शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

साखी ... भाग -28 / संत कबीर

जन्म  --- 1398

निधन ---  1518

कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाउं  

गले राम की जेवड़ी, जित खैंचे तित जाउं 271


कबीर कलिजुग आइ करि, कीये बहुत जो भीत

जिन दिल बांध्या एक सूं, ते सुख सोवै निचींत 272


जब लग भगहित सकामता, सब लग निर्फल सेव  

कहै कबीर वै क्यूँ मिलै निह्कामी निज देव 273


पतिबरता मैली भली, गले कांच को पोत  

सब सखियन में यों दिपै, ज्यों रवि ससि को जोत 274


कामी अभी भावई, विष ही कौं ले सोधि  

कुबुध्दि जीव की, भावै स्यंभ रहौ प्रमोथि 275  


भगति बिगाड़ी कामियां, इन्द्री केरै स्वादि  

हीरा खोया हाथ थैं, जनम गँवाया बादि 276


परनारी का राचणौ, जिसकी लहसण की खानि  

खूणैं बेसिर खाइय, परगट होइ दिवानि 277


परनारी राता फिरैं, चोरी बिढ़िता खाहिं  

दिवस चारि सरसा रहै, अति समूला जाहिं 278


ग्यानी मूल गँवाइया, आपण भये करना  

ताथैं संसारी भला, मन मैं रहै डरना 279


कामी लज्जा ना करै, माहें अहिलाद

नींद माँगै साँथरा, भूख माँगे स्वाद 280







3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत आभार इन सुंदर साखियों को पढवाने के लिए...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (08-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर संदेशपरक साखियाँ हैं।

    जवाब देंहटाएं

आप अपने सुझाव और मूल्यांकन से हमारा मार्गदर्शन करें