मेरी कविताएं तो होंगी
मेरी कविताएं तो होंगी!
गीत होंगे !
सूरज की ओर मुंह किए खड़ा
कनैल का झाड़ तो होगा!
प्यार के दिनों में भींगी
पुरानी चिट्ठियां
पसंद के कपडे़ की तरह
सहेजी हुई होंगी तो !
मैं उस दिन न होउं तो भी
होंगी तो मेरी कविताएं!
पढ़ाई की मेज पर
मेरी प्रिय कविताएं
करीने से सजाई हुई होंगी
पहले की तरह
दोनों आंखों को स्पर्श करा देना
मेरी कविता को मेरी कापी को ।
तब धीरे ,बहुत धीरे
तुम्हारे हृदय से
बह चलेगी सुरभित हवा
मैं उस दिन न होंउँ तो भी
होंगी मेरी कविताएं
मेरे गीत।
__________________________________
प्रेमसागर सिंह |
मेरे उस दिन न होने पर भी
गीत होंगे !
सूरज की ओर मुंह किए खड़ा
कनैल का झाड़ तो होगा!
प्यार के दिनों में भींगी
पुरानी चिट्ठियां
पसंद के कपडे़ की तरह
सहेजी हुई होंगी तो !
मैं उस दिन न होउं तो भी
होंगी तो मेरी कविताएं!
पढ़ाई की मेज पर
मेरी प्रिय कविताएं
करीने से सजाई हुई होंगी
पहले की तरह
दोनों आंखों को स्पर्श करा देना
मेरी कविता को मेरी कापी को ।
तब धीरे ,बहुत धीरे
तुम्हारे हृदय से
बह चलेगी सुरभित हवा
मैं उस दिन न होंउँ तो भी
होंगी मेरी कविताएं
मेरे गीत।
__________________________________
प्रेमसागर सिंह
bahut sundar prastuti...manmohak
जवाब देंहटाएंबहुत भावुक सी रचना
जवाब देंहटाएंह्रदय से निकली ......भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी रचना.
जवाब देंहटाएंह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना
जवाब देंहटाएंह्रदय से निकली ......भावपूर्ण ... मर्मस्पर्शी रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावमयी और मार्मिक रचना है………भिगो गयी।
जवाब देंहटाएंसत्य हैं, सुन्दर कृतियाँ काल से परे हुआ करती हैं.काल इसे रौंद नहीं पाता...
जवाब देंहटाएंआपकी कविता आपके भावनात्मक अस्तित्व की पहचान है।
जवाब देंहटाएंआपकी कवितायेँ ही होंगी मार्मिक रचना...
जवाब देंहटाएंभावपूरित दिल को छूने वाली रचना लिखी है आपने।
जवाब देंहटाएंbahut bhaavuk ehsaso me dubi abhivyakti.
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को सजाने और संवारने के लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आखिर,आप तो मेरे व्लाग गुरू हैं।
जवाब देंहटाएंमेरी कविता आपके दिल में थोड़ी सी जगह पाने में समर्थ रही,यही मेरे लिए काफी है।
"बदलते चेहरों के मौसम मे ये जरूरी है,
नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"
धन्यवाद।
शुभ रात्रि।
श्री मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को सजाने और संवारने के लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आखिर,आप तो मेरे व्लाग गुरू हैं।
मेरी कविता आपके दिल में थोड़ी सी जगह पाने में समर्थ रही,यही मेरे लिए काफी है।
"बदलते चेहरों के मौसम मे ये जरूरी है,
नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"
धन्यवाद।
शुभ रात्रि।
श्री मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को सजाने और संवारने के लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आखिर,आप तो मेरे व्लाग गुरू हैं।
मेरी कविता आपके दिल में थोड़ी सी जगह पाने में समर्थ रही,यही मेरे लिए काफी है।
"बदलते चेहरों के मौसम मे ये जरूरी है,
नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"
धन्यवाद।
शुभ रात्रि।
श्री मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंमेरे पोस्ट को सजाने और संवारने के लिए आपको तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आखिर,आप तो मेरे व्लाग गुरू हैं।
मेरी कविता आपके दिल में थोड़ी सी जगह पाने में समर्थ रही,यही मेरे लिए काफी है।
"बदलते चेहरों के मौसम मे ये जरूरी है,
नजर के सामने हर वक्त आईना रखना।"
धन्यवाद।
शुभ रात्रि।
गम्भीर सी भावुक रचना
जवाब देंहटाएं________________
निरामिष: अहिंसा का शुभारंभ आहार से, अहिंसक आहार शाकाहार से
सुज्ञ: ईश्वर हमारे काम नहीं करता…
कविताएँ शब्दों से हैं, वे अक्षर से हैं, ये भला कहाँ क्षर होने वाले !!
जवाब देंहटाएंसुन्दर !
एक मनभावन रचना |
जवाब देंहटाएंआशा