जन्म --- 1398
निधन --- 1518
राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय ।
जो सुख साधु सगं में, सो बैकुंठ न होय ॥ 231 ॥
संगति सों सुख्या ऊपजे, कुसंगति सो दुख होय ।
कह कबीर तहँ जाइये, साधु संग जहँ होय ॥ 232 ॥
साहिब तेरी साहिबी, सब घट रही समाय ।
ज्यों मेहँदी के पात में, लाली रखी न जाय ॥ 233 ॥
साँझ पड़े दिन बीतबै, चकवी दीन्ही रोय ।
चल चकवा वा देश को, जहाँ रैन नहिं होय ॥ 234 ॥
संह ही मे सत बाँटे, रोटी में ते टूक ।
कहे कबीर ता दास को, कबहुँ न आवे चूक ॥ 235 ॥
साईं आगे साँच है, साईं साँच सुहाय ।
चाहे बोले केस रख, चाहे घौंट मुण्डाय ॥ 236 ॥
लकड़ी कहै लुहार की, तू मति जारे मोहिं ।
एक दिन ऐसा होयगा, मैं जारौंगी तोहि ॥ 237 ॥
हरिया जाने रुखड़ा, जो पानी का गेह ।
सूखा काठ न जान ही, केतुउ बूड़ा मेह ॥ 238 ॥
ज्ञान रतन का जतनकर माटी का संसार ।
आय कबीर फिर गया, फीका है संसार ॥ 239 ॥
ॠद्धि सिद्धि माँगो नहीं, माँगो तुम पै येह ।
निसि दिन दरशन शाधु को, प्रभु कबीर कहुँ देह ॥ 240 ॥
क्रमश:
ब्लॉग जगत के सभी मित्रों को कान्हा जी के जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां ..
जवाब देंहटाएंहम सभी के जीवन में कृष्ण जी का आशीर्वाद सदा रहे...
जय श्री कृष्ण ..
साहिब तेरी साहिबी, सब घट रही समाय ।
जवाब देंहटाएंज्यों मेहँदी के पात में, लाली रखी न जाय ॥
कबीर जी के अति उत्तम दोहे पढवाने के लिये आभार
सच्चाई तो ये है कि स्कूल-कॉलेज के बाद से भक्ति साहित्य पढ़ने का कोई अवसर ही नहीं. आपके यहां कबीर को पुन: पढ़ कर अच्छा लगा. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंलकड़ी कहै लुहार की, तू मति जारे मोहिं ।
जवाब देंहटाएंएक दिन ऐसा होयगा, मैं जारौंगी तोहि ॥
कबीर को पढना जीवन के सत्य को पढ़ना है। आज भी उनके दोहे हमें बहुत कुठ सीख देते हैं। प्रस्तुति अच्छी लगी। धन्यवाद ।
bahut sunder saakhi.
जवाब देंहटाएंमनोज जी इस प्रकार का दर्द पोश्चर बदलने से कम हो जाता है .कुछ वक्त मेरी तरह खड़े होकर ब्लोगिंग कीजिए मेज पर लैप टॉप को किसी सपोर्ट पर रख लेन ताकि उसकी आधार से ऊंचाई आपकी नाभि से कमसे कम एक बिलांद (६ इंच तो ऊपर रहे ही ),मेरी तो लोवर बेक में भी जैसे ही इस पोश्चरल पैन के संकेत मिले मैं खबरदार हो गया तब बोम्बे में था .अब तकरीबन खड़े होके लिखने की आदत पड़ गई है यहाँ यू एस में लोगों ने काम की जगह पर अपने हिसाब से कंप्यूटर और कंप्यूटर सीट्स का समायोजन किया हुआ है यहाँ फ्रोजन शोल्डर की समस्या आम रही है .वजह चौबीसों घंटा आन लाइन रहना ही रही है .शुक्रिया आपकी द्रुत टिपण्णी के लिए .यह श्रृंखला आगे भी ज़ारी रहेगी काइरोप्रेक्टिक पर .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंशनिवार, 11 अगस्त 2012
Shoulder ,Arm Hand Problems -The Chiropractic Approachhttp://veerubhai1947.blogspot.com/
संगति सों सुख्या ऊपजे, कुसंगति सो दुख होय ।
जवाब देंहटाएंकह कबीर तहँ जाइये, साधु संग जहँ होय ॥ 232 ॥
कबीर की साखी का ज़वाब नहीं ऐसा ही संगत के बारे में तुलसी बाबा कहतें हैं -एक घड़ी आधी घड़ी ,आधी से पुनि आध ,
तुलसी संगत साध की ,काटे कोटि अपराध .शुक्रिया इन बोध दायक साखियों के लिए .संगीता जी बारहा पेश कश है इनका भावानुवाद भी कोई देता रहे तो सोने पे सुहागा ..
मनोज जी इस प्रकार का दर्द पोश्चर बदलने से कम हो जाता है .कुछ वक्त मेरी तरह खड़े होकर ब्लोगिंग कीजिए मेज पर लैप टॉप को किसी सपोर्ट पर रख लेन ताकि उसकी आधार से ऊंचाई आपकी नाभि से कमसे कम एक बिलांद (६ इंच तो ऊपर रहे ही ),मेरी तो लोवर बेक में भी जैसे ही इस पोश्चरल पैन के संकेत मिले मैं खबरदार हो गया तब बोम्बे में था .अब तकरीबन खड़े होके लिखने की आदत पड़ गई है यहाँ यू एस में लोगों ने काम की जगह पर अपने हिसाब से कंप्यूटर और कंप्यूटर सीट्स का समायोजन किया हुआ है यहाँ फ्रोजन शोल्डर की समस्या आम रही है .वजह चौबीसों घंटा आन लाइन रहना ही रही है .शुक्रिया आपकी द्रुत टिपण्णी के लिए .यह श्रृंखला आगे भी ज़ारी रहेगी काइरोप्रेक्टिक पर .कृपया यहाँ भी पधारें -
शनिवार, 11 अगस्त 2012
Shoulder ,Arm Hand Problems -The Chiropractic Approachhttp://veerubhai1947.blogspot.com/
कबीर की साखियां...अतर्मन को निर्मल कर रही हैं.
जवाब देंहटाएंइन दोहों में मनेजमेंट के बड़े-बड़े सूत्र समाहित हैं।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मनोज भाई ,संगीता जी की पोस्ट उत्तम है .कबीर को पढ़ना सदैव बोध को पुष्टिकर तत्व मुहैया करवाता है ..
जवाब देंहटाएंशनिवार, 11 अगस्त 2012
कंधों , बाजू और हाथों की तकलीफों के लिए भी है का -इरो -प्रेक्टिक
कबीर जी के दहं को पढकर बडा अच्छा लगा । सुसंगति ही सब कुछ है जीवन में । इन्हे पढवाने का अनेक धन्यवाद संगीता जी ।
जवाब देंहटाएंअद्भुत.
जवाब देंहटाएंकबीर जी के उत्तम दोहे.
खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने
जवाब देंहटाएंइसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री
भी झलकता है...
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर
ने दिया है... वेद जी को अपने
संगीत कि प्रेरणा जंगल
में चिड़ियों कि चहचाहट से
मिलती है...
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