बुधवार, 26 जनवरी 2011

इक्कीसवीं शती के ग्यारहवें गणतंत्र दिवस पर

इक्कीसवीं शती के

ग्यारहवें गणतंत्र दिवस पर

परशुराम राय

देश की संसद की

गंगोत्री से निकली

लोकहित

की भागीरथी

किसकी जटा में खो गयी ?

 

या कि कोई जह्नु आकर

राह में ही पी गया

और लोकहित

स्वार्थ की वैतरणी बहा

कोई भगीरथ छल गया ?

 

माना कि नवनिर्माण में

धीरज भी कोई चीज है

पर पचासा पार कर

यह बुजदिली का

राग बनकर रह गया।

 

इक्कीसवीं शती के

ग्यारहवें गणतंत्र दिवस पर

हे भारत के भाग्य विधाता

देश के हित

एक गंगा और दे दो

स्वतंत्रता की भैरवी को

एक राग और दे दो।

14 टिप्‍पणियां:

  1. गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और उत्तम चर्चा के लिए बधाई |

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  2. गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ....

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  3. बेहतरीन प्रस्तुति। आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

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  4. आप सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  5. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (27/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!

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  6. सच अब तो यह राग बुजदिली का ही बन गया है ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.

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  7. बेहतरीन रचना..
    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ

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  8. rajbhasha hindi ke madhayam se sabhi pathako ko mere taraf se republic day ki badhayi swikar ho.

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  9. गणतंत्र के समक्ष चुनौतियों को सुन्दरता से उठाया गया है कविता में..

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  10. चुनौतिया तो हैं मगर
    गणतन्त्र दिवस की 62वीं वर्षगाँठ पर
    आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  11. स्वतंत्रता की भैरवी को

    एक राग और दे दो।
    bahut sunder soch hai.

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  12. बेहतरीन रचना.

    गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई.

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  13. मनोज जी | यह आपकी यह सुन्दर पोस्ट आज भी चर्चामंच पर है.. चूँकि मैंने सबसे ऊपर की कुछ रचनाएँ परसों ही ले ली थीं....आप चर्चा मंच में आ कर अपने विचार प्रकट करें..

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