रविवार, 3 जून 2012

सफाई ईश्वर का रूप है


प्रेरक प्रसंग-38
सफाई ईश्वर का रूप है


गांधी जी सफाई पसंद व्यक्ति थे। उनका मानना था कि सफाई ईश्वर का रूप है। वे घर में तो सफाई रखते ही थे, सार्वजनिक सफाई का भी उन्हें काफ़ी ख़्याल रहता था। वे तो अंदर और बाहर दोनों निर्मल रखते थे, रखना चाहते थे।

बात उन दिनों की है जब गांधी जी यरवदा जेल में थे। जेल के अधिकारियों से उन्होंने अपने लिए एक खास काम मांग रखा था। वे कपड़े सीते थे। कर्मयोगी तो वे थे ही, लगन और निष्ठा से अपना यह काम भी किया करते थे।

एक दिन जेल का एक प्रमुख अधिकारी उनसे मिलने आया। गांधी जी जहां बैठकर सूत कातते थे, वहां तक वह अधिकारी जूते पहन लर चला आया। उसने गांधी जी से हाल-चाल पूछा। गांधी जी ने प्रसन्नता से उत्तर दिया। कुछ देर रुक कर वह अधिकारी चला गया।

उस अधिकारी के जाते ही, गांधी जी उठकर कमरे से बाहर गए और एक बाल्टी पानी भरकर ले आए। जेल का वह अधिकारी जहां तक जूते पहने हुए गया था, वहां तक उन्होंने फ़र्श को धोया, लिपाई की, साफ कर दिया। एक सहयोगी की नज़र इस पर पड़ी, तो उसने पूछा, “बापू! यह आप क्या कर रहे हैं?”

गांधी जी ने कहा, “यह मेरे उठने-बैठने का स्थान है। क्या उसे साफ न रखूं?”

उस सहयोगी ने पूछा, “किसने गंदा कर दिया?”

गांधी जी ने कहा, “जेल के अधिकारी आए थे। बात करते-करते वे यहां तक आए। उन्होंने जूते पहन रखे थे। इसलिए इसे साफ कर रहा हूं।”

सहयोगी ने सुझाव दिया, “आपको उन्हें मना कर देना चाहिए था। आपने उनसे कहा क्यों नहीं? आप दरवाज़े के पास एक तख़्ती लगा दीजिए कि जूते बाहर उतारकर आएं।”

गांधी जी ने कहा, “नहीं, यह तो हर एक के समझने की बात है। जाने दो। बहुत दिनों के बाद आज लिपाई की। ऐसा अवसर मुझे कौन देगा? जेल के अधिकारी के प्रति मुझे आभार मानना चाहिए कि उन्होंने मुझे ऐसे सत्कार्य का अवसर दिया, मेरे हाथ से सफाई की सेवा हुई।”

यह कहकर गांधी जी हंसते-हंसते अपना हाथ धोने लगे।
***

8 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा सफाई में ही ईश्वर का वास है !
    सुंदर प्रस्तुतीकरण !!

    जवाब देंहटाएं
  2. कर्तव्यपरायणता और सेवा की प्रतिमूर्ति राष्ट्रपिता के जीवन का यह प्रसंग सचमुच अनुकरणीय है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. सफाई प्रकृति का एक मौलिक गुण है । स्वच्छता और पवित्रता धर्म का प्रमुख अंग माना जाता है तो उसका सही-सही ज्ञान भी होना आवश्यक है । शिक्षा और संस्कृति के साथ सफाई का स्वास्थ्य से भी अटूट सम्बन्ध है पर आजकल लोगों ने सफाई के सम्बन्ध में अपना दृष्टिकोण बड़ा संकुचित कर लिया है । शरीर की, वस्त्रों की और घर के भीतरी कमरों की साज-सज्जा का तो पूरा ध्यान रखते हैं, हमें यह भी देखना पड़ेगा कि मनुष्य के व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन में सफाई का आर्थिक, सामाजिक ओर नैतिक दृष्टि से क्या स्थान है? अपने पोस्ट 'सफाई ईश्वर का रूप है," के माध्यम से प्रस्तुत गांधी जी के विचारों के बारे में इस संबंध में अच्छी सीख मिलती है। गांधी जी-"CLEANINESS IS NEXT TO GODLINESS" से प्रभावित थे । मरे पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका विशेष आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. जरूरत है कि गांधीजी के इस गुण को हम सभी अपनायें ।

    जवाब देंहटाएं

आप अपने सुझाव और मूल्यांकन से हमारा मार्गदर्शन करें