काव्यशास्त्र-26 :: आचार्य कवि कर्णपूर (आचार्य परमानन्द दास), आचार्य कविचन्द्र और आचार्य अप्पय्यदीक्षितआचार्य परशुराम राय |
आचार्य कवि कर्णपूर
'अलंकारकौस्तुभ' दस किरणों (अध्यायों) में विभक्त है और इसके प्रतिपाद्य विषय काव्य लक्षण, शब्दशक्ति, ध्वनि, गुणीभूत-व्यंग्य, रस, भाव, गुण, अलंकार, रीति, दोष आदि हैं। आचार्य कविचन्द्र
आचार्य कविचन्द्र के कुल तीन ग्रंथ हैं:- काव्यचन्द्रिका, सारलहरी और धातु चन्द्रिका। इनमें काव्यशास्त्र प्रतिपादक ग्रंथ 'काव्यचन्द्रिका' है, जो सोलह प्रकाशों में विभक्त है। आचार्य अप्पय्यदीक्षितआचार्य अप्पय्यदीक्षित दक्षिण भारत के रहने वाले थे। अपने ग्रंथ 'कुवलयानन्द' में उन्होंने लिखा है:- अमुं कुवलयानन्दमकरोद्दप्प दीक्षित:। नियोगाद्वेङ्कटनृपतेर्निरुपाधिकृपानिधे:॥
आचार्य अप्पय्यदीक्षित की रचनाओं को देखकर बरवस आचार्य अभिनव गुप्त की याद आ जाती है। दोनों ही उच्च कोटि के विद्वान व प्रतिभाशाली, दार्शनिक और शास्त्र प्रणेता थे। दोनों में मुख्य अन्तर जो देखने को मिलता है वह यह कि आचार्य अभिनव गुप्त शैव दर्शन के अनुयायी थे तो आचार्य अप्पय्यदीक्षित वैष्णव दर्शन के। आचार्य अभिनवगुप्त ध्वनिवादी थे, जबकि आचार्य अप्पय्यदीक्षित अलंकारवादी। आचार्य अप्पय्यदीक्षित के मुख्य ग्रंथों को विषयों की विविधता की दृष्टि से निम्नलिखित श्रेणियों में बाँट सकते हैं:- (क) अद्वैतवेदान्त सम्बन्धी ग्रंथ (ख) भक्तिपरक ग्रंथ (ग) रामानुजमतावलम्बी ग्रंथ (घ) मध्वसिद्धान्त सम्बन्धी ग्रंथ (ड.) पूर्वमीमांसा पर आधारित ग्रंथ (च) काव्यशास्त्र से सम्बन्धित ग्रंथ
अप्यर्धचित्रमीमांसा न मुदे कस्य मांसला। अनूरुरिव द्यर्मोशोरर्धेन्दुरिव धूर्जटे:॥
'कुवलयानन्द' काव्यशास्त्र का इनका मुख्य ग्रंथ है जिसकी रचना आचार्य जयदेव कृत 'चन्द्रलोक' की शैली में की गई है। अर्थात्, आधे श्लोक में अलंकार की परिभाषा और आधे में उदाहरण। वैसे अन्य काव्यों से भी इन्होंने काफी उदाहरण दिए हैं। अन्त में इन्होंने 24 ऐसे अलंकारों का उल्लेख किया है जो चन्द्रलोक में नहीं मिलते। आचार्य अप्पय्यदीक्षित संस्कृत वाङ्मय के मूर्धन्य विद्वान हैं। दार्शनिक होते हुए भी इन्होंने दर्शनेतर विषयों पर अनेक ग्रंथों का प्रणयन किया है। ***** |
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bahut sundar, jankari ke liye aapka
जवाब देंहटाएंdhnyvad
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
ज्ञानवर्धक आलेख।
जवाब देंहटाएंSahitya ke manishiyon kee gyanvardhak aur upyogi jaankari se awagat karane ke liye aabhar..
जवाब देंहटाएंबहुत ज्ञानवर्द्धक लेख ...आभार
जवाब देंहटाएंउपयोगी आलेख।
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