खुली आँख से बस एक शून्य नज़र आता है । दम तोड़ता श्वास लरजता कांपता सा उच्छ्वास नज़र नही आता एक भी विश्वास । ज़िन्दगी जैसे , बिखर सी गई है वक्त है कि मेहरबान हो कर भी मेहरबान नहीं है बिखरी चाहतें भी शायद यहीं कहीं हैं सब कुछ पास रहते हुए भी कुछ भी पास नहीं है । इसी को जीना कहते हैं शायद ज़िन्दगी यही है । बंद आंखों में बस एक सपना है बस - वही केवल अपना है सपने में सारी चाहतें मैंने पा ली हैं हकीकत में मेरा पूरा का पूरा हाथ खाली है . संगीता स्वरुप |
जीवन का सत्य दर्शन कराती है आपकी कविता। बधाई।
जवाब देंहटाएंसपने में सारी चाहतें
जवाब देंहटाएंमैंने पा ली हैं
हकीकत में मेरा
पूरा का पूरा हाथ खाली है .
यथार्थ के समीप ले जाती हुई सुंदर अभिव्यक्ति ..!!
जीवन की रिक्तता पर अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंईश्वर से यही कामना है स्वप्न में जो चाहतें आपके समीप हैं वे यथार्थ में भी आपकी खाली हथेलियों को भर दें और आपकी हर आस सम्पूर्ण हो ! रुक्ष सत्य की खंरोंच की अनुभूति कराती एक सुंदर एवं संवेदनशील रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंयही जीवन की सत्यता है हाथ रिक्त ही रहते हैं तब तक जब तक इनमे आत्मदर्शन की अनुभूति ना आ जाये।
जवाब देंहटाएंहकीकत और सपनो के बीच के फर्क को बखूबी रूबरू कराती कविता!
जवाब देंहटाएंबधाई!!
जीवन की सच्चाई को बयां करती सुँदर रचना . आभार
जवाब देंहटाएं........ सुंदर एवं संवेदनशील रचना
जवाब देंहटाएंनज़र नही आता
जवाब देंहटाएंएक भी विश्वास ।
आज का यथार्थ यही है। सपने मे भी पा सको तो गनीमत समझो नही तो किसी के पास तो सपने देखने का भी अवसर नही है। अच्छी भावाभिव्यक्ति के लिये बधाई।
देश और समाजहित में देशवासियों/पाठकों/ ब्लागरों के नाम संदेश:-
जवाब देंहटाएंमुझे समझ नहीं आता आखिर क्यों यहाँ ब्लॉग पर एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाना चाहते हैं? पता नहीं कहाँ से इतना वक्त निकाल लेते हैं ऐसे व्यक्ति. एक भी इंसान यह कहीं पर भी या किसी भी धर्म में यह लिखा हुआ दिखा दें कि-हमें आपस में बैर करना चाहिए. फिर क्यों यह धर्मों की लड़ाई में वक्त ख़राब करते हैं. हम में और स्वार्थी राजनीतिकों में क्या फर्क रह जायेगा. धर्मों की लड़ाई लड़ने वालों से सिर्फ एक बात पूछना चाहता हूँ. क्या उन्होंने जितना वक्त यहाँ लड़ाई में खर्च किया है उसका आधा वक्त किसी की निस्वार्थ भावना से मदद करने में खर्च किया है. जैसे-किसी का शिकायती पत्र लिखना, पहचान पत्र का फॉर्म भरना, अंग्रेजी के पत्र का अनुवाद करना आदि . अगर आप में कोई यह कहता है कि-हमारे पास कभी कोई आया ही नहीं. तब आपने आज तक कुछ किया नहीं होगा. इसलिए कोई आता ही नहीं. मेरे पास तो लोगों की लाईन लगी रहती हैं. अगर कोई निस्वार्थ सेवा करना चाहता हैं. तब आप अपना नाम, पता और फ़ोन नं. मुझे ईमेल कर दें और सेवा करने में कौन-सा समय और कितना समय दे सकते हैं लिखकर भेज दें. मैं आपके पास ही के क्षेत्र के लोग मदद प्राप्त करने के लिए भेज देता हूँ. दोस्तों, यह भारत देश हमारा है और साबित कर दो कि-हमने भारत देश की ऐसी धरती पर जन्म लिया है. जहाँ "इंसानियत" से बढ़कर कोई "धर्म" नहीं है और देश की सेवा से बढ़कर कोई बड़ा धर्म नहीं हैं. क्या हम ब्लोगिंग करने के बहाने द्वेष भावना को नहीं बढ़ा रहे हैं? क्यों नहीं आप सभी व्यक्ति अपने किसी ब्लॉगर मित्र की ओर मदद का हाथ बढ़ाते हैं और किसी को आपकी कोई जरूरत (किसी मोड़ पर) तो नहीं है? कहाँ गुम या खोती जा रही हैं हमारी नैतिकता?
मेरे बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि- आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला के लिए जुनून अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं. यह पता नहीं कितना सच है, मगर अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. अब देखते हैं मुझे मेरी गलती का कितने व्यक्ति अहसास करते हैं और मुझे "क्षमादान" देते हैं.
आपका अपना नाचीज़ दोस्त-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"
पता नहीं आप लोग इतनी निराशा की बात क्यों करते हैं, मेरे तो गले ही नहीं उतरती। बुरा मत मानिएगा। मैं कल दिल्ली आ रही हूँ आपसे मिलने का मन है।
जवाब देंहटाएंयही है मनुष्य स्वाभाव ...सब कुछ होता है फिर भी लगता है कहीं कोई कमी सी है.
जवाब देंहटाएंकविता निराशावादी है.पर अच्छी लगी.
ज़िन्दगी की सही तस्वीर पेश की है आपने।
जवाब देंहटाएंपर ...
ख़ाली हाथ को देखने के लिए आंखें खोले रखनी होती हैं।
ख़ाब तो चैन की नींद सोते-सोते ही देखा जा सकता है।
आज जगाए रखने वाले बहुत हैं, निंद आए चैन की, ऐसा बहुत कम दिला पाते हैं।
जीवन का यथार्थ यही है, आशा और निराशा भी तो जीवन के दो पहलू हैं , हमेश कोई भी एक पहलू के साथ कहाँ रह पता है? जब भी जिस रूप से गुजारा उसी को लिख कर मन को हल्का करलिया.
जवाब देंहटाएंअजीत जी ,
जवाब देंहटाएंस्वागत है आपका ...फोन कीजियेगा .
हकीकत में मेरा
जवाब देंहटाएंपूरा का पूरा हाथ खाली है .
मेरे ब्लॉग पर आयें, आपका स्वागत है
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