आह्वान मत करो नए साल में खुशियों का क्यों कि खुशियाँ तो महज़ धोखा हैं । आह्वान करना है तो करो - ख़ुद से ख़ुद को मिलने का नए संकल्प करने का ये वक्त मदमस्त हो गंवाने का नही है वक्त है आंकलन करने का कि - गए वर्ष में हमने क्या खोया क्या पाया है । ख़ुद में विश्वास जगाना है वो सब पाने का जो हम सोचते हैं कि खो चुके हैं । आज करना है तो अपने आत्मविश्वास का आवाहन करो नए वक्त को अपने अनुरूप बनाओ न कि वक्त के साथ ढल जाओ । अपने लिए नही दूसरों के लिए जियो अपनो के लिए नही देश के लिए कुछ करो . संगीता स्वरुप |
सोमवार, 27 दिसंबर 2010
आह्वान
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नया वर्ष खुशियाँ मनाने का नहीं /
जवाब देंहटाएंबल्कि आत्म मंथन का होना चाहिए /
नया वर्ष हम लोग और नजदीक आये
अपनी रचनाओ को लेकर //
आह्वान करना है तो करो -
जवाब देंहटाएंख़ुद से ख़ुद को मिलने का
xxxxxxxxxxxxxx
और व्यक्ति अगर ऐसा आह्वान कर लेता है और खुद से मिलने और खुद को जानने की कोशिश करता है , निश्चित रूप से वो मानवता के लिए वरदान बन जाता है ...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
हाँ यह तो आकलनो और नए संकल्पों का ही वक्त है ...नए वर्ष बल्कि नए दशक की शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंनव वर्ष पर आपका यह अह्वान हमारा भी ह ..
जवाब देंहटाएंअपने लिए नही
दूसरों के लिए जियो
अपनो के लिए नही
देश के लिए मरो.
नये वर्ष के मंगल और प्रेरक संदेश का अंतिम शब्द (देश के लिए 'मरो') बदला जा सकता है, विचार करें, यदि नहीं तो आपकी कविता पूरी तौर पर पसंद नहीं कर सका मैं, सखेद.
जवाब देंहटाएंसभी पाठकों का अभिनन्दन ..
जवाब देंहटाएं@@ राहुल जी ,
आपने सही सलाह दी ..मैंने अंतिम शब्द बदल दिया है ..आभार ..
नए साल की कविता में
जवाब देंहटाएंसबके लिए अच्छा आव्हान.
बहुत-बहुत शुभकामनाएं .
खुशियाँ भ्रम नहीं
जवाब देंहटाएंवह खुद के अन्दर का प्रकाश है
हम भ्रमित उसे व्यक्ति व्यक्ति में तलाशते हैं
खुद का आह्वान करो जीवन के रंगमंच पर
फिर देखो खुशियों की प्रस्फुटित किरणें !
...........बिल्कुल अपने विचारों की तरह -
'अपने आत्मविश्वास का
आवाहन करो
नए वक्त को
अपने अनुरूप बनाओ
न कि वक्त के साथ
ढल जाओ ।
अपने लिए नही
दूसरों के लिए जियो
अपनो के लिए नही
देश के लिए कुछ करो .'
आपकी उदारता और रचनात्मकता का हार्दिक सम्मान.
जवाब देंहटाएंआह्वान करना है तो करो -
जवाब देंहटाएंख़ुद से ख़ुद को मिलने का
नए संकल्प करने का
ये वक्त मदमस्त हो
गंवाने का नही है
संगीता जी!...कितनी सुंदर शिक्षा छिपी हुई है इन पंक्तियों मे!...नया साल बहुत बहुत मुबारक हो!.!..बस!... थोडा सा इंतजार!
अपने आत्मविश्वास का
जवाब देंहटाएंआवाहन करो
नए वक्त को
अपने अनुरूप बनाओ
न कि वक्त के साथ
ढल जाओ ।
अपने लिए नही
दूसरों के लिए जियो
अपनो के लिए नही
देश के लिए कुछ करो .
बहुत ही शिक्षाप्रद रचना उत्साहवर्धन करती है।
नव वर्ष मंगलमय हो।
बहुत सुन्दर और सार्थक सन्देश देती एक बहुत ही प्रेरणादायी रचना ! आपकी रचना सोये हुओं को जगा दे तो कितना अच्छा हो ! इतनी सारगर्भित प्रस्तुति के लिये आभार !
जवाब देंहटाएं... atisundar ... sandeshprad rachanaa !!!
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, बहुत ही सुंदर सोंच के साथ सुंदर प्रस्तुति. बहुत सही कहा आपने...... नए वर्ष के आगमन का स्वागत कुछ ऐसे ही आह्वान के साथ करना चाहिए.
जवाब देंहटाएंप्रेरक आह्वान!
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना!
very nice..
जवाब देंहटाएंPlease Visit My Blog..
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सुन्दर रचना है!
जवाब देंहटाएंमगर इस धोखे में सब मस्त हो जाते हैं!
क्योकि नये साल से सबको आशाएँ तो होती ही हैं!
सार्थक संदेश!!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ नव-वर्ष के नव-संकल्पो के लिये।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 28 -12 -2010
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
बीते कल से सबक लेकर हमें भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। आपकी कविता से उत्तम संदेश प्रसारित हो रहा है।
जवाब देंहटाएंअच्छा आव्हान.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.
संगीता दी!
जवाब देंहटाएंउचित आह्वान! अवसर एक सिंहावलोकन का..
जो अपने लिए कुछ कर पाए,उसी से देश के लिए कुछ करने की उम्मीद लगाना ठीक!
जवाब देंहटाएंसंगीता जी के आह्वान पर हम भी देश के लिए कुछ करने के लिए तैयार हैं.. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना...
जवाब देंहटाएंआवाहन करो
जवाब देंहटाएंनए वक्त को
अपने अनुरूप बनाओ
न कि वक्त के साथ
ढल जाओ ।
अपने लिए नही
दूसरों के लिए जियो
सबकी भावनाए ऐसी हो जायें तो तमाम दिक्कतें अपने आप दूर हो जायें.
बढ़िया प्रस्तुति
अपने लिए नही
जवाब देंहटाएंदूसरों के लिए जियो
अपनो के लिए नही
देश के लिए कुछ करो .
बहुत प्रेरक सन्देश..नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
नए वक्त को
जवाब देंहटाएंअपने अनुरूप बनाओ
न कि वक्त के साथ
ढल जाओ ।
-साधुवाद.
नए वर्ष में आत्मावलोकन किया जाना चाहिए ...
जवाब देंहटाएंआह्वान अपने आत्मविश्वास का ...
बिलकुल सही कहा आपने ...
आपको भी नववर्ष की बहुत शुभकामनायें !
उदात्त एव गहन भावों को समेटे सुंदर संदेश देती, खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
जवाब देंहटाएंआप को सप रिवार नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाए.
सादर
डोरोथी.
बहुत अच्छा आह्वान करने के लिए दिशा दी है. 'स्व' के तिलस्म को तोड़ कर अगर 'पर' के दायरे में फैल जाएँ तो ये संसार वाकई स्वर्ग बन सकता है.
जवाब देंहटाएंआज डायरी बदल गयी है
जवाब देंहटाएंदीवार के कलेण्डर भी
डायरी पर लिखने है काम
जिन्हें करने है पूरे साल
कलेण्डर पर भी गोले बनाने हैं
खास बातो को याद रखना है
कितने दिन अपने लिए
कितने दिन परिवार के
कितने दिन देश को दिए
रखना होगा हिसाब।
सूरज तो रोज ही उगेगा
कितना तेज भर लेंगे हम
चांद की मधुरता कितनी सहेज लेंगे
कितने अपने बनेंगे
और कितने पराए?
सारा हिसाब है नव वर्ष
मेरा हिसाब, तेरा हिसाब
और पूरे देश का हिसाब।