बुधवार, 7 जुलाई 2010

श्रीकांत वर्मा की कविताएं

श्र
श्रीकांत वर्मा
जीवन परिचय
जन्म :  कवि, कथाकार, समालोचक एवं संसद सदस्य श्रीकांत वर्मा का जन्म छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 18 सितम्बर 1931 को हुआ था।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा के लिए उनका दाखिला बिलासपुर के एक अंग्रेज़ी स्कूल में कराया गया लेकिन वहां का वातावरण उन्हें रास नहीं आया। उन्होंने उस स्कूल को छोड़ दिया और नगर पालिका के स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। मैट्रिक पास कर लेने के बाद आगे की शिक्षा के लिए उन्हें इलाहाबाद भेजा गया। वहां उन्होंने क्रिश्चियन कॉलेज में दाखिला लिया। पर वहां उन्हें घर की याद सताने लगी और बिलासपुर वापस लौट आए। यहीं पर बी.ए. तक की पढ़ाई पूरी की। प्राइवेट से नागपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. किया।

कार्यक्षेत्रपिता राजकिशोर वर्मा वकील थे। हलाकि यह एक सम्पन्न परिवार था, फिर भी श्रीकांत वर्मा को काफ़ी कठिन दिन देखने पड़े। 1952 तक बेकारी झेलते रहे। घर की आर्थिक स्थिति ख़राब थी। स्कूल शिक्षक की नौकरी शुरु की। परिवार में सबसे बड़े थे इसलिए परिवार की जिम्मेदारी भी उन पर आ पड़ी। 1954 में उनकी भेंट मुक्तिबोध से हुई। उनकी प्रेरणा से बिलासपुर में नवलेखन की पत्रिका ‘नयी दिशा’ का संपादन करना शुरु किया।  1956 से नरेश मेहता के साथ प्रख्यात साहित्यिक पत्रिका ‘कृति’ पत्रिका का दिल्ली से संपादन एवं प्रकाशन करते थे। 1956 से लेकर 1963 तक का समय उनके लिए संघर्ष का काल था। 1964 में रायपुर की सांसद मिनी माता ने उन्हें दिल्ली के अपने सरकारी आवास में रहने के लिए बुला लिया, जहां वे अगले ग्यारह साल तक रहे। दिल्ली में वे पत्रकारिता से जुड़े। 1965 से 1977 तक ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ के प्रकाशन समूह से निकलने वाली पत्रिका ‘दिनमान’ में उन्होंने विशेष संवददाता की हैसियत से काम किया। बाद में वे कॉंग्रेस की राजनीति में सक्रिय हो गए और उन्हें ‘दिनमान’ से अलग होना पड़ा। 1969 में वे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के काफ़ी क़रीब आये। वे कॉंग्रेस के महासचिव थे। 1976 में वह मध्यप्रदेश से राज्य सभा में निर्वाचित हुए। 1980 में कॉंग्रेस प्रचार समीति के अध्यक्ष थे। 1985 में राजीव गांधी के काल में उन्हें महासचिव के पद से हटा दिया गया।

मृत्यु : जीवन के अंतिम क्षणों में उन्हें बीमारियों ने भी घेर रखा था। अमेरिका में वे कैंसर के इलाज कराने के लिए गए। 26 मई 1986 को न्यूयार्क में उनका निधन हो गया।
पुरस्कार : उन्हे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिसमें ‘मगध’ काव्य संग्रह पर साहित्य अकादमी तथा मध्य प्रदेश का शिखर समान भी शामिल है।
:: प्रमुख रचनाएं ::
:: काव्य रचनाएँ  :: भटका मेघ (1957), मायादर्पण (1967), दिनारंभ (1967), जलसाघर (1973), मगध (1983), और गरुड़ किसने देखा (1986)
:: उपन्यास :: दूसरी बार (1968)।
:: कहानी-संग्रह :: झाड़ी (1964), संवाद (1969), घर (1981), दूसरे के पैर (1984), अरथी (1988), ठंड (1989), वास (1993), और साथ (1994)।
:: यात्रा वृत्तांत :: अपोलो का रथ (1973)।
:: संकलन :: प्रसंग
:: आलोचना :: जिरह (1975)।
:: साक्षात्कार :: बीसवीं शताब्दी के अंधेरे में (1982)।
:: अनुवाद :: ‘फैसले का दिन’ रूसी कवि आंद्रे बेंज्नेसेंस्की की कविता का अनुवाद है।

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