जन्म --- 1398
निधन --- 1518
क्षमा बड़न को चाहिए , छोटे को उत्पात ।
कहा विष्णु का घटि गया, जो भृगु मारीलात ॥ 241 ॥
राम-नाम कै पटं तरै, देबे कौं कुछ नाहिं ।
क्या ले गुर संतोषिए, हौंस रही मन माहिं ॥ 242 ॥
बलिहारी गुर आपणौ, घौंहाड़ी कै बार ।
जिनि भानिष तैं देवता, करत न लागी बार ॥ 243 ॥
ना गुरु मिल्या न सिष भया, लालच खेल्या डाव ।
दुन्यू बूड़े धार में, चढ़ि पाथर की नाव ॥ 244 ॥
सतगुर हम सूं रीझि करि, एक कह्मा कर संग ।
बरस्या बादल प्रेम का, भींजि गया अब अंग ॥ 245 ॥
कबीर सतगुर ना मिल्या, रही अधूरी सीष ।
स्वाँग जती का पहरि करि, धरि-धरि माँगे भीष ॥ 246 ॥
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान ।
सीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान ॥ 247 ॥
तू तू करता तू भया, मुझ में रही न हूँ ।
वारी फेरी बलि गई, जित देखौं तित तू ॥ 248 ॥
राम पियारा छांड़ि करि, करै आन का जाप ।
बेस्या केरा पूतं ज्यूं, कहै कौन सू बाप ॥ 249 ॥
कबीरा प्रेम न चषिया, चषि न लिया साव ।
सूने घर का पांहुणां, ज्यूं आया त्यूं जाव ॥ 250 ॥
क्रमश:
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान ।
जवाब देंहटाएंसीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान ॥
इस प्रस्तुति का सानी नहीं है।
बेहद उम्दा साखियाँ हैं कबीर जी की हर साखी एक सीख देती है।
जवाब देंहटाएंकबीर खाते क्या होंगे?
जवाब देंहटाएंकबीर अद्भुत हैं...
जवाब देंहटाएंसादर आभार।
अमृत वाणी...
जवाब देंहटाएंखरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है जो कि खमाज थाट का
जवाब देंहटाएंसांध्यकालीन राग है, स्वरों में कोमल निशाद और
बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम
इसमें वर्जित है, पर हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है,
जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता
है...
हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने दिया है.
.. वेद जी को अपने संगीत
कि प्रेरणा जंगल में चिड़ियों
कि चहचाहट से मिलती है.
..
Look at my web blog : फिल्म
कबीर सतगुर ना मिल्या, रही अधूरी सीष ।
जवाब देंहटाएंस्वाँग जती का पहरि करि, धरि-धरि माँगे भीष ॥
हमारे जीवन में सतगुरू की महिमा अपरंपार है । सतगुरू के बिना जीवन बेकार है। कबीर के हर दोहे हमें अच्छी सीख देते हैं। आपका यह प्रयास बहुत ही सराहनीय है। धन्यवाद ।
हिन्दुस्तान को आज कबीर चाहिए .कृपया यहाँ भी शिरकत करें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
शुक्रवार, 17 अगस्त 2012
गर्भावस्था में काइरोप्रेक्टिक चेक अप क्यों ?