प्रेरक प्रसंग-40
यह गाजा-बाजा किसलिए?
1930 के अप्रैल के महीने की बात है। गांधी जी के नेतृत्व में दाण्डी कूच (नमक सत्याग्रह) पूरा हो चुका था और अब खजूर का पेड़ काटने का सत्याग्रह चल रहा था। कराडी नामक गांव में पड़ाव था। एक छोटी सी झोपड़ी में गांधी जी रहते थे। एक दिन सुबह-सुबह गांव वालों ने बड़ा जुलूस निकाला। जुलूस में महिलाएं भी थीं। बाजे बज रहे थे। पुरुषों के हाथ में फल, फूल, पैसे थे। गांधी जी ने सोचा ये कैसा जुलूस है? ये सारे लोग क्या सत्याग्रह करने जा रहे हैं? गांधी जी झोपड़ी से बाहर निकले। तभी उनकी जय-जयकार होने लगी। उन लोगों ने गांधी जी को श्रद्धापूर्वक प्रणाम किया और अपना उपहार गांधी जी के चरणों में समर्पित कर दिया।
गांधी जी ने पूछा, “कैसे आए? यह गाजा-बाजा किसलिए?”
जुलूस के नेता ने कहा, “महात्मा जी, हमारे गांव में हमेशा पानी का अकाल रहता है। गर्मी के दिन आते ही कुएं सूख जाते हैं। पानी की बड़ी किल्लत रहती है। लेकिन यह बड़े आश्चर्य की बात है कि हमारे गांव में आपके चरण पड़ते ही सारे कुओं में पानी भर आया है। यह देख आपके प्रति हमारे हृदय भक्ति भाव से भर आए हैं।”
गांधी जी ने कठोरता और नाराजगी से कहा, “तुम लोग पागल हो। मेरे आने का और इस पानी का क्या संबंध है? ईश्वर पर मेरा अधिकार थोड़े ही है? उसके पास आपकी वाणी का जो मूल्य है, उतना ही मेरी वाणी का है।”
कुछ क्षण रुककर गांधी जी ने कहा, “यह देखो, पेड़ पर कौआ बैठने और पेड़ टूटने का संयोग हो आए तो क्या यह कहोगे कि कौए ने पेड़ तोड़ दिया? और भी कई कारण होते हैं। तुम्हारे कुएं में पानी आया, पृथ्वी के गर्भ में कुछ भी उथल-पुथल हुई होगी और नया झरना फूटा होगा। व्यर्थ में बाल-कल्पना न करो। तुम सबके सब लोग पहले सूत कातने लगो। भारत मां को कपड़ा चाहिए न?”
सारे लोग प्रणाम करके चले गए। गांधी जी खजूर का पेड़ काटने के सत्याग्रह में लग गए।
.आभार आपकी टिपण्णी का .अब वो गांधी कहाँ अब तो राहुल विन्ची ही राहुल गांधी कहलाते
जवाब देंहटाएंआज के नेता तो यही कहते कि उनके ही प्रताप से पानी आया है ...
जवाब देंहटाएंगाँधी यूँ ही महात्मा नहीं कहलाये ……… यही गुण होता है महान आत्मा में
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (23-01-13) के चर्चा मंच पर भी है | अवश्य पधारें |
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ |
कारण कुछ भी रहा हो पानी आने का किन्तु उनका विश्वास गॉधी पर अटल था।
जवाब देंहटाएंगाँधी जी यूँ ही नहीं इतने बड़े देश को आजादी के लिए लेकर चल दिए थे , ये विश्वास की बात है।
जवाब देंहटाएंवाह,लाजवाब प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...पर क्या वे लोग समझेंगे.......?
जवाब देंहटाएंबापू सच्चे महात्मा थे । और इसी दृष्टि से उन्हें ठीक से समझा जासकता है । प्रेरक प्रसंग ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रेरक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसच है, सत्य और विनम्रता का यह मेल..
जवाब देंहटाएंप्रेरक प्रसंग...
जवाब देंहटाएंI visited several web pages however the audio feature for audio songs present at this website is truly wonderful.
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बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार...
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व्यर्थ में बाल-कल्पना न करो।
बहुत सुंदर …
सुंदर प्रविष्टि …
आभार !
शुभकामनाएं आने वाले सभी उत्सवों-पर्वों के लिए !!
:)
राजेन्द्र स्वर्णकार
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सुन्दर विचार .आभार .आभार आपकी टिपण्णी का
जवाब देंहटाएंVirendra Sharma @Veerubhai1947
ध्यान योग में छिपा है मनोरोगों का समाधानhttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/01/blog-post_1333.html …
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19mVirendra Sharma @Veerubhai1947
ram ram bhai मुखपृष्ठ सोमवार, 28 जनवरी 2013 पांचहज़ार साला हमारी योग ध्यान और मननशीलता की परम्परा http://veerubhai1947.blogspot.in/
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शुक्रिया आपकी टिपण्णी का .
जवाब देंहटाएंram ram bhai
मुखपृष्ठ
मंगलवार, 29 जनवरी 2013
इस शख्श को बोलने के दस्त लगें हैं
http://veerubhai1947.blogspot.in/