रविवार, 18 सितंबर 2011

ग़रीबों को याद कीजिए

प्रेरक प्रसंग-3

ग़रीबों को याद कीजिए

ग़रीब लोग बापू के दिमाग में सबसे पहले आते थे। ईश्वर की सेवा का अर्थ उनके लिए ग़रीबों की सेवा था। उन दिनों मलेरिया महामारी के रूप में फैल जाती थी। लाखों लोग इससे जान गंवा बैठते थे। आश्रम में भी यह बीमारी हर साल आती थी। साबरमती आश्रम में एक बार बापू ने डॉक्टरों से पूछा कि मलेरिया की महामारी से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है?”

डॉक्टरों ने सलाह दी, “मच्छरदानी लागाइए।”

बापू ने कहा, “डॉक्टर साहब, सभी लोगों को मच्छरदानी कहां मिलेगी? क्या कोई ऐसा तरीक़ा नहीं है जिससे ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति भी फ़ायदा उठा सके?”

डॉक्टर ने एक तरीक़ा सुझाते हुए कहा, “शरीर को चादर से ढक कर और मुंह पर मिट्टी का तेल मल कर सोइए। इससे मच्छर नहीं आएंगे।”

बापू ने इस राय को मान लिया। उन्होंने उसी दिन से मच्छरदानी लगाना छोड़ दिया। सोते समय अपने मुंह पर मिट्टी का तेल मलना शुरु कर दिया। और ज़मीन पर सोने लगे। एक विदेशी ने उन्हें ज़मीन पर सोये देख कर पूछा, “बापू, आप ज़मीन पर क्यों सोते हैं? मोटा गद्दा क्यों नहीं बिछाते?”

बापू ने जवाब दिया, “इसलिए कि मैं इस देश के लाखों ग़रीबों के साथ अपने को जोड़ सकूं।”

उन्होंने कहा था, “जब आपको किसी कार्य के बारे में दुविधा हो, उस समय आप देश के उस सबसे ग़रीब व्यक्ति के चेहरे की याद कीजिए जिसे आपने कभी देखा है और अपने से प्रश्न कीजिए कि जो कदम आप उठाने जा रहे हैं, उससे कोई लाभ होगा या नहीं?”

बापू ग़रीबों के लिए ही जिए और मरे।

16 टिप्‍पणियां:

  1. गाँधी जी का जंतर याद आ गया। वही तो है।

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  2. बहुत प्रेरक ... कोई सलाह देने से पहले उसे स्वयं पर लागू करना चाहिए ..

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  3. बिलकुल ठीक बात है। गरीबों की सेवा ही नारायण सेवा है और गाँधीजी इस आदर्श को जीते थे।

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  4. उपदेश देना बहुत आसान है, किन्तु उसका अनुपालन यदि स्वयं करना पड़े तो बड़ा कष्ट होता है... बापू ने अपना उदाहरण प्रस्तुत किया ताकि उनकी बातों को कोई अतिमानवीय उपदेश न समझे... काश आज के नेता यह समझ पाते.. एसी कमरे में बैठकर भूख पर और गर्मी पर भाषण कैसे दिए जाते हैं!!
    धन्यवाद मनोज जी!!

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  5. सचमुच बापू ग़रीबों के लिए ही जिए और मरे।
    काश बापू से प्रेरणा ले सकें हम....

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  6. जब ऐसी सोच विकसित हो जायेगी तो देश का नक्शा ही बदल जायेगा।

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  7. प्रेरक और हमसभी के लिए अनुकरणीय ..

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  8. सच में बहुत ही प्रेरक है यह प्रसंग!

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  9. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का यह प्रेरक प्रसंग आपने याद दिलाया .बहुत-बहुत धन्यवाद. बापू के जीवन के ऐसे कई प्रेरणादायक प्रसंग हैं . काश! आज की दुनिया उनमे से एक प्रतिशत पर भी अमल कर लेती, तो दुनिया की तस्वीर ही कुछ और होती.

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  10. बापू जी के जीवन का यह प्रसंग बहुत कुछ सीख देता है.

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  11. बिलकुल ठीक बात है।कोई सलाह देने से पहले उसे स्वयं पर लागू करना चाहिए ..प्रेरक और अनुकरणीय

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  12. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 20 जून 2020 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.com
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  13. बापू जी के आदर्श तो अब परियों की कहानियां जैसे लगते हैं, काश कि उनके जैसा नहीं तो कम से कम कुछ कदम तो उनके बताये राह पर चल पाते हम सभी...............
    प्रेरक प्रसंग

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