सोमवार, 8 अगस्त 2011

दोस्ती का एक दिन …

Happy Friendship Day
कल अचानक ही
इस नेट की दुनिया ने
मेरे ज्ञान चक्षु खोल दिए
और मुझे पहली बार ही
पता चला कि --
साल भर में एक दिन
दोस्ती का भी होता है
शायद बाकी दिन
लोग दुश्मनी निबाहते हैं ।
ये पश्चिमी सभ्यता
भारतीय संस्कृति पर
कैसा कब्जा जमा रही है
दोस्ती के साथ साथ
माँ - बाप के लिए भी
साल में एक एक दिन
मना रही है ।
सोचती हूँ कि -
क्या कोई पश्चिमी देश
ऐसी दोस्ती निभा पायेगा ?
जो भारतीयों  ने निबाही है
दोस्ती की खातिर
अपनी जान तक गँवाई है ।
हमारे देश में दोस्ती के नाम से
इतिहास भरा पड़ा है
पांडवों का भाई होते हुए भी
कर्ण , दुर्योधन के साथ खड़ा है ।
द्रोपदी के साथ थे कृष्ण
जिन्होंने पग - पग पर दोस्ती निबाही थी
भरी सभा में उन्होंने ही
उसकी लाज बचाई थी ।
आज हम दोस्ती को भी
एक व्यवसाय समझ लेते हैं
जहाँ कुछ फायदा होता है
वहीँ दोस्ती कर लेते हैं ।
क्या कोई कृष्ण - सुदामा जैसी
दोस्ती निबाह पायेगा ?
बिना मांगे अपने दोस्त के  लिए
सब कुछ न्योछावर कर पायेगा ?
दोस्ती का झरना तो
हमारे देश में बहता है
वो चंद लफ्जों का मोहताज़ नहीं
ऐसा मुझे लगता है
इसीलिए कहती हूँ --
फ्रेंडशिप डे और वीक में
दोस्ती को मत बांधो
दोस्ती को दोस्ती रहने दो
इन चीज़ों में मत आंको .
Yellow Rose For Friendship
संगीता स्वरुप
2008

18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही बात ...
    सटीक ..सारगर्भित रचना ....!!
    सादर ..शुभकामनायें.

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  2. आपकी बात से पूरी तरह सहमत। एक दिन भी निकाल लें दोस्ती के लिए तो बहुत बड़ी बात लगती है।

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  3. हैप्पी फ़्रेंडशिप डे।

    Nice post .

    हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें। ब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
    बेहतर है कि ब्लॉगर्स मीट ब्लॉग पर आयोजित हुआ करे ताकि सारी दुनिया के कोने कोने से ब्लॉगर्स एक मंच पर जमा हो सकें और विश्व को सही दिशा देने के लिए अपने विचार आपस में साझा कर सकें। इसमें बिना किसी भेदभाव के हरेक आय और हरेक आयु के ब्लॉगर्स सम्मानपूर्वक शामिल हो सकते हैं। ब्लॉग पर आयोजित होने वाली मीट में वे ब्लॉगर्स भी आ सकती हैं / आ सकते हैं जो कि किसी वजह से अजनबियों से रू ब रू नहीं होना चाहते।

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  4. वाह ………बिल्कुल सही और सटीक बात कही। हमारे देश की यही संस्कृति है जो आपने बताई है।

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  5. हैप्पी फ़्रेंडशिप डे
    ।बहुत सही बात ..

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  6. भारतीयता में रंगी बेहद सुन्दर कल्पना ! बधाई ३६५ दिनों के लिए !

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  7. संगीता जी -एक एक शब्द सटीक व् सारगर्भित है .हमारी संस्कृति का कोई मुकाबला नहीं .हम जगत गुरु apni ही इस महान संस्कृति व् ज्ञान के कारण कहलायें हैं .आभार सार्थक रचना हेतु .

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  8. दोस्ती दोस्ती कह कर गला फाड़ने से ही दोस्ती साबित नहीं होती, जो वाकई दोस्त होते हैं , चुपचाप साथ या दूर रहकर भी दोस्ती निभाते हैं !
    सार्थक सन्देश ...

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  9. बहुत ही सुंदर और आज के परिवेश में बिल्कुल सही कविता.....लाजवाब।

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  10. सच में मित्रता मन की चीज़ है ,इसे ऊपरी चीज़ों से नहीं आँका जा सकता !
    पर आप मेरी मित्र हैं ,शुभकामनायें मुखर हो रही हैं ,स्वीकार करें !

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  11. गहन चिंतन से उपजी बहुत सुन्दर एवं सारगर्भित प्रस्तुति संगीता जी लेकिन आज के युग में जिस तरह से रिश्ते बेजान, यंत्रवत और खोखले होते जा रहे हैं ऐसे में पश्चिमी सभ्यता के अंधानुकरण की खातिर ही सही लोग अपने दोस्तों को याद कर लेते हैं और उन्हें शुभकामनायें दे देते हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है ! सार्थक रचना के लिये बधाई और फ्रेंडशिप डे के लिये आपको भी हार्दिक शुभकामनायें !

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  12. संगीता स्वरुप जी,

    मित्रता दिवस पर इस रचना के लिए बधाई।
    हार्दिक शुभकामनायें।

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  13. असल में यह दिवस मनाने की परम्‍परा जिन देशों से आयी है वहाँ केवल पैसे की भाषा समझी जाती है। इसलिए जब वे भारत के सम्‍पर्क में आए तब उन्‍हें माता-पिता, दोस्‍ती आदि का स्‍वरूप समझ आया। इसलिए उन्‍होंने अपने यहाँ भी एक दिन से प्रारम्‍भ किया लेकिन हम भारतवासी उनके नकलची बन गए और इसे भी व्‍यावसायिकता को बढ़ाने के लिए उपयोग लेने लगे। यह सब काल का प्रभाव है। आपकी कविता बहुत ही सारगर्भित और प्रभावी है।

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  14. Bahut badhia, par aab to sabhi ke liye ek ek din tay ho gaya hai, FATHER S DAY, MOTHER s DAY,Pyaar karne ka bhi bas ek din Valentine sday,Sister s day etc.etc.BAS YEH SAB EK EK DIN KE LIYE HAI BAKI DIN KUCH BHI KARO.

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