आईना
केदारनाथ सिंह
जो चले गए हैं काम पर
यह कहकर कि लौटने में हो सकती है देर
उस परछाईं की तरफ़ से
जो अब भी टँगी हवा में
उस स्त्री के तमतमाकर चले जाने के बाद
उस चाय की तरफ़ से
जो सिर्फ़ आधी पी गई थी
क्योंकि पीनेवाले की होठों की
छूट रही थी बस
बोलते-बोलते कई बार
मैं बोल जाता हूं अचानक
मोढ़े की ऊब
झाड़ू की उदासी
राख की यातना
और यहां तक कि उन दीवारों की ओर से भी
जिनमें ख़ुद मैं बन्द हूं
और यद्यपि इस छोटे से घर का
एक छोटा-सा गवाह हूं
पर जब भी बोलता हूं
लगता है बोल रहा हूं उस चिउँटी की तरफ़ से
जो बच गई थी अकेली
नागासाकी में
मेरे निर्माता का आदेश है
देखो और बोलो
बोलो और टँगे रहो
और देखिए न मेरी मुस्तैदी
कि मैं सबकी ओर से बोलता हूं
और बोलता हूं अपने भीतर की सारी सच्चाई के साथ
पर मेरे नेक निर्माता ने
मुझे दी नहीं अनुमति
कि कभी बोल सकूं अपनी तरफ़ से
लेखक भी आईना होता है।
जवाब देंहटाएंaaina chup kahan rahta hai sabse jiyada wahi bolta hai ....
जवाब देंहटाएंबोलते-बोलते कई बार
जवाब देंहटाएंमैं बोल जाता हूं अचानक
मोढ़े की ऊब
झाड़ू की उदासी
राख की यातना
और यहां तक कि उन दीवारों की ओर से भी
जिनमें ख़ुद मैं बन्द हूं
दिल को छूने वाली पंक्तियाँ...बहुत बहुत आभार इस सुंदर रचना को पढवाने के लिए..
बोलते-बोलते कई बार
जवाब देंहटाएंमैं बोल जाता हूं अचानक
मोढ़े की ऊब
झाड़ू की उदासी
राख की यातना
और यहां तक कि उन दीवारों की ओर से भी
जिनमें ख़ुद मैं बन्द हूं
और यद्यपि इस छोटे से घर का
एक छोटा-सा गवाह हूं
पर जब भी बोलता हूं
लगता है बोल रहा हूं उस चिउँटी की तरफ़ से
जो बच गई थी अकेली
नागासाकी में
मन के भीतर तक उतरने वाली बहुत प्यारी रचना...आभार
सच है ,आइना न अपने विचार रख सकता है और न टिपण्णी कर सकता है
जवाब देंहटाएंऔर यद्यपि इस छोटे से घर का
जवाब देंहटाएंएक छोटा-सा गवाह हूं
पर जब भी बोलता हूं
लगता है बोल रहा हूं उस चिउँटी की तरफ़ से
जो बच गई थी अकेली
नागासाकी में
यह है निजी को वैश्विक बनाने का हुनर .