उदात्त काव्यभाषा के माध्यम से प्रकृति का अनुकरण है::काव्य लक्षण-14 (पाश्चात्य काव्यशास्त्र-2) |
यूनानी काव्यशास्त्र में अरस्तू के बाद जो सबसे आदर के साथ याद किए जाते हई वो हैं लांजाइनस। उन्होंने “पोरिइप्सुस” की रचना की थी। इसका अर्थ है काव्य में उदात्त तत्व। उनका मानना है कि काव्य का प्राण-तत्व है उसका उदात्त तत्व।
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शुक्रवार, 30 जुलाई 2010
उदात्त काव्य भाषा के माध्यम से प्रकृति का अनुकरण है :: काव्य लक्षण-14 (पाश्चात्य काव्यशास्त्र-2)
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काव्य की अंतर्वस्तु (कन्टेन्ट्स) और अभिव्यंजना (एक्सप्रेशन)
जवाब देंहटाएंसही निर्देश देती आपकी यह रचना निश्चय ही सहायक होगी....आभार
सार्थक प्रस्तुति- साधुवाद!
जवाब देंहटाएंसद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी
jankari bdhati sarthak rachna
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
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