हिंदी और अर्थव्यवस्था-2 |
पिछले अंक में हिंदी के विकास में अर्थव्यवस्था के महत्व को रेखांकित किया गया था। आज अपने दूसरे और अंतिम अंक में सरकार द्वारा हिंदी के प्रचारप्रसार में किये जा रहे प्रयासों की चर्चा कर रहे हैं ! अरुण सी राय |
आज १४ सितम्बर है । आज हिंदी दिवस है । वैसे तो यह दिवस केवल सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र में मनाया जाता है लेकिन जरुरत है कि इसे पूरे जोर शोरसे पूरे देश में मनाया जाना चाहिए। यदि देश माँ दिवस, पिता दिवस, मित्रता दिवस मना सकता है तो हिंदी दिवस क्यों नहीं। केवल इसलिए नहीं कि यह सरकार द्वारा घोषित दिवस है, इसका विरोध उचित नहीं है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में जाने की बजाय सरकार द्वारा किये गए प्रयासों के फलस्वरूप हिंदी की प्रगति में कैसे सुधार हो रहा है, पर ए़क विचार आवश्यक है। सरकार और सरकारी उपक्रमों का दायरा कम नहीं है और राजभाषा कार्यान्वयन के द्वारा काफी काम किया जा रहा है। आम आदमी को जोड़ने और आम जन तक पहुँचने के लिए सरकार की मशीनरी से सशक्त माध्यम कोई अन्य नहीं। ऐसे में यदि सरकार की ओर से प्रयास किया जा रहा है तो उसका अपेक्षित परिणाम अवश्य मिलेगा। इन सबके पीछे जो मुहिम सरकार द्वारा राजभाषा कार्यान्वयन के जरिये हो रही है, उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में राजभाषा विभाग, ना केवल मंत्रालय के स्तर पर बल्कि उद्योग जगत में भी हिंदी के उपयोग को बढ़ाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करता है और नयी नीतियां बना कर उसे आम जनता की भाषा में पहुँचाने के लिए बाध्य करता है। सरकार द्वारा वेबसाइट हिंदी और अंग्रेजी के साथ-साथ स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराये जाने सम्बन्धी दिशा निर्देशों के कारण ''डिजिटल डिवाइड "में भी कमी आयी हैं। जिस तरह हिंदी का उपयोग सरकारी उपक्रमों में अनिवार्य है, अपनी भाषा में सूचना उपलब्ध करना अनिवार्य है, उसका निजी क्षेत्र तक विस्तार होना तय है क्योंकि आम जनता के लिए उसकी अपनी भाषा में जानकारी प्राप्त करना उसका मौलिक अधिकार है। इससे ना केवल आर्थिक प्रगति को और मजबूती मिलेगी बल्कि सभी क्षेत्रों में काम करना सुगम होगा, लोगों तक पहुंचना संभव हो सकेगा और यही भाषा का अंतिम लक्ष्य भी होता है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जो कि भूतल एवं परिवहन मंत्रालय के अधीन ए़क स्वायत्त प्राधिकरण है, द्वारा देश भर के राजमार्गो पर जानकारी हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में दी जा रही है, जो कि निश्चित रूप से ए़क दूरगामी कदम है और हिंदी के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। ऐसे कई प्रयास हैं जो सरकार के स्तर पर चलाये जा रहे हैं और इनके परिणाम हमारे सामने हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक ऐसा नहीं था। इसी तरह, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय द्वारा देश के सभी पर्यटन स्थलों पर आम आदमी के लिए उपयोगी सामग्री हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषा मेंउपलब्ध है, जबकि कुछ वर्ष पूर्व तक यह सामग्री, जानकारी केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हुआ करती थी। यह दो कारणों से हो रहा है। ए़क तो आर्थिक विकास केकारण आम आदमी की पर्यटन में रूचि और दूसरे सरकारी स्तर पर राजभाषा कार्यान्वन के प्रति बढ़ती प्रतिबद्धता । राजभाषा कार्यान्वयन के लिए संसदीय राजभाषा समिति गठित है। इसकी कई उपसमितियां हैं जो सरकारी क्षेत्र एवं सार्वजनिक उपक्रमों में हिंदी के उपयोग में प्रगामी प्रगति का मूल्यांकन करती हैं। ए़क उपसमिति के राजभाषा संबधी निरीक्षण में मैं भी उपस्थित था। निरीक्षण हिन्दुस्तान पेट्रोलियमका था जिनका वार्षिक विज्ञापन बजट करीब १००० करोड़ रूपये का है। संसदीय समिति ने पाया कि वे अंग्रेजी में विज्ञापन पर लगभग ८५% बजट का उपयोग करते थे। समिति ने उन्हें हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में बराबर बराबर खर्च करने का निर्देश दिया और कंपनी द्वारा इसका अनुपालन भी किया गया है। संसदीय राजभाषा समिति वर्ष भर में लगभग १०० कार्यालयों का निरिक्षण करती है जिससे स्वतः स्पष्ट है कि सरकार हिंदी की प्रगति के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रश्न पूछने और उत्तर हिंदी में भी मांगे जाने की सुविधा के कारण आम आदमी को काफी सहूलियत हो रही है और आम आदमी हिंदी के और करीब महसूस कर रहा है। भारतीय रेल द्वारा भी हिंदी देश के कोने कोने तक पहुँच रही है और देश को ए़क सूत्र में बाँध रही है। रेलगाड़ियों के नाम इसके सबसे बड़े उदहारण हैं। यही है भाषा की शक्ति, यही है भाषा का उद्देश्य। संक्षेप में कहें तो हिंदी अब निरीह नहीं। जैसे जैसे शासन आम आदमी तक पहुँच रहा है, हिंदी भी सशक्त हो रही है। हिंदी दिवस के मौके पर देशवासियों से ना केवल हिंदी अपनाने का निवेदन करता हूँ बल्कि यह निवेदन करता हूँ कि कम से कम ए़क भारतीय भाषा जरुर सीखें और अपने बच्चों को भी प्रेरित करें. इस से सही मायने में देश की सांस्कृतिक विविधता से परिचय होगा और अंतर्देशीय अविश्वास के माहौल में भी सुधार होगा. |
मंगलवार, 14 सितंबर 2010
हिंदी और अर्थव्यवस्था-2
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राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंमैं दुनिया की सब भाषाओं की इज़्ज़त करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिन्दी की इज़्ज़त न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे
भारतेंदु और द्विवेदी ने हिन्दी की जड़ें पताल तक पहुँचा दी हैं। उन्हें उखाड़ने का दुस्साहस निश्चय ही भूकंप समान होगा। - शिवपूजन सहाय
हिंदी और अर्थव्यवस्था-2, राजभाषा हिन्दी पर अरुण राय की प्रस्तुति, पधारें
राजभाषा दिवस पर आपको तथा आपकी सारी टीम को बधाई एवम् राजभाषा हिंदी के उत्तरोत्तर विकास की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंआपका यह प्रयास सराहनीय है. आपको राष्ट्रभाषा हिंदी दिवस कि हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंयह रिपोर्ट आशा का संचार करती है ...सार्थक लेख ...
जवाब देंहटाएंहिंदी तो अपनी मातृभाषा है, इसलिए इसका सम्मान करना चाहिए. हिंदी दिवस पर ढेरों बधाइयाँ और प्यार !!
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस पर आप और आपके तमाम सहयोगियों को बह्त-बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंअपने और अपने राष्ट्र की अस्मिता की प्रतीक राष्ट्रभाषा के गौरवमयी दिवस - हिंदी दिवस पर आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ।
जवाब देंहटाएंआपका
इसका स्वाद प्रसार बहुत है
जवाब देंहटाएंरसभाषा रसवंती
ऋतुओं में वासंती है यह
रागों में मधुवंती
भाषाएँ हो चाहे जितनी
यह सबकी हमजोली
स्वागत करती हिंदी सबका
बिखरा कुमकुम रोली .
MEHANAT JHALAKATI HAI AAPKE KAAM MEN
जवाब देंहटाएंवाह............. हिंदी हैं हम वतन है हिन्दुस्तां हमारा !
जवाब देंहटाएं@ संवेदना के स्वर:
जवाब देंहटाएंउत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद !
@ देवेन्द्र
जवाब देंहटाएंउत्साह बढ़ाने के लिए धन्यवाद ! हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामना
@ संगीता जी
जवाब देंहटाएंसंगीता जी आपका लेख पढने से ही आलख सार्थक हो गया.. उत्साह बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
@ प्रिय पाखी
जवाब देंहटाएंहिंदी भविष्य की भाषा बने यही कामना है!
@ सुनीता जी
जवाब देंहटाएंआलेख पढ़ कर उत्साह बढाने के लिए धन्यवाद
@ नारायणी जी
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामना
@ सुधीर जी
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामना
@ मानिक जी
जवाब देंहटाएंआप जैसे पाठक लिखने के लिए प्रेरित करते हैं..
@ मेरे भाव
जवाब देंहटाएंआपने ए़क अच्छी कविता ही लिख डाली.. धयवाद एवं बधाई
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुराष्ट्रीय कम्पनियां हिंदी का मूल्य समझ रही हैं मगर दुर्भाग्य यह है कि हमारे कुछ प्रकाशक हिंदी का सत्यानाश करने पर तुले हैं। बीच-बीच में एकाध लोग चले आते हैं ढाढस बंधाने कि चिंता की कोई बात नहीं मगर भाषाई क्षरण को लेकर हिन्दी के हलकों में प्रतिक्रिया अच्छी नहीं है.
जवाब देंहटाएं...saarthak abhivyakti !!!
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
जवाब देंहटाएंजब १९६५ में हिंदी का विभाग बना था तो इक अलग से हिंदी सचिव बनाया गया था , जब आज ये स्थिती है कि सचिव तो दूर कि बात काम करने वाले भी नहीं के बराबर है , सरकारी विभागों में ही काम काज इंग्लिश में होता है तो निजी विभागों का क्या कहना . ये इक यक्ष प्रशन है, इसे पे बहस हो सकती है कोई क्रिया कलाप नहीं ,
सादर s
सार्थक लेख ...
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस पर आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ।
हिंदी भाषा को नमन ज्ञानवर्धक लेख बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहिन्दी प्रेमियों से अनुरोध है कि अपना प्रेम दर्शाने के लिए सबसे पहले यह देखें कि टिप्पणी के साथ प्रदर्शित होने वाला आपका नाम किस भाषा में हैं। अगर आप हिन्दी में ब्लाग लिख रहे हैं तो सबसे पहले तो अपना नाम ही हिन्दी में लिखें।
जवाब देंहटाएंअब बताएं कि कितने लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में हैं। हां हस्ताक्षर दो हो सकते हैं एक अंग्रेजी और एक हिन्दी में । मेरा अपना हस्ताक्षर केवल हिन्दी में है। फिर चाहे मुझे अंग्रेजी दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना हो हिन्दी पर। आखिर आपकी पहचान तो एक ही होती है न। तो मित्रों अगर अभी तक आपने यह दोनों बातें नहीं की हैं तो अब कर लें। इस हिन्दी दिवस पर आपका यही योगदान होगा और संकल्प भी। वरना बड़ी बड़ी बातें तो जमाने से चली आ रही हैं और चलती रहेंगी।
हिन्दी दिवस पर आपका अभिनन्दन है .
जवाब देंहटाएंज्ञानबर्धक आलेख ..........
sundar aalekh!
जवाब देंहटाएंsubhkamnayen:)
बढ़िया आलेख..हिन्दी दिवस की हार्दिक बधाई..हिन्दी निरंतर प्रगति करते रहे बस यही कामना है...
जवाब देंहटाएंसार्थक आलेख!
जवाब देंहटाएंहिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!
bahut badhiya aalekh. hindi bhasha ke vistaar keliye aawashyak hai ki hum hindi-bhaashi sadaiv hindi mein na sirf likhe ya bole balki soche bhi. fir bhi jabtak shiksha ka maadhyam angreji rahega mumkin nahin ki hindi ko wo samman aur sthaan mile jo kisi bhi desh ki maatribhaasha ko milna chaahiye. aapke sarahniye prayas keliye shubhkaamnaayen.
जवाब देंहटाएंहिंदी दिवस पर आपका ये लेख सराहनीय है
जवाब देंहटाएंसुंदर सराहनीय आलेख । हिंदी दिवस पर आपको भी शुभ कामनाएँ । जय हिंद, जय हिंदी ।
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