शुक्रवार, 10 अगस्त 2012

साखी ..... भाग - 24 / संत कबीर


जन्म  --- 1398

निधन ---  1518

राम बुलावा भेजिया, दिया कबीरा रोय

जो सुख साधु सगं में, सो बैकुंठ होय 231



संगति सों सुख्या ऊपजे, कुसंगति सो दुख होय

कह कबीर तहँ जाइये, साधु संग जहँ होय 232



साहिब तेरी साहिबी, सब घट रही समाय

ज्यों मेहँदी के पात में, लाली रखी जाय 233



साँझ पड़े दिन बीतबै, चकवी दीन्ही रोय

चल चकवा वा देश को, जहाँ रैन नहिं होय 234



संह ही मे सत बाँटे, रोटी में ते टूक

कहे कबीर ता दास को, कबहुँ आवे चूक 235



साईं आगे साँच है, साईं साँच सुहाय

चाहे बोले केस रख, चाहे घौंट मुण्डाय 236



लकड़ी कहै लुहार की, तू मति जारे मोहिं

एक दिन ऐसा होयगा, मैं जारौंगी तोहि 237



हरिया जाने रुखड़ा, जो पानी का गेह

सूखा काठ जान ही, केतुउ बूड़ा मेह 238



ज्ञान रतन का जतनकर माटी का संसार

आय कबीर फिर गया, फीका है संसार 239



ॠद्धि सिद्धि माँगो नहीं, माँगो तुम पै येह

निसि दिन दरशन शाधु को, प्रभु कबीर कहुँ देह 240




क्रमश:

13 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग जगत के सभी मित्रों को कान्हा जी के जन्मदिवस की हार्दिक बधाइयां ..
    हम सभी के जीवन में कृष्ण जी का आशीर्वाद सदा रहे...
    जय श्री कृष्ण ..

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  2. साहिब तेरी साहिबी, सब घट रही समाय ।

    ज्यों मेहँदी के पात में, लाली रखी न जाय ॥

    कबीर जी के अति उत्तम दोहे पढवाने के लिये आभार

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  3. सच्‍चाई तो ये है कि‍ स्‍कूल-कॉलेज के बाद से भक्‍ति‍ साहि‍त्‍य पढ़ने का कोई अवसर ही नहीं. आपके यहां कबीर को पुन: पढ़ कर अच्‍छा लगा. धन्‍यवाद.

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  4. लकड़ी कहै लुहार की, तू मति जारे मोहिं ।
    एक दिन ऐसा होयगा, मैं जारौंगी तोहि ॥

    कबीर को पढना जीवन के सत्य को पढ़ना है। आज भी उनके दोहे हमें बहुत कुठ सीख देते हैं। प्रस्तुति अच्छी लगी। धन्यवाद ।

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  5. मनोज जी इस प्रकार का दर्द पोश्चर बदलने से कम हो जाता है .कुछ वक्त मेरी तरह खड़े होकर ब्लोगिंग कीजिए मेज पर लैप टॉप को किसी सपोर्ट पर रख लेन ताकि उसकी आधार से ऊंचाई आपकी नाभि से कमसे कम एक बिलांद (६ इंच तो ऊपर रहे ही ),मेरी तो लोवर बेक में भी जैसे ही इस पोश्चरल पैन के संकेत मिले मैं खबरदार हो गया तब बोम्बे में था .अब तकरीबन खड़े होके लिखने की आदत पड़ गई है यहाँ यू एस में लोगों ने काम की जगह पर अपने हिसाब से कंप्यूटर और कंप्यूटर सीट्स का समायोजन किया हुआ है यहाँ फ्रोजन शोल्डर की समस्या आम रही है .वजह चौबीसों घंटा आन लाइन रहना ही रही है .शुक्रिया आपकी द्रुत टिपण्णी के लिए .यह श्रृंखला आगे भी ज़ारी रहेगी काइरोप्रेक्टिक पर .कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 11 अगस्त 2012
    Shoulder ,Arm Hand Problems -The Chiropractic Approachhttp://veerubhai1947.blogspot.com/

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  6. संगति सों सुख्या ऊपजे, कुसंगति सो दुख होय ।

    कह कबीर तहँ जाइये, साधु संग जहँ होय ॥ 232 ॥
    कबीर की साखी का ज़वाब नहीं ऐसा ही संगत के बारे में तुलसी बाबा कहतें हैं -एक घड़ी आधी घड़ी ,आधी से पुनि आध ,
    तुलसी संगत साध की ,काटे कोटि अपराध .शुक्रिया इन बोध दायक साखियों के लिए .संगीता जी बारहा पेश कश है इनका भावानुवाद भी कोई देता रहे तो सोने पे सुहागा ..
    मनोज जी इस प्रकार का दर्द पोश्चर बदलने से कम हो जाता है .कुछ वक्त मेरी तरह खड़े होकर ब्लोगिंग कीजिए मेज पर लैप टॉप को किसी सपोर्ट पर रख लेन ताकि उसकी आधार से ऊंचाई आपकी नाभि से कमसे कम एक बिलांद (६ इंच तो ऊपर रहे ही ),मेरी तो लोवर बेक में भी जैसे ही इस पोश्चरल पैन के संकेत मिले मैं खबरदार हो गया तब बोम्बे में था .अब तकरीबन खड़े होके लिखने की आदत पड़ गई है यहाँ यू एस में लोगों ने काम की जगह पर अपने हिसाब से कंप्यूटर और कंप्यूटर सीट्स का समायोजन किया हुआ है यहाँ फ्रोजन शोल्डर की समस्या आम रही है .वजह चौबीसों घंटा आन लाइन रहना ही रही है .शुक्रिया आपकी द्रुत टिपण्णी के लिए .यह श्रृंखला आगे भी ज़ारी रहेगी काइरोप्रेक्टिक पर .कृपया यहाँ भी पधारें -
    शनिवार, 11 अगस्त 2012
    Shoulder ,Arm Hand Problems -The Chiropractic Approachhttp://veerubhai1947.blogspot.com/

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  7. कबीर की साखियां...अतर्मन को निर्मल कर रही हैं.

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  8. इन दोहों में मनेजमेंट के बड़े-बड़े सूत्र समाहित हैं।

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  9. शुक्रिया मनोज भाई ,संगीता जी की पोस्ट उत्तम है .कबीर को पढ़ना सदैव बोध को पुष्टिकर तत्व मुहैया करवाता है ..
    शनिवार, 11 अगस्त 2012
    कंधों , बाजू और हाथों की तकलीफों के लिए भी है का -इरो -प्रेक्टिक

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  10. कबीर जी के दहं को पढकर बडा अच्छा लगा । सुसंगति ही सब कुछ है जीवन में । इन्हे पढवाने का अनेक धन्यवाद संगीता जी ।

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  11. अद्भुत.
    कबीर जी के उत्तम दोहे.

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  12. खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम इसमें वर्जित है, पर हमने
    इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री
    भी झलकता है...

    हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर
    ने दिया है... वेद जी को अपने
    संगीत कि प्रेरणा जंगल
    में चिड़ियों कि चहचाहट से
    मिलती है...
    Review my homepage - खरगोश

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