएं


सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन "अज्ञेय"



जन्म: 07 मार्च 1911
निधन: 1987
 

धूप

सूप-सूप भर
धूप-कनक
यह सूने नभ में गयी बिखर:
चौंधाया
बीन रहा है
उसे अकेला एक कुरर।

काँपती है

पहाड़ नहीं काँपता,
न पेड़, न तराई;
काँपती है ढाल पर के घर से
नीचे झील पर झरी
दिये की लौ की
नन्ही परछाईं।
 

छन्द


मैं सभी ओर से खुला हूँ
वन-सा, वन-सा अपने में बन्द हूँ
शब्द में मेरी समाई नहीं होगी
मैं सन्नाटे का छन्द हूँ।

आगन्तुक

आँख ने देखा पर वाणी ने बखाना नहीं।
भावना ने छुआ पर मन ने पहचाना नहीं।
राह मैनें बहुत दिन देखी, तुम उस पर से आए भी, गए भी,
--कदाचित, कई बार--
पर हुआ घर आना नहीं।

17 टिप्‍पणियां:

  1. सुबह की शुरुआत जब अज्ञेय की क्षणिकाओं से हो दिन साहित्यिक रूप से अच्छा जायेगा... बढ़िया प्रस्तुति !

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  2. अज्ञेय जी कि रचनाओं को यहाँ पर प्रकाशित करके आपने एक सराहनीय कार्य किया है .... अज्ञेय जी किसी टिप्पणी के मोहताज नहीं ...आजकल उनके काव्य संग्रह " आँगन के पार द्वार " का विश्लेषण कर रहा हूँ अज्ञेय जी को पढना एक सकूँ देता है

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  3. संगीता जी, आपने इस महान विभूति की जन्म शती पर अनमोल उपहार संजो कर पेश किया है। आभार आपका। एक मैं भी जोड़ देता हूं
    आह! यह वन-तुलसी की गन्ध! आह!
    एक उमस
    मन को भीतर ही भीतर कर गयी अन्ध!

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  4. अज्ञेय जी की सुन्दर रचनाओं की पोस्ट को कल चर्चामंच पे होगी ... आप वहाँ आमंत्रित है ..

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  5. अज्ञेय जी को पढना सच्चिदानंद से साक्षात्कार जैसा अनुभव देता है

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  6. अज्ञेय जी की क्षणिकाँएँ पढ़कर मन प्रसन्न हो गया!
    इनका भवन अल्मौड़ा में भी है!

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  7. अज्ञेय जी के लेखन की ज़बरदस्त प्रशंसक रही हूँ ! उनके दो उपन्यास 'शेखर एक जीवनी' और 'नदी के द्वीप' मेरे विशेष रूप से फेवरेट उपन्यास हैं ! आज उनकी ये क्षणिकायें पढ़ कर मन आनंदित हो गया ! आपका बहुत बहुत आभार इन्हें हम तक पहुंचाने के लिये ! "आगंतुक" बहुत पसंद आई !

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  8. अज्ञेय जी की बेहतरीन क्षणिकाये पढवाने के लिये आपका आभार्………बहुत सुन्दर ।

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  9. एक-एक छंद अनेक परतों को खोलता हुआ।

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  10. अज्ञेय जी की हर रचना, जीवन की खिड़कियाँ हैं, जिनके पठान से हर बार नए मायने समझ आते हैं!

    इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार!

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  11. अज्ञेय की जन्मशती पर बहुत सुंदर प्रस्तुति, इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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  12. अज्ञेय जी की क्षणिकाएँ पढनें को मिलीं बहुत ही अच्छा लगा |आपको बधाई इस प्रयास के लिए
    आशा

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  13. वाह! मम्मा...बहुत ही बढियां उपहार दिया....बहुत प्यारी क्षणिकाएं आपने उपलब्ध करवायीं....''सन्नाटे का छंद'' नहीं भूलूंगी...:)

    शुक्रिया मम्मा....

    pranaam !

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  14. जन्मशती पर उम्दा प्रस्तुति ।

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