रविवार, 14 अगस्त 2011

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से

 

जयशंकर प्रसाद की कविता - 1

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से

 

हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्वला स्वतंत्रता पुकारती
अमर्त्य वीर पुत्र हो दृढ़-प्रतिज्ञ सोच लो
प्रशस्त पुण्य पंथ हैं - बढ़े चलो बढ़े चलो ॥

 

असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के रुको न शूर साहसी
अराति सैन्य सिंधु में सुबाड़वाग्नि से जलो
प्रवीर हो जयी बनो - बढ़े चलो बढ़े चलो

10 टिप्‍पणियां:

  1. स्वत्नत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना...

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  2. स्वतंत्रता दिवस की शुरुआत सुन्दर रचना से ... एक सार्थक आह्वान करती हुई प्रस्तुति ...

    स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें और बधाई

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  3. यह तो हमने सालों गाया है। विद्यालय में प्रार्थना नहीं, यही अभियान गीत हर दिन होना ही था। प्रसाद जैसे आदमी लिखें, तो तत्सम शब्द तो होंगे ही।

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  4. सुन्दर प्रस्तुति.....

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

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  5. जयशंकर प्रसाद जी की अमर रचना पढ़वाने के लिए आभार।

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