मंगलवार, 18 सितंबर 2012

आईना–केदारनाथ सिंह

आईना

केदारनाथ सिंह

केदारनाथ सिंहमैं उनकी तरफ़ से बोल रहा हूं

जो चले गए हैं काम पर

यह कहकर कि लौटने में हो सकती है देर

उस परछाईं की तरफ़ से

जो अब भी टँगी हवा में

उस स्त्री के तमतमाकर चले जाने के बाद

उस चाय की तरफ़ से

जो सिर्फ़ आधी पी गई थी

क्योंकि पीनेवाले की होठों की

छूट रही थी बस

 

बोलते-बोलते कई बार

मैं बोल जाता हूं अचानक

मोढ़े की ऊब

झाड़ू की उदासी

राख की यातना

और यहां तक कि उन दीवारों की ओर से भी

जिनमें ख़ुद मैं बन्द हूं

और यद्यपि इस छोटे से घर का

एक छोटा-सा गवाह हूं

पर जब भी बोलता हूं

लगता है बोल रहा हूं उस चिउँटी की तरफ़ से

जो बच गई थी अकेली

नागासाकी में

 

मेरे निर्माता का आदेश है

देखो और बोलो

बोलो और टँगे रहो

और देखिए न मेरी मुस्तैदी

कि मैं सबकी ओर से बोलता हूं

और बोलता हूं अपने भीतर की सारी सच्चाई के साथ

पर मेरे नेक निर्माता ने

मुझे दी नहीं अनुमति

कि कभी बोल सकूं अपनी तरफ़ से

6 टिप्‍पणियां:

  1. बोलते-बोलते कई बार

    मैं बोल जाता हूं अचानक

    मोढ़े की ऊब

    झाड़ू की उदासी

    राख की यातना

    और यहां तक कि उन दीवारों की ओर से भी

    जिनमें ख़ुद मैं बन्द हूं

    दिल को छूने वाली पंक्तियाँ...बहुत बहुत आभार इस सुंदर रचना को पढवाने के लिए..

    जवाब देंहटाएं
  2. बोलते-बोलते कई बार

    मैं बोल जाता हूं अचानक

    मोढ़े की ऊब

    झाड़ू की उदासी

    राख की यातना

    और यहां तक कि उन दीवारों की ओर से भी

    जिनमें ख़ुद मैं बन्द हूं

    और यद्यपि इस छोटे से घर का

    एक छोटा-सा गवाह हूं

    पर जब भी बोलता हूं

    लगता है बोल रहा हूं उस चिउँटी की तरफ़ से

    जो बच गई थी अकेली

    नागासाकी में

    मन के भीतर तक उतरने वाली बहुत प्यारी रचना...आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. सच है ,आइना न अपने विचार रख सकता है और न टिपण्णी कर सकता है

    जवाब देंहटाएं
  4. और यद्यपि इस छोटे से घर का

    एक छोटा-सा गवाह हूं

    पर जब भी बोलता हूं

    लगता है बोल रहा हूं उस चिउँटी की तरफ़ से

    जो बच गई थी अकेली

    नागासाकी में

    यह है निजी को वैश्विक बनाने का हुनर .

    जवाब देंहटाएं

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