बुधवार, 25 जनवरी 2012

अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!

अग्नि पथ ! अग्नि पथ ! अग्नि पथ !

डॉ. हरिबंशराय बच्चन

अग्नि पथ ! अग्नि पथ ! अग्नि पथ !

वृक्ष हों भले खड़े,
हों  घने,  हों बड़े,
एक पत्र-छांह भी मांग मत, मांग मत, मांग मत !
अग्नि पथ ! अग्नि पथ ! अग्नि पथ !

तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी ! -- कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ !
अग्नि पथ ! अग्नि पथ ! अग्नि पथ !

यह महान दृश्य है ---
चल    रहा  मनुष्य  है
अश्रु-स्वेद-रक्त   से     लथपथ,     लथपथ,   लथपथ !
अग्नि पथ ! अग्नि पथ ! अग्नि पथ !

26 टिप्‍पणियां:

  1. बहोत अच्छी प्रस्तुती ।

    आपका ब्लॉग पढकर बहोत अच्छा लगा ।

    हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ।

    हिंदी दुनिया

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  2. हरिवंश राय बच्चन कि कालजयी रचना ..आभार

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  3. अच्छा लगा इस महान कविता को पुनः यहाँ पढ़कर...आभार!

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  4. आभार मनोज सर, आज इसे शेअर करने के लिये ॥

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  5. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...।

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  6. आलोकनाथ के स्वर में और मास्टर मंजुनाथ (मालगुडी डेज़ का स्वामी) के स्वर में अग्निपथ और वह फिल्म याद आ गयी!

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    उत्तर
    1. यहाँ तो बच्चन की तस्वीर भी गौर करने लायक है!

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    2. खुद अमिताभ बच्चन भी मानते हैं कि बाबू जी की यह दुर्लभ तस्वीर है।

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  7. बच्चन जी ने ही कहा है कि "देखना है/ देख अपने, वे वृषभ कंधे/ जिन्हें देता चुनौती/सामने तेरे पड़ा/युग का जुआ" और ये "अग्निपथ"... एक अद्भुत प्रेरणा और स्फूर्ति छिपी है इस कविता में! नमन!!

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  8. bahut sundar prastuti.. meri bhi priya kavita hai yah... gantantra diwas kee shubhkaamnaayen

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  9. तू न थकेगा कभी!
    तू न थमेगा कभी!
    तू न मुड़ेगा कभी ! -- कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ ...

    हरिवंश जी के ये रचना दिल में ज्वार उठा देती है ... कालजयी रचना ... आभार आपका ..

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  10. इस गीत के फ़िल्मांकन को देखने के बाद इसे पढ़ने पर अर्थ की प्रतीति अधिक गहराई से होती है।

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  11. हरिवंश राय बच्चन की कालजयी रचना के लिये आभार ।

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  12. यह महान दृश्य है ---
    चल रहा मनुष्य है
    अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ !
    अग्नि पथ ! अग्नि पथ ! अग्नि पथ Bahut Khoob.

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  13. ¤ÉSSÉxÉ VÉÒ ªÉä EòÊ´ÉiÉÉ +ÉVÉ Eäò ºÉÆnù¦ÉÇ ¨Éå ªÉÖ´ÉÉ+Éå Eäò ʱÉB BEò ºÉ]õÒEò |ɺiÉÖÊiÉ ½èþ *
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  14. यह रचना न जाने कितनी बार अमिताभ बच्चन की आवाज़ में सुनी है. आज यहाँ पढकर भी बहुत अच्छा लगा.

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  15. ह्रदय तक पहुँच झकझोर जाने वाली ये पंक्तियाँ कभी बिसराई जा सकती हैं...

    आभार इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु...

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  16. लम्बे समय से आपके ब्लॉग तक पहुँच नहीं पा रही थी...क्या तकनीकी समस्या है कुछ समझ ही नहीं पड़ रहा था..

    आज जाकर समाधान हुआ...

    बड़ा ही अच्छा लग रहा है...

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  17. बच्चनजी की रचना पढवाने के लिए आभार आपका ...

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  18. इस रचना को जितनी बार पढो उतना ही अच्‍छा लगता है। आभार।

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  19. इस कविता को यहाँ प्रस्तुत करने के लिए आभार

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  20. कालजयी रचना के लिये आभार ।

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  21. बच्चन जी की एक प्रमुख प्रतिनिधि कविता को पढ़वाने के लिए आपका आभार!!!

    बच्चन जी की तस्वीर भी अनमोल है।

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  22. बहूत अच्छा लगा इस कविता को पढकर
    आपका बहूत - बहूत धन्यवाद.
    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ.

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  23. bahut hi pyaari rachna hai,jitni baar padho,naee lagti hai,aabhar ise yhan rkhne ke liye

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