सोमवार, 15 अगस्त 2011

आज़ादी एक ….. रूप अनेक


स्कूल में बच्चों को 
समझाया गया 
कल स्वतंत्रता दिवस है 
समय से आना 
सफ़ेद ड्रेस पहन कर 
जूते चमकते हों 
लाईन  में चलना 
प्रार्थना स्थल पर 
शांत रहना 
कोई शैतानी नहीं 
बच्चे  स्तब्ध हैं 
इतनी बंदिशें ? 
यह कैसा स्वतंत्रता दिवस है ?


ट्रैफिक सिग्नल पर
एक दस साल का बच्चा
छोटे - बड़े झंडे लिए
भागता हुआ
हर गाडी के पीछे
आज आज़ादी का
परब है  बाबू
एक झण्डा ले लो
कहता हुआ
उसके लिए
झण्डा बेचना ही
आज़ादी है |



नेता के लिए
आज़ादी का दिन
व्यस्तताओं से परिपूर्ण
जगह जगह ध्वजारोहण
और  भाषण
लेकिन
देश की समस्यायों पर राशन



आम आदमी को
आज़ादी है
कुछ भी बोलने की
कहीं भी , कभी भी
क्यों कि वह
संतप्त है , पीड़ित है
आक्रोशित मन से
बोलना चाहता है
बहुत कुछ
पर उसकी
सुनता कौन है
इसी लिए
उसकी जुबां
मौन है ..



झुग्गी - झोंपडियों की ज़िंदगी
जाड़ों में सर्दी से
सिकुडती सी ज़िंदगी
बारिश में छतों से
टपकती ज़िंदगी
गर्मी की धूप में
पसीने में
बहती ज़िंदगी
मौत से गले लग
आज़ाद होती ज़िंदगी ….

24 टिप्‍पणियां:

  1. हमे इस बात की सर्वदा टीस सी रहती है कि आज की तिथि तक हम आजादी एवं स्वतंत्रता के बीच के अंतर को इसके सही संदर्भों में समझ नही पाएं हैं। शायद , इसीलिए हम में से कोई इसकी परिभाषा को विकृत एवं खंडित अवस्था में प्रस्तुत कर समाज में विभ्रांति फैला देता है । मैं प्रबुद्ध व्लॉगर बंधुओ से अपील करता हूँ कि वे सब अपने-अपने विचारों के साथ इस पर एक चर्चा छेड़ें। सार्थक पोस्ट।
    धन्यवाद।

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  2. विचारणीय प्रश्न उठाती बहुत सुन्दर रचना , खूबसूरत प्रस्तुति .
    स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ

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  3. बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती रचना। बधाई।

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  4. स्वतंत्रता दिवस पर गाँव में कुछ करने जानने के विचार से पंदह दिन से डेरा डाला है। पर अफ़सोस कुछ कर सकने में नाकाम। कारण गाँव व झुग्गी झोपड़ी वाला केवल आज की ही सोच पा रहा है। उसकी आज की समस्या प्रतिदिन की है। आज पीना है। आज खाना है। कल की कल सोचेंगे। इसलिए वे दूर की योजना में न तो सहभागी हो पा रहे हैं और नङही उनकी कोई रुचि है। नेता के पिछलग्गू बन कर तात्कालिक लाभ की आशा में और दुरवस्था में धँसते जा रहे हैं। दुरवस्था को दिखाने वाली पोस्ट।

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  5. स्वाधीनता दिवस की हार्दिक मंगलकामनाएं।

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  6. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और ढेर सारी बधाईयां

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  7. सच में आज़ादी के मायने सबके लिए अलग है . उम्मीद है हर हिन्दुस्तानी इसको देख पायेगा ,

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  8. सत्य को आईना दिखाती बेहतरीन प्रस्तुति।

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  9. आज़ादी और स्वतंत्रता दिवस का जश्न और उल्लास उत्साह चंद खुशनसीबों के लिये ही है ! आम आदमी तो हर दिन हर रात जकड़ती मुश्किलों से आज़ाद होने की जी तोड़ कोशिश में लगा हुआ है ! उसके लिये सच्चे अर्थों में कब और कौनसा स्वतंत्रता दिवस आएगा यह देखना बाकी है ! बहुत सार्थक क्षणिकायें !

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  10. आशीष और साधना वैद्य जी आप मेरे द्वारा व्यक्त उदगारो के काफी करीब पहुँच गयी है ।
    धन्यवाद।

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  11. एक आज़ादी यह भी है कि हमें अपनी आवाज़ रखने के लिए न जगह दी जाती है और न अवसर इसलिए मौन होकर बापू की समाधि पर हमें अपनी बात रखनी पर रही है। रामलीला के मैदान से जेपी पार्क होते हुए अब हम राजभाट पहुंचे हैं। आज़ाद हैं हम ...!

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  12. श्री मनोज कुमार जी,
    यह सर्वमान्य सत्य है कि कपोल-कल्पित प्रश्न(Hypothetical Question) का कोई सटीक उत्तर नही होता है। अत; इन परिस्थितियों में यदि हम सबके समक्ष यह प्रश्न ऱखा जाए कि यदि बापू की समाधि राजघाट में नही होती तो भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले अन्ना साहेब या उनके समर्थक कहाँ जाते ! बाबा रामदेव के साथ जो कुछ भी हुआ उसे ध्यान में ऱखते हुए इस निष्कर्ष पर पहुचा जा सकता है कि- राजघाट के बाद अंतिम स्थान श्मशानघाट ही होगा। अन्ना साहेब के दिमाग में यह शब्द अवश्य गूँजते होंगे कि-

    'मुझे मेरे मकाँ में घर का निशाँ नही मिलता ।'

    धन्यवाद।

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  13. ye to ek parv kee tarah rah gaya hai, isake arth aur marm ko ab samajhana mushkil hai.
    ye samaj aur desh ka vikrit svaroop hi aazadi ki tasveer dikha raha hai.
    bahut sateek prastuti.

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  14. आज़ादी का मतलब समझने को प्रेरित करती आपके चिन्तन की ये क्षणिकायें वास्तविकता से रूबरू करवा रही हैं ,
    आभार,संगीता जी !

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  15. दर्द के कितने नाम होते हैं समझ आया ..लाल बत्ती चोराहे पर कार की खिडकी से भीतर झांकती ..चिलचिलाती धूप में अपने भूखे बच्चे को विवशता के आँचल में समेटे हाथ का बना पंखा बेचती ...एक माँ या साधनहीन भारत ..ओर वातानुकूलित कार में बैठ कर भी पसीना पोंछता समृद्ध भारत ...
    सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए कोटि कोटि अभिनन्दन !!!

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  16. आजाद भारत का सही चित्रण……स्वतंत्रता का पर्याय स्वच्छंदता हो गया है…जरूरत है स्वत: अनुशासित रहने की……अन्तर्मन को छू जाने वाली रचना……

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  17. bahut achchhi prastuti par ek blogar ki aajadi par bhi to kuchh likhna chahiye tha .aabhar

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  18. वाकई एक और लड़ाई की जरूरत आन पड़ी हैं.

    एक छोटी सी शुरुआत चाहिए.
    कुछ बुँदे तो बरसे, गर बरसात चाहिए.
    - - http://goo.gl/iJEI5

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  19. संगीता दी, सचमुच मजबूर कर दिया चुप रहने को लाजवाब... बस... और क्या कहूँ
    स्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ

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  20. सब के लिए स्वतंत्रता की अलग अलग मतलब होता है ....बखूबी जान पाया

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